इंदिरा के प्रयासों से बना ‘बांग्लादेश’ अब मोदी के हिस्से में…

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इंदिरा के प्रयासों से बना ‘बांग्लादेश’ अब मोदी के हिस्से में…

अप्रैल 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मुक्ति वाहिनी को समर्थन देकर, बांग्लादेश को आजादी में सहायता करने का निर्णय लिखा। बांग्लादेश विश्व में आठवाँ सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसकी आबादी 16.4 करोड़ से अधिक है। भू-क्षेत्रफल के मामले में, बांग्लादेश 92 वें स्थान पर है, जिसकी लम्बाई 148,460 वर्ग किलोमीटर (57,320 वर्ग मील) है, जो इसे सबसे घनी आबादी वाले देशों में से एक बनाता है। आज हम इसे इसलिए याद कर रहे हैं क्योंकि शेख़ हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और देश छोड़कर भारत पहुंच गईं। हिंडन आर्मी एयरबेस पर पहुंची शेख हसीना का स्वागत किया गया। तब यानि 1971 में इंदिरा ने कमाल किया था। अब यानि 2024 में बांग्लादेश मोदी के हिस्से में है।

शेख़ हसीना के पुत्र सजीब वाजिद रॉय ने बताया है कि उनकी माँ रविवार को ही अपना पद त्यागने का मन बना चुकी थीं। मतलब हालातों से समझौता करना अब उनके वश में नहीं बचा था। पीएम हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ़ जनरल वकार-उज़-ज़मान ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी। ढाका के केंद्रीय इलाक़े में बड़े पैमाने पर आगजनी की घटनाएं हुई हैं। अवामी लीग के दफ़्तर, मुजीब म्यूजियम, पुलिस हेडक्वार्टर की बिल्डिंग को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। शेख़ हसीना के पिता शेख़ मुजीबुर्रहमान की मूर्ति पर भी तोड़ फोड़ की गई है। सजीब वाजिद रॉय ने कहा कि ‘अब उनकी माँ की राजनीतिक वापसी संभव नहीं होगी। अब वो 70 के पार हो चुकी हैं। मेहनत के बावजूद थोड़े से लोगों ने उनके ख़िलाफ़ विद्रोह कर दिया। मेरे ख़्याल से अब वो वापसी नहीं करेंगी। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच भिड़ंत में पिछले महीने में लगभग 300 लोग मारे गए थे।शेख मुजीर्बरहमान बांग्लादेश के जनक थे।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने शेख हसीना से मुलाकात की। शेख हसीना शाम करीब साढ़े 5 बजे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर पहुंचीं। इस दौरान इमिग्रेशन की एक टीम भी हिंडन एयरबेस पर मौजूद थी। शेख हसीना ने ब्रिटेन में शरण मांग थी। हिंडन से वह लंदन के लिए रवाना हो गईं। यह सब ठीक है। पर फिलहाल भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, यह वक्त बताएगा। पर राहुल गांधी, ममता बनर्जी सब केंद्र सरकार के साथ हैं। मोदी के मन में क्या है, यह समय के साथ साफ हो जाएगा। इंदिरा अगर दुर्गा थीं, तो मोदी के रहते शायद सब मुमकिन है। विदेश मंत्री जय शंकर की समझ पर किसी को शक नहीं है, तो मोदी की सोच जल्दी सामने आ जाएगी। 1971 में इंदिरा के हिस्से में बहुत कुछ आया था, तो 2024 में सब कुछ मोदी के हिस्से में है…