मानहानि हो या शिकायतें, चर्चा में हैं खास चेहरे…
यह मानहानि के मामले भी जो न कराएं सो कम है। बेचारे अरविंद केजरीवाल का जेल से सरकार चलाते-चलाते वजन कम हो रहा है, तो भाजपा की दिल्ली इकाई ने उनकी मंत्री आतिशी को मानहानि का नोटिस भेज दिया है। आतिशी ने कथित तौर पर एक पत्रकार वार्ता में दावा किया था कि बीजेपी ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल होने के लिए संपर्क किया है। उनके इस बयान पर बीजेपी ने उन्हें मानहानि का नोटिस भेजा है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने उनसे सार्वजनिक माफी की मांग की है। उन्होंने कहा, “आतिशी इसका कोई सबूत नहीं दे पाई हैं कि उनसे किसने, कब और कहां संपर्क किया था। दिल्ली में आम आदमी पार्टी संकट के दौर से गुजर रही है और इस वजह से वो इस तरह के बेबुनियाद इल्ज़ाम लगा रहे हैं। लेकिन हम उन्हें इससे बचकर नहीं जाने देंगे।”
तो दिल्ली से ज्यादा चर्चा में मध्यप्रदेश का वह मानहानि का मामला है, जिसमें शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर जबलपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने 7 मई को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। दरअसल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने तीनों नेताओं पर 10 करोड़ का मानहानि का केस दर्ज कराया है। जिससे एमपी हाई कोर्ट से अब तक राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने 7 जून को पेश होने के आवेदन को निरस्त करते हुए तीनों नेताओं को 7 मई को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। विशेष न्यायाधीश विश्वेश्वरी मिश्रा ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। दरअसल, तीनों नेताओं की ओर से पेश हुए वकील ने एक आवेदन कोर्ट में पेश किया था, जिसमें उन्होंने लिखा था कि लोकसभा चुनाव की व्यस्तता के कारण वह कोर्ट में पेश होने में असमर्थ हैं। अब अदालत तो सर्वोपरि है। सो मानहानि हो या फिर अवमानना, आदेश तो मानना ही पड़ेगा। अवमानना के मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की खैर खबर सुप्रीम कोर्ट ने ली ही है।
खैर फिर बात करें मध्यप्रदेश की राजनीति की, तो भाजपा ने हाल ही में दिग्विजय सिंह और नकुलनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने निर्वाचन आयोग से शिकायत की है। मांग की है कि दिग्विजय सिंह पर 4 जून तक सभा करने व भाषण देने पर रोक लगाई जाए। वहींनकुलनाथ के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए। वैसे कहा जाए तो भाजपा की आंखों में कांग्रेस के यही दो चेहरे खटक रहे हैं। भाजपा का आरोप है कि राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने वाले नेताओं पर अमर्यादित टिप्पणी कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह जानबूझकर भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं का अपमान कर रहे हैं तथा चुनाव के समय भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल गिराने के लिए ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। अतः चुनाव आयोग दिग्विजय सिंह पर 4 जून 2024 तक किसी भी तरीके के मीडिया में भाषण देने व सभा करने पर रोक लगाने के आदेश जारी करे। वहीं दूसरी शिकायत कि छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा से विधायक कमलेश शाह को कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी नकुलनाथ ने एक चुनावी सभा में बिकाऊ व गद्दार कहा है। नकुलनाथ द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग के एक विधायक को गद्दार व बिकाऊ कहना समस्त अनुसूचित जनजाति का अपमान है। अतः चुनाव आयोग द्वारा छिंदवाड़ा लोकसभा से कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए, ताकि क्षेत्र में व्याप्त असंतोष से कानून-व्यवस्था की स्थिति न बन सके।
तो कांग्रेस भी शिकायत में पीछे नहीं है। कांग्रेस सीधे मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव पर निशाना साध रही है। आरोप है कि लोकसभा चुनाव 2024 के आम चुनाव के अंतर्गत पूरे देश में आदर्श आचार संहिता प्रभावशील है। सभी पार्टियों का चुनाव प्रचार चरम पर है। किंतु संवेधानिक पद पर बैठे प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा मुख्यमंत्री निवास को भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय में परिवर्तित कर नेताओं को भाजपा की सदस्यता दिलाया जाने का राजनीतिक कार्य किया जा रहा है, जबकि शासकीय भवन का आचार सहिता के दौरान किसी भी प्रकार की राजनीतिक गतिविधियों के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री द्वारा दिनांक 29 मार्च, 2024 को कांग्रेस विधायक कमलेश शाह एवं 1 अप्रेल को छिंदवाड़ा से कांग्रेस महापौर विक्रम अहाके को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ उन्हें भाजपा की सदस्यता देने का कार्य किया गया है। मुख्यमंत्री निवास का भारतीय जनता पार्टी के मुख्यालय के रूप में लगातार दुरूपयोग किया जा रहा है जो कि प्रभावशील आदर्श आचार संहिता का खुला उल्लंघन है। चुनाव आयोग से मांग की गई है कि आचार संहिता के उल्लंघन का प्रकरण दर्ज कर कार्यवाही की जावे जिससे कि लोकसभा के चुनाव का मतदान स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सम्पन्न हो सके जो कि न्यायोचित होगा।
तो अब मानहानि का मामला हो या फिर चुनाव आयोग से शिकायतों का दौर, राजनीति में नेताओं के चेहरे लगातार चर्चा में हैं। शिकायतों पर अंतिम रूप से भले ही कोई कार्यवाही हो या नहीं, पर जब तक मामले खत्म नहीं होते, तब तक चेहरे तो चर्चा में रहेंगे ही…।