Basement Evacuation Instructions : बेसमेंट में चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को 14 सितंबर तक हटाने के निर्देश!
नगर निगम ने एक महीने का समय दिया, इसके बाद इन स्थानों पर निगम कार्रवाई करेगा!
Indore : बेसमेंट में बनी दुकानों को एक महीने में हटा लेने का इंदौर नगर निगम ने सार्वजनिक सूचना जारी किया। शहर की सभी मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों के बेसमेंट में चल रहे व्यावसायिक संस्थानों और दुकानों को हटा लेने की अपील की गई है। इसके लिए नगर निगम ने एक माह का समय दिया है। जारी नोटिस में कहा गया कि 14 अगस्त को जारी नोटिस के मुताबिक 14 सितंबर तक दुकानें और अन्य व्यावसायिक गतिविधियां हटा लें।
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एक महीने बाद नगर निगम की टीमें बेसमेंट में चल रहे कोचिंग संस्थानों के साथ दुकानों और व्यावसायिक संस्थानों पर भी कार्रवाई करेंगी। शहर में पार्किंग की दिक्कत होने के चलते अब निगम और प्रशासन का सारा ध्यान मल्टियों में पार्किंग की जगह पर किए गए कब्जों पर है। कई जगह बड़ी मल्टियों में पार्किंग के लिए आरक्षित जमीनों पर कब्जे कर दुकानें बना ली गईं। कई जगह तो कोचिंग सेंटर खोल लिए गए। ऐसे में यह भी कहा जा रहा है कि पार्किंग की जमीन पर किए जब निर्माण हो रहे थे, उस समय निगम के अफसर आंखें क्यों मूंदे रहे। इन बिल्डिंगों को कार्यपूर्णता के प्रमाण पत्र जारी कैसे किए जाते रहे!
पिछले दिनों निगम आयुक्त शिवम वर्मा ने बैठक के दौरान सभी बीओ, बीआई को निर्देश दिए थे कि अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे संस्थानों का पता लगाएं, जहां पार्किंग की जगह बेसमेंट में अवैध रूप से निर्माण कर व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। शहर में ऐसे हजारों मामले हैं। दो दिन पहले निगम ने अखबारों में इसकी सार्वजनिक सूचना जारी कर इसे सूचना पत्र बताते हुए सभी से अपील की है कि अपने-अपने संस्थान पार्किंग के स्थानों से हटा लें। नगर निगम कमिश्नर के हवाले से यह सूचना अपर आयुक्त द्वारा जारी की गई है। इसमें 14 अगस्त से 14 सितंबर तक एक माह का समय दिया गया है।
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नोटिस में साफ चेतावनी दी गई
पार्किंग स्थल का व्यावसायिक उपयोग कर गतिविधियां संचालित किए जाने पर नोटिस में भूमि विकास अधिनियम 2012 और नगर पालिक अधिनियम 1956 में नियमों का हवाला देते हुए कार्रवाई की बात कही गई है। नोटिस में साफ लिखा गया है कि शहर में बड़ी संख्या में वाहन मुख्य सड़कों पर पार्क किए जाते हैं। विभिन्न बड़ी मल्टियों में पार्किंग के लिए आरक्षित स्थानों पर व्यावसायिक निर्माण कर लिए गए। इस मामले में एक खास बात यह भी है कि धड़ल्ले से मल्टियों का निर्माण कार्य होता रहा और पार्किंग की जमीन पर किए गए निर्माणों पर निगम के अफसर आंखें मूंदे रहे और संबंधितों को कार्यपूर्णता के प्रमाण पत्र जारी किए जाते रहे, जिसका खामियाजा अब उन लोगों को भुगतना पड़ेगा जिन्होंने यहां दुकानें खोल ली है।