‘मोदी विजन’ की छटा बिखेरते ‘भारत रत्न’…
जहां पर सबकी सोच खत्म हो जाती है, वहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच शुरू होती है। यह बात अक्षरशः मोदी पर लागू हो रही है। मोदी ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह और पीवी नरसिम्हा राव के साथ ही कृषि क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा कर सबको चौंका दिया है। अब जिसको जिस तरह से आकलन करना हो करता रहे, पर मोदी ने तो भारत के रत्नों को सम्मान दे दिया है। अब अगर नरसिम्हा राव को भारत रत्न मिलने पर कांग्रेस नेता सोनिया गांधी स्वागत करती हैं, तो सवाल उठता है कि यूपीए सरकार में दस साल में क्या नरसिम्हा राव में कांग्रेस को ‘भारत रत्न’ नजर नहीं आया? यह सब जानते हैं कि प्रधानमंत्री रहते नरसिम्हा राव जैसा ‘राम काज’ भी किसी और ने नहीं किया था। आखिर केंद्र सरकार की इच्छा के बिना अयोध्या में बाबरी मस्जिद को कैसे ढहाया जा सकता था, जबकि आशंका पहले से जताई जा रही थी। तो मोदी यह साबित कर रहे हैं कि ‘राम काज’ करने वाला हर इंसान भारत का रत्न ही तो है। तो तीसरी बात कांग्रेस में रहकर कांग्रेस के परिवारवाद से परे नरसिम्हा राव का चेहरा प्रधानमंत्री बतौर चमका था। और पीएम रहते राष्ट्रहित में उनके कामों का लेखा जोखा सबके सामने है। तो चौथी बात चार सौ पार के लिए कांग्रेस को दक्षिण का साथ चाहिए और अब नरसिम्हा राव भारत रत्न के बतौर आंध्र, तेलंगाना, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और पुडुचेरी में मोदी और भाजपा की चमक बिखेरेंगे। राजनैतिक लाभ कितना मिल पाएगा, यह समय ही बताएगा। और नरसिम्हा राव के रहते उत्तर भारत में कांग्रेस के दिग्गजों को पार्टी छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। इनमें नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया जैसे दिग्गज शामिल थे। कहते हैं कि नरसिम्हा राव उत्तर भारत में कांग्रेस को कमजोर करने में लगे थे। और मोदी का मिशन भी तो कांग्रेस मुक्त भारत ही है। ऐसे में नरसिम्हा राव का नाम मोदी विजन में भारत रत्न के सम्मान पर खरा उतरना ही था।
अब बात चौधरी चरण सिंह की करें तो वह देश के किसानों के सर्वमान्य नेता थे। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड हों या पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़, देश में किसानों के नेतृत्व में चरण सिंह सबसे आगे थे। मोदी की घोषणा पर चौधरी चरण सिंह के पोते और राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी ने लिखा- ‘दिल जीत लिया’। आखिर यह दिल ही तो जीता है मोदी ने देश के करोड़ों किसानों का। जैसा कि मोदी ने खुद ट्वीट किया कि ‘हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी, उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई-बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।’
बात करें एमएस स्वामीनाथन को ‘भारत रत्न’ देने की। मोदी ने लिखा- यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए। हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।’ तो स्वामीनाथन के जरिए दक्षिण भारत के लोगों में सम्मान का गौरव जगाने की सफल पहल मोदी ने की है।
इससे पहले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित कर देश की आधी से ज्यादा ओबीसी आबादी पर मोदी ने ध्यान केंद्रित किया था। और बिहार और झारखंड को तो सीधे तौर पर प्रभावित किया ही है। और उसके बाद ‘राम काज’ करने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को सम्मानित कर सभी सनातन प्रेमियों का दिल जीत लिया था। और अपने राजनैतिक गुरु आडवाणी के मन में शिष्य मोदी ने गुरुदक्षिणा भी भेंट कर दी थी। फिलहाल एक साल में ‘भारत रत्न’ के यह पांच नाम बहस का मौका दे रहे हैं। तो यह भी साफ हो सकता है कि 2019 के बाद हर साल एक महान व्यक्तित्व के नाम ‘भारत रत्न’ के लिए समर्पित हो सकती है। तो अभी भी क्या पता कि मोदी के मन में क्या है? हो सकता है कि हर साल के तीन नाम सामने आ जाएं तो एक साथ पंद्रह लोगों को भी ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने का हौसला भी मोदी में है। और इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि यह सभी नाम ‘भारत रत्न’ ही हैं। फिलहाल यह पांचों ‘भारत रत्न’ चुनावी साल में ‘मोदी विजन’ की छटा भी बिखेर रहे हैं…।