Ban on the Cutting of Khursani Tree : खुरसानी इमली के पेड़ को काटने पर रोक, आदेश जारी!
धार से छोटू शास्त्री की ख़ास खबर
धार। जिले की पर्यटन नगरी मांडू से खुरासानी इमली (Adansonia Digitata) के पेड़ों ट्रांसप्लांट करने के लिए मांडू से हैदराबाद के बॉटनिकल गार्डन ले जाया जा रहा था। स्थानीय ग्रामीणों ने पेड़ो को ले जाए जाने का विरोध किया। इन निकाले गए पेड़ों को बड़े-बड़े ट्रालो में रखकर जब ले जाए जाने लगे तो ग्रामीणों ने इन्हें रोक दिया और धार कलेक्टर को शिकायत की गई। ग्रामीणों का आरोप था कि बॉटनिकल गार्डन में प्रत्यारोपण के नाम पर इन पेड़ों को उजाड़ा जा रहा है।
11 प्लांट को ट्रांसप्लांट करने के नाम पर कई पेड़ों को यहां से उखाड़ा गया।
बताया जा रहा है कि बॉटनिकल गार्डन संचालक रामदेव राव के पास इसकी राजस्व विभाग से प्राप्त अनुमति थी। जबकि, ग्रामीणों का कहना था कि इस कार्रवाई से मांडू क्षेत्र का दुर्लभ प्रजाति का 500 से 600 साल पुराना पेड़ है, जो विलुप्त होने की कगार पर आ जाएगा।
वन विभाग के अधिकारी जीडी वरवड़े ने कहा कि राजस्व विभाग अनुमति देता है, हम तो केवल टीपी (ट्रांसफर परमिट) जारी करते हैं। जितने पेड़ों की टीपी जारी की गई थी उतने ही पेड़ ले जाए जा रहे। लेकिन, ग्रामीणों की शिकायत पर धार कलेक्टर प्रियंक मिश्रा ने तुरंत इन पेड़ों को हैदराबाद में जाने से रोक दिया गया और इसके काटे जाने के आदेश जारी कर दिए।
क्या लिखा कलेक्टर के आदेश में
धार कलेक्टर ने अपने आदेश में कहा है कि जिले में पाया जाने वाला वृक्ष खुरसानी इमली एक दुर्लभ जीव संसाधन है, जो जिले की ऐतिहासिक धरोहर है। ऐसे जैव संसाधनों का प्रबंधन जैव विविधता अधिनियम 2002 के अंतर्गत जारी नियम निर्देशों के तहत किए जाने के बाद आता है। मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड द्वारा जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा के नियम 2004 के नियम 23 के अंतर्गत स्थानीय निकाय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन समितियों का गठन प्रावधान किया गया है।
धार जिले के समस्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, स्थानीय निकाय के द्वारा खुरसानी इमली जैसे दुर्लभ संसाधन को काटने की किसी को अनुमति नहीं है। अतः इस बारे में अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा सकते। यदि भारत का कोई नागरिक या भारत में रजिस्ट्री कृत संगठन जो जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा साथ में विनिर्दिष्ट कार्यकलापों को करने के लिए खुरसानी इमली या इस प्रकार के दुर्लभ वृक्ष का उपयोग करना चाहता है।
ऐसी स्थिति में उसे जैव विविधता अधिनियम 2002 की धारा 304 के तहत मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड को आवेदन प्रस्तुत करना होगा। मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के द्वारा दी गई अनुमति के आधार पर ऐसे वृक्षों को उपयोग करने की अनुमति दी जा सकेगी उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होगा।