चीता प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले हिंगलगढ़ दुर्ग के पास ईको पर्यटन विकास बोर्ड बना रहा किचन और शौचालय

गांधी सागर अभ्यारण्य में ऐतिहासिक दुर्ग के महत्व को विभाग ने रेंखाकित करने के काम में जुटा

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चीता प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले हिंगलगढ़ दुर्ग के पास ईको पर्यटन विकास बोर्ड बना रहा किचन और शौचालय

भोपाल। मंदसौर जिले में स्थित गांधी सागर अभ्यारण्य चीता के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। पर्यटकों को इस अभ्यारण्य में कोई असुविधा नहीं हो इसकों लेकर वन विभाग के साथ ही ईकों पर्यटन बोर्ड भी अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में लगा हुआ है। बोर्ड की CEO समिता राजौरा ने बताया कि अभ्यारण्य के बीचो बीच ऐतिहासिक हिंगलगढ़ का दुर्ग है। आने वाले समय में चीता सफारी के लिए यहां पर्यटकों की तादात समय- समय पर बढ़ेगी। बोर्ड, किले के पास किचन और शौचालय बनाने जा रहा है। जिसे शासन ने मंजूरी दे दी है।

उन्होंने बताया कि हिंगलगढ़ दुर्ग चौथी शताब्दी का है। गुप्तकाल से लेकर परमार वंश का इतिहास इस दुर्ग से जुड़ा हुआ हैं। वन विभाग दुर्ग के ऐहिासिक महत्व को देखते हुए अभी से इसे रेंखाकित करना शुरू कर दिया है। चीता सफारी के लिए लोग जब इस अभ्यारण्य में आएंगे तो नि:संदेह इस दुर्ग को देखने के लिए भारी संख्या में सैलानी आएगे जिसकों लेकर अभी से यहां तैयारी शुरू कर दी गई है।

उन्होंने बताया कि किचन और शौचालय की जिम्मेदारी स्थानीय समिति के पास होगी। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव के बाद यहां चीता की शिफ्टिंग की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। गांधी सागर अभ्यारण्य चीता के स्वागत के लिए पूरी तरह से तैयार हो गया है। चीतल, हिरण की शिफ्टिंग भी अपने अंतिम दौर में है। वन विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि कूनों में चीता प्रोजेक्ट सफल होने के बाद अब चीता का दूसरा प्राजेक्ट शुरू करने में अब कोई समस्या नहीं है। पहली खेप में यहां एक दर्जन चीता को लाने की योजना पर काम चल रहा है।

आदिवासी पर्यटकों के आने की संभावना ज्यादा-
इतिहासकों की माने तो हिंगलगढ़ किले में भील राजा गोत्री भील की हत्या हुई थी। भील समाज का इस किले से पुराना नाता है। लेकिन जंगल के बीचो बीच होने से यहां पर्यटक नहीं आते थे। लेकिन अब चीता प्रोजेक्ट शुरू होने से विभाग ने अनुमान जता रहा है कि वाइल्ड सैलानी के साथ यहां आदिवासी समाज से जुड़े लोग बड़ी संख्या में आएंगे। जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए पर्यटन विकास बोर्ड यहां इको सेंसटिव जोन को लेकर प्लानिंग तैयार कर रहा है। इको सेंसटिव जोन को लेकर बोर्ड जोनल प्लान बनाने की दिशा में काम कर रहा है। ईको पर्यटन विकास बोर्ड प्रदेश के अन्य अभ्यारण्यों में ऐतिहासिक दुर्गो की तलाश कर रहा है। जिससे वहां विकास कार्य को धरातल पर उतारा जा सकें।