Bharat V/S India : देश का नाम आधिकारिक रूप से ‘भारत’ करने की तैयारी!
देखिए VDO : क्या कहा संघ प्रमुख ने!
New Delhi : देश का नाम आधिकारिक तौर पर ‘भारत’ ही रहेगा। कैबिनेट में इस संबंध में आम सहमति की जानकारी आ रही हैं। बताया जा रहा हैं कि गणेश चतुर्थी पर इसकी घोषणा संभव हो सकती हैं। देश में यह बहस इसलिए छिड़ी कि विपक्ष ने अपनी एकजुटता के लिए अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखा है। अब इस बहस में संघ प्रमुख मोहन भागवत की भी इंट्री हो गई।
3 जून 2020 को संविधान में ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ नाम रखने के लिए संविधान संशोधन की याचिका में दखल से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिका को संबंधित अथॉरिटी प्रतिवेदन की तरह देखेगी। फिर इसे बारे में संबंधित मंत्रालय के सामने याचिका भेजी जाएगी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि याचिकाकर्ता इसके लिए सरकार के सामने ही मांग रखे।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि संविधान में भी भारत नाम लिखा है। लिखा है ‘इंडिया दैट इज भारत।’ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप संबंधित मंत्रालय के सामने अपना प्रतिवेदन दें और सरकार को संतुष्ट करें। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया था कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह संविधान में बदलाव करे और ‘इंडिया’ शब्द को बदलकर हिंदुस्तान या फिर भारत कर दे। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर दो जून को सुनवाई करने का फैसला किया था।
याचिकाकर्ता ने अपनी अर्जी में कहा है कि हमारी राष्ट्रीयता के लिए भारत शब्द को संविधान में जोड़ना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से मना करते हुए याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर संबंधित मंत्रालय के सामने भेजने को कहा गया था। अब इस संबंध में निर्णय होने जा रहा हैं।
‘इंडिया’ के बहाने भाजपा पर वार
विपक्ष देश और संविधान बचाने के लिए की गई पहल करार दे रहा है, लेकिन असली लड़ाई मोदी विरोध ही है। ये बात ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के नेताओं के उन बयानों से साफ झलकती है जो मोदी सरकार और बीजेपी को निशाने पर रखकर दी जाती है। राहुल गांधी के निशाने पर भाजपा के साथ आरएसएस (संघ) रहा है। ऐसे में ‘संघ’ प्रमुख मोहन भागवत ने जिस ‘इंडिया’ के विरोध की बिगुल फूंकी, उसे भागवत का कांग्रेस को करारा जवाब माना जा रहा है। क्योंकि, 2024 चुनाव को लेकर देश की सियासत उस मुहाने पर खड़ी है, जहां मोदी विरोधी और मोदी समर्थकों के बीच सियासी जंग साफ देखी जा सकती है।
संघ प्रमुख ‘भारत’ के पक्ष में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि भारत नाम प्राचीन समय से लगातार चला आ रहा है और हम सबको इसे आगे भी जारी रखना चाहिए। हमारे देश का नाम सदियों से भारत ही है। भाषा कोई भी हो, लेकिन नाम एक ही रहता है।
महाभारत काल में राजा दुष्यंत और रानी शकुंतला के वीर पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत रखा गया। वैदिक काल में भारत को आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था। इस दौर में भारत की पहचान विराट और वैभवशाली हुआ करती थी। मोहन भागवत वही कह रहे हैं जो ‘पुराण’ कहते आए हैं। वेद और पुराणों में भारत शब्द का कई जगहों पर उल्लेख है। भागवत उसी भारत के पुनर्जागरण का साक्षी बनना चाहते हैं, जिस वैभवशाली और विश्व गुरु बनने का जिक्र पीएम मोदी 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर कर चुके हैं।
‘इंडिया’ बनाम ‘भारत’ के बीच संघ
संघ प्रमुख के बयान के राजनीतिक निहितार्थ स्पष्ट हैं। ‘इंडिया’ गठबंधन बनने के बाद से ‘भारत’ बनाम ‘इंडिया’ की बहस राजनीति के केंद्र में आ गई। कांग्रेस और भाजपा ‘इंडिया’ और ‘भारत’ को लेकर आमने सामने है। कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया। संघ प्रमुख मोहन भागवत की लोगों से ‘इंडिया’ की जगह ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल करने की अपील भी कहीं न कहीं ‘इंडिया’ गठबंधन के प्रभाव को कम करने वाली है।