Beware of Winter : उत्तर भारत में नवंबर के पहले सप्ताह से ही सर्दी अपना असर दिखाएगी!

ज्यादा बारिश नहीं, ला-नीना होगा इस बार ज्यादा सर्दी पड़ने का कारण।

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Beware of Winter : उत्तर भारत में नवंबर के पहले सप्ताह से ही सर्दी अपना असर दिखाएगी!

New Delhi : मानसून विदा हो गया, अब सर्द दिनों का मौसम शुरू होने वाला है। मौसम विज्ञानियों का अनुमान है कि इस बार तापमान बहुत नीचे जाएगा और सर्दी के दिन भी ज्यादा होंगे। मध्यप्रदेश देश के उन राज्यों में है जहां नवंबर के पहले सप्ताह से सर्दी अपना असर दिखाने वाली है।

मौसम विभाग के मुताबिक, इस समय उत्तर और पश्चिम से लेकर मध्य भारत तक ड्राइ नॉर्थ-वेस्ट हवाएं चल रही हैं। उत्तर के पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद ये हवाएं बर्फीले इलाकों से गुजरती हुई मध्य भारत तक ठंडक लेकर पहुंचेंगी। इस वजह से ही 6 नवंबर से देश में दो वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से उत्तर से लेकर मध्य भारत तक दिन में भी ठिठुरन महसूस होगी।

देश में एक साथ एक्टिव हुए दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 10 राज्यों में ठिठुरन भरी सर्दी लाएंगे। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा और तेलंगाना में तापमान 6 से 7 नवंबर के बीच तेजी से गिरेगा। दिन और रात के तापमान में 11 से 17 डिग्री का अंतर आने के आसार हैं।

नवंबर के पहले सप्ताह से गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में आसमान साफ रहने से रात से सुबह के समय सर्दी महसूस होगी। लेकिन, दोपहर का तापमान अभी 30 से 35 डिग्री के बीच ही रहेगा। मध्य भारत तक के हिस्सों में सुबह और शाम के समय धुंध और कुहासा छा सकता है। बिल्कुल खुले स्थानों पर हल्का कोहरा भी छा सकता है। दूसरी तरफ, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और समूचे उत्तर-पूर्वी राज्यों में मौसम शुष्क बना रहेगा। अगले एक हफ्ते में धीरे-धीरे तापमान गिरेगा।

मौसम विभाग के रिकॉर्ड बताते हैं कि कम या ज्यादा बारिश का सर्दी से संबंध नहीं होता। जैसे इस बार सामान्य से 6% ज्यादा बारिश हुई। मानसून के बाद भी करीब 65% ज्यादा बारिश हुई। मानसून की विदाई भी देर से हुई तो सर्दी भी ज्यादा पड़ेगी, ऐसा नहीं कहा जा सकता। ला-नीना इस बार ज्यादा सर्दी पड़ने का कारण होगा। विश्व मौसम संगठन के मुताबिक ला-नीना की गतिविधियां उत्तरी गोलार्ध में 2022-23 की सर्दियों के दौरान जारी रहेंगी। इसके मार्च 2023 तक बने रहने की संभावना है। इसके चलते अगले चार महीने कड़ाके की सर्दी पड़ सकती है।

 

ज्यादा होंगे सर्द दिन

इस साल सर्द दिनों की संख्या औसत से अधिक रहेगी। यह लगातार तीसरी सर्दी होगी, जब ला-नीना की स्थितियां बनी रहेंगी। इसका असर बंगाल की खाड़ी में भी दिखेगा। हाल ही में गुजरे समुद्री तूफान सितरंग की तरह अगले दो से तीन महीनों में कई तूफान विकसित हो सकते हैं।

2019 था सदी का दूसरा सबसे ठंडा साल: इस वर्ष इंडियन ओशन डायपोल (IOD) परिस्थितियां न्यूट्रल हैं। वेदर एक्सपर्ट भी चेता रहे हैं कि हाल के वर्षों में 2020 से 2022 तक तीन ला-नीना वर्षों के ठीक पहले 2019 सदी का दूसरा सबसे ठंडा वर्ष था, उस वर्ष देश के कई इलाकों में सर्द दिनों की संख्या औसत से दोगुना तक थीं, लेकिन उस वर्ष ला-नीना परिस्थितियां नहीं थीं।