

Ban on MPPSC Prelim Result : हाईकोर्ट ने MPPSC प्रीलिम्स के रिजल्ट पर रोक लगाई, जानिए यह निर्देश क्यों दिया गया!
Jabalpur : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एमपीपीएससी-2025 की प्रीलिम्स परीक्षा के परिणाम पर रोक लगा दी। एक याचिका में आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में शामिल न करने के प्रावधान को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह प्रावधान सामाजिक न्याय के खिलाफ है। हाई कोर्ट ने एमपीपीएससी और सामान्य प्रशासन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है।
हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की अनुमति के बिना रिजल्ट जारी नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका की सुनवाई के दौरान दिया, जिसे राज्य में सिविल सेवा के भर्ती नियमों की संवैधानिकता पर सवाल उठाया गया है। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
एमपीपीएससी प्रीलिम्स परीक्षा की उम्मीदवार ममता डेहरिया की ओर से यह याचिका दायर की गई थी। इसमें विशेष रूप से आरक्षित वर्ग के मेधावी उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग में शामिल न करने के प्रावधान को चुनौती दी गई। याचिकाकर्ता का कहना है कि परीक्षा के लिए जो प्रावधान किए गए, वे आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को छूट के नाम पर अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत तथा न्यायमूर्ति विवेक जैन की खंडपीठ में हुई।
हाई कोर्ट में ये दलील रखी गई
हाईकोर्ट में अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर एवं विनायक प्रसाद शाह ने कोर्ट को बताया कि मध्य प्रदेश शासन ने आारक्षित वर्ग को विभिन्न प्रकार की छूट दे रखी हैं। लेकिन, ये भी शर्त लगा दी, कि जो अभ्यर्थी छूट प्राप्त करेंगे, वे उच्च स्थान प्राप्त करने पर भी अनारक्षित वर्ग में चयनित नहीं हो सकेंगे। यह प्रक्रिया संविधान में निहित सामाजिक न्याय के विपरीत है।
कोर्ट ने मांगा जवाब
उच्च न्यायालय की जबलपुर खंडपीठ ने एमपीपीएससी को नोटिस जारी करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग से 15 दिन में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई, तब तक कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम घोषित नहीं किए जा सकेंगे।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी एमपीपीएससी की चयन प्रक्रिया को लेकर कह चुके हैं कि आरक्षित वर्ग के मेधावी अभ्यर्थियों को अनारक्षित वर्ग में शामिल किया जाएगा। इसके अलावा नवंबर 2024 में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी आगामी भर्तियों में चयन परीक्षा के प्रत्येक चरण में अनारक्षित पदों को प्रतिभाशाली उम्मीदवारों ने भरने की बात कही थी। इन्हीं सब मामलों को देखते हुए कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी न होने तक रिजल्ट जारी करने पर रोक लगा दी।