Beggar Free City : विदेशी मेहमानों के सामने कहीं भिखारी न आ जाएं, रोकने की कोशिश!
Indore : शहर में होने वाले प्रवासी भारतीय सम्मेलन के लिए हर तरह से तैयारियां की जा रही है। पूरे शहर को सजाया-संवारा जा रहा है। ऐसे में शहर के हर चौराहे पर मौजूद भिखारियों ने प्रशासन और नगर निगम को परेशानी में डाल दिया। यदि विदेशी मेहमानों के सामने इन भिखारियों ने हाथ पसार दिया तो शहर और देश की सारी साख धूमिल हो जाएगी।
सारी कोशिशों के बावजूद शहर में भिखारियों की संख्या कम होने के बजाए बढ़ती जा रही। प्रदेश के कई शहरों और गांव के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र और राजस्थान से भी शहर में भीख मांगने आ गए। शहर के 35 चौराहों पर फ़िलहाल दो से ढाई हजार भिखारी दिखाई दे रहे हैं। इनमें पुरुष, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे भी हैं। इन्हें पकड़ना भी आसान नहीं। कई बार ये भिखारी नगर निगम की टीम पर ही हमला कर देते हैं।
प्रवासी सम्मेलन के दौरान मेहमानों के सामने इनका आना शहर की छवि बिगाड़ सकता है। ऐसे में प्रशासन और नगर निगम ने जो तैयारियां की है, वो छवि ध्वस्त हो जाएगी। मंदिरों के बाहर बैठने वाले शहर के भिखारियों की संख्या भी हज़ार के आसपास है। पर, इनमें से कई तीज-त्यौहार पर ही दिखाई देते हैं। नगर निगम और एनजीओ अभी तक इन्हें भी हटा नहीं सका।
नगर निगम का कहना है कि ये सभी आदतन भिखारी हैं। अब इनके खिलाफ सख्ती होगी, जिसकी योजना बन चुकी है। इस पर काम शुरू हो गया, जिससे ये प्रवासी सम्मेलन में आने वाले मेहमानों के सामने दिखाई नहीं देंगे। कार्रवाई के तहत आदतन भिखारियों को घर भेजा जाएगा, क्योंकि शहर में इनके घर हैं। जो बेघर, मजबूर, बुजुर्ग या अकेले हैं उनके रहने की व्यवस्था की जाएगी।
प्रवासी भारतीय सम्मेलन को देखते हुए नगर निगम की तरफ से नियुक्त एनजीओ की टीम इन भिखारियों की धरपकड़ कर रहे हैं। इन्हें बनाई गई जगहों पर भेजा जा रहा है। कई बार ये भिखारी ऐसे समय हमला करके एनजीओ के लोगों को घायल भी कर देते हैं एनजीओ टीम ने शहर में बाहर से आने वाले 300 से ज्यादा भिखारियों को वापस घर भेजने का दावा किया है। लेकिन, तय है कि ये लोग वापस लौट आएंगे।
दो साल से भिखारी मुक्ति की कोशिश
शहर को भिखारी मुक्त करने की कोशिश दो साल से चल रही है। फिर भी इसमें सफलता नहीं मिली। कम होने के बजाए शहर में भिखारी बढ़ते ही जा रहे हैं। मंदसौर, देवास, झाबुआ, धार, बाग, टांडा, और गुजरात के दाहोद, भरूच, राजस्थान के बांसवाड़ा, चित्तोड़, जैसलमेर आदि शहरों से भिखारियों का आना जारी है। शहर में ये 10 से 12 दिन रहते हैं। फिर इनकी जगह दूसरे लोग या रिश्तेदार आ जाते हैं। जो यहां भीख मांग रहे वे दूसरे शहर चले जाते हैं। मप्र, गुजरात और राजस्थान से बदलकर आने वाले भिखारियों की संख्या भी दो हजार से ज्यादा होगी, जो चौराहों पर भीख मांगते हैं।
देश के 10 शहरों इंदौर भी
सामाजिक न्याय विभाग ने भिखारियों के लिए योजना शुरू की है। इसके लिए देश के 10 शहरों को चिह्नित किया गया। इसमें एक इंदौर भी है जिसे भिखारी मुक्त किया जाना है। इसके चलते निगम शहर में एनजीओ के माध्यम से मुहिम चला रहा है, लेकिन यह मुहिम सही ढंग से नहीं चल रही और भिखारी कम होने के बजाए बढ़ गए। इस अभियान के तहत 150 मानसिक रोगियों और मंदिर, सड़क और फुटपाथ पर रहने वाले 350 बीमार भिखारियों का इलाज करवाया है।
शपथ पत्र भरवाए गए
आदतन भिखारियों को घर भेजा गया, उनके परिजनों से शपथ-पत्र लिया गया कि अब वे लोग भीख मांगते पाए गए तो सख्त कार्रवाई होगी। इसलिए अपने परिजन को संभाल कर रखें। युवाओं को समझाया गया कि कामचोरी छोड़कर बुजुर्गों से भीख मंगवाना बंद किया जाए।