बेटी वस्तु नहीं जिसका करें दान-केबीसी विजेता ने उठाई कन्यादान की प्रथा के खिलाफ आवाज

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*श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट*

भोपाल: बेटी वस्तु नहीं जिसका करें दान,और यह आवाज उठाई है मध्यप्रदेश के उस चंबल की राजपूत महिला ने जहां कभी पैदा होते ही बेटी को मार दिया जाता था.कभी बागियों/दस्युओं की पनाहगार के लिए बदनाम रहे भिंड-मुरैना की गीतासिंह गौर ने कौन बनेगा करोड़पति मे एक करोड़ जीत कर महिला विजेताओं मे अपना नाम भी दर्ज करा लिया.उन्हें इस उपलब्धि के बजाए सदियों से चली आ रही कन्यादान की प्रथा के खिलाफ इस शक्तिशाली मंच से आवाज उठाने के लिए ज्यादा याद किया जाएगा.                                                    IMG 20211113 WA0032

53 साल की गीतासिंह ऐसा कर महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एम्बेसेडर तो बन ही गईं हैं,साथ ही आत्मनिर्भरता की चाहत रखने वाली महिलाओं की रोल माँडल भी हो गईं हैं.गीतासिंह हॉट सीट पर आई तब पारंपरिक राजपूताना पोशाक मे थीं पर दूसरे दिन सामान्य साड़ी मे आईं.

गीतासिंह का कहना है कि वह कन्यादान के सख्त खिलाफ हैं क्योंकि बेटी दान की वस्तु नहीं है.बेटी का कन्यादान कर दिया तो फिर मायका उसका नहीं रहेगा.उन्होने दोनों बेटियों का कन्यादान ना कर पाणिग्रहण और हाथ पीले करने की रस्म कर विवाह किए हैं.बेटियों से कह रखा है की ससुराल मे कुछ गड़बड़ हो तो तुरंत खबर करना ताकि हम आ सकें.

गीताजी कन्यादान प्रथा समाप्त कर गृहलक्ष्मी प्रवेश की रस्म पर ज़ोर देती हैं.उन्होंने बताया की जैसे ही बहू घर की दहलीज पर आएगी तो सिंदूर घोल कर उसे थाली के अंदर खड़ा कर सफेद कपड़े पर चलाऊंगी.इससे पैरों के निशान बनेंगे जिन्हे संभाल कर रखूंगी.उन्होने दोनों बेटियों के फुटप्रिंट भी संभाल कर रखे हैं.

गीताजी शादी के बाद ग्वालियर में रहती हैं लेकिन हैं भिंड के पांडरी गांव की बेटी जहां 50 साल पहले तक बेटियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था.इसके खिलाफ उनके दादा ने पहल की और उनके प्रयासों से गांव में बेटियों की हत्याएं बंद हो पाई थीं.

गीतासिंह ने बताया कि आज उनके इलाके में लोग बेटियों को देवी की तरह पूजते हैं.बाद मे उनका परिवार मुरैना शिफ्ट हो गया था.वे जज बनना चाहती थीं और इसके लिए शादी के सोलह साल बाद वकालत की परीक्षा पास की पर ओवर ऐज़ होने से यह हो ना सका.अब घर परिवार की जिम्मेदारियाँ पूरी हो रही हैं जिसके बाद वो दूसरी पारी पूरी तरह अपने लिए जिएंगी और वकालत करने के साथ ही अंगरेजी मे खूब प्रवीणता हासिल करेंगी.