कुछ ख़ास है कुछ पास है-Betel leaves: गंभीर रोगों के लिए रामबाण इलाज है पान
पान भारत के इतिहास एवं परंपराओं से गहरे से जुड़ा है।पान का धर्म संस्कृति से बहुत ही ऊपर स्थान है इसके बिना कोई भी धर्म संस्कृति की काम पूरी नहीं होती हैं। और कई लोग इसे खाना खाने के बाद मुखवास के लिए और खाना अच्छे से पचने के लिए खाते हैं।पुराणों, संस्कृत साहित्य के ग्रंथों, स्तोत्रों आदि में तांबूल के वर्णन भरे पड़े हैं। शाक्त तंत्रों (संगमतंत्र-कालीखंड) में इसे सिद्धिप्राप्ति का सहायक ही नहीं कहा है वरन् यह भी कहा है कि जप में तांबूल-चर्वण और दीक्षा में गुरु को समर्पण किए बिना सिद्धि अप्राप्त रहती है। उसे यश, धर्म, ऐश्वर्य, श्रीवैराग्य और मुक्ति का भी साधक कहा है। इसके अतिरिक्त पाँचवीं शती के बादवाले कई अभिलेखों में भी इसका प्रचुर उल्लेख है। इसी तरह हिंदी की रीतिकालीन कविता में भी तांबूल की बड़ी प्रशंसा मिलती है – सौंदर्यवर्धक और शोभाकारक रूप में भी और मादक, उद्दीपक रूप में भी।
पिछले कई शतक से पान खाने की परंपरा चलती आ रही है मगर इसके पीछे भी कई महत्वपूर्ण योगदान है और वो है इसके औषधी गुणधर्म।
पान खाने के फायदे-
- पान खाने से किडनी से जुड़ी बीमारियों में राहत मिलती हैं।
- पथरी की समस्या में गुणकारी ।
- दाँतों से जुड़ी समस्याएं करें दूर।
- मसूड़ों की सूजन में गांठ में राहत।
- श्वसन नली के रोगों से करें बचाव।
- त्वचा त्वचा का तेज बढ़ाएं और त्वचा रोगों में गुणकारी।
- पेशाब कम आने की समस्या को करे दूर।
- मुँह के छालों में फ़ायदेमंद है।
- भूख को बढ़ाये।
- और यदि आपके मुंह से बदबू आती है तो आप पान का सेवन करें इससे आपके मुंह की बदबू ही दूर नहीं होगी बल्कि पारिया जैसे रोग भी दूर होते हैं।
- पान खाने से कब्ज जैसी समस्या दूर हो जाती है और यह आसानी से आपके खाने को पचाती है।
- पान में एंटीफ्लेमएंट्री और एंटीऑक्सीडेंट गुण होने के कारण इतने चीजों में सबसे ज्यादा लाभदायक है।
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