Ban on Child Marriage : विवाह पत्रिका छापने वाले वर-वधु की उम्र के प्रमाण पहले देखें

बाल विवाह की जानकारी छिपाने पर अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी

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Indore : महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने बाल विवाह रोकने के लिए एक विशेष अपील जारी की है।

इसके तहत विवाह कराने वाले धर्मगुरुओं, विवाह में सेवा देने वाले सेवा प्रदाताओं तथा विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिंटिंग प्रेस आदि से कहा गया है कि विवाह के पूर्व वर और वधु दोनों की सही आयु की संतुष्टि उनके मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, स्कूल की टीसी आदि की सत्यापित करें। इसकी छायाप्रति प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित करें।

उम्र सही होने की दशा में ही विवाह की पत्रिका छापें एवं सेवाएं देना सुनिश्चित करें।

आखातीज से पहले बाल विवाह अधिकारी ने अभिभावकों से अपने बच्चों की शादी निर्धारित उम्र में करने की अपील की है। कहा गया कि किसी भी स्थिति में बाल विवाह की जानकारी छुपाई नहीं जाए।

सरकार ने इस कुरीति को समाज से समाप्त करने के उद्देश्य से बाल विवाह अधिनियम, 2006 लागू किया गया है जिसके अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता-पिता, भाई-बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, घराती, बाजे वाले, घोड़ेवाले, टेंट वाले, हलवाई तथा विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

सभी माता-पिताओं से अनुरोध किया गया है कि वे अपने बच्चों का विवाह विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित आयु के पूर्व किसी भी दशा में न करें।

साथ ही सभी जनसाधारण एवं विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं से भी अनुरोध है कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में न तो शामिल हों और न अपनी सेवाएं दें अन्यथा उनके विरुद्ध अधिनियम अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

कहा गया कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिस कारण देश में हजारों बालक, बालिकाओं को विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित उम्र से पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांधकर माता-पिताओं द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड़ किया जाता है।