The Losing Side: धर्म परिवर्तन को लेकर Pakistan में बनी फिल्म पर मचा बवाल

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The Losing Side: धर्म परिवर्तन को लेकर Pakistan में बनी फिल्म पर मचा बवाल

धर्म परिवर्तन जबरन नहीं हो सकता है। धर्म परिवर्तन स्वयं की इच्छा से होता है। जबरन किए गए धर्म परिवर्तन का कोई एतबार नहीं है।हर आदमी को अपनी पसंद के मजहब को अपनाने का अधिकार है। किसी को किसी धर्म का पाबंद नहीं किया जा सकता है।पाकिस्तान (Pakistan) में जबरन धर्म परिवर्तन और हिंदू लड़कियों की किडपैनिंग को लेकर कई बार मामले सामने आ चुके हैं। इसके खिलाफ देश-दुनिया में विरोध भी हो चुका और आवाज भी उठाई जा चुकी है।

इसी बीच एक पाकिस्तानी फिल्ममेकर ने ऐसा कुछ कर दिया है, जिससे कट्टरपंथी बौखला गए हैं और अपना गुस्सा निकाल रहे है। दरअसल, पाकिस्तान के डायरेक्टर जावेद शरीफ (Javed Sharif) की फिल्म द लूजिंग साइड (The Losing Side) को कान्स वर्ल्ड फिल्म फेस्टिवल (Cannes World Film Festival) में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है। बता दें कि यह मूवी सिंध की हिंदू लड़कियों के अपहरण और जबरन निकाह की रियल स्टोरी पर बनी है और इसी वजह से बवाल मचा हुआ है। इस फिल्म को लेकर पाकिस्तान के लोग दो गुटों में बंट गए है। एक तरफ जहां ह्यूमन राइट्स वाले डायरेक्ट की तारीफ कर रहे हैं तो दूसरी ओर कट्टरपंथी उनपर पाकिस्तान को दुनिया में बदनाम करने का आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं सोशल मीडिया जबरदस्त विरोध देखा जा रहा है।

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द लूजिंग साइड को मिल चुके कई अवॉर्ड्स
सामने आ रही रिपोर्ट्स की मानें तो फिल्म द लूजिंग साइड को पहले भी कई अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। बता दें कि यह फिल्म में चार हिंदू लड़कियों की रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित है। जिनका किडनैप होने के बाद जबरन मुस्लिम शख्स से निकाह करा दिया जाता है। हालांकि, फिल्म कई पाकिस्तानी को पसंद नहीं आई। वहीं, कुछ कट्टरपंथी डायरेक्ट जावेद शरीफ के खिलाफ मुहीम भी चला रहे है। वैसे, आपको बता दें कि पाकिस्तान में हिंदू और सिख लड़कियों का रियल में हालत में इस फिल्म में दिखाई गई स्टोरी की ही तरह है। मूवमेंट ऑफ सॉलिडेरिटी एंड पीस की एक रिपोर्ट की मानें तो पाकिस्तान में हर साल करीब 1000 अल्पसंख्यक लड़कियों का निकाह उम्र में कई बड़े मुस्लिम शख्स के साथ जबरन करवा दिया जाता। इनमें से कई लड़कियों की उम्र तो 10 से 12 साल की होती है।

– रिपोर्ट्स की मानें तो कहा जा रहा है कि इन लड़कियों में सबसे ज्यादा संख्या हिंदुओं की होती है। खबरों की मानें तो इसी वजह से अमेरिका ने पाकिस्तान को अल्पसंख्यक सुरक्षा मामले में गंभीर चिंता वाले देशों की कैटेगिरी में रखा है। इसके बावजूद भी पाकिस्तान में इन सबको को लेकर कोई ठोस कदम या कानून नहीं बनाया गया है।