
किसानों के लिए राहत का पिटारा बनेगी भावांतर भुगतान योजना
नीलिमा तिवारी
मध्यप्रदेश के सोयाबीन किसानों के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने एक बार फिर भावांतर भुगतान योजना शुरु की है। यह योजना प्रदेश के लाखों किसानों के लिए राहत का पिटारा साबित होगी लेकिन सरकार को इसे व्यापारियों और बिचौलियों के लिए कमाई का साधन बनने से रोकने के लिए इसकी सख्त मॉनिटर भी भी करना होगा। इस योजना को शुरू करने के पीछे सरकार की मंशा साफ है कि किसी भी किसान को फसलों की बिक्री में नुकसान न हो। सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत यह इंतजाम किया है कि मंडियों में व्यापारियों को सोयाबीन बेचने के लिए पहुंचे किसानों को यदि सोयाबीन के लिए मॉडल मूल्य या तय समर्थन मूल्य, 5 हजार 328 रुपए पति क्विंटल से कम राशि प्राप्त होती है तो सरकार एमएसपी और मंडी में सोयाबीन बेचने से मिली राशि के बीच के अंतर की राशि उन किसानों के बैंक खातों में डालेगी।
प्रदेशभर में सोयाबीन खरीफ भावांतर भुगतान योजना अंतर्गत किसानों का पंजीयन ई-उपार्जन पोर्टल पर 3 से 17 अक्टूबर तक होगा। पंजीयन पी एसी एस, सीएससी और एमपी किसान ऐप के माध्यम से कराए जाएंगे। मंडियों में हेल्प डेस्क भी बनाई जा रही है जहां किसान इस योजना की पूरी जानकारी ले सकते है। इस योजना के तहत पंजीकृत किसानों को 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक सोयाबीन मंडियों में बेचने पर भावांतर की राशि मिलेगी।
भावांतर भुगतान योजना को लेकर न केवल मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव बल्कि प्रदेश के मुख्य सचिव अनुराग जैन भी काफी आशान्वित है। मुख्य सचिव अनुराग जैन मंत्रालय में भावांतर भुगतान योजना को लेकर कृषि तथा पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को निर्देशित कर चुके है कि भावांतर भुगतान योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाये। दो अक्टूबर को ग्राम सभाओं में भी इस योजना की जानकारी किसानों को दी गई है। 3 अक्टूबर, 2025 को सभी कृषि उपज मंडियों में होर्डिंग्स एवं पंजीयन केंद्र पर बैनर के माध्यम से योजना की जानकारी देने के इंतजाम किए गए है।
बिचौलिये इस योजना का लाभ न उठाए, सोयाबीन के दाम मंडियों में तेजी से न गिरे और किसान की बजाय व्यापारी इस योजना का लाभ नहीं उठाए इसकी चौकसी करने के विशेष इंतजाम राज्य सरकार कर रही है। किसानों एवं व्यापारियों के वाट्सएप ग्रुप पर एसएमएस के माध्यम से पंजीयन की अनिवार्यता एवं अंतिम तिथि के बारे में जानकारी भेजी जा रही है।
प्रभारी मंत्री की अध्यक्षता में भी 3 से 5 अक्टूबर तक जिला कलेक्टर द्वारा सभी विधायक सांसद, किसान प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर योजना की जानकारी देने को कहा गया है। इन बैठकों के बाद स्थानीय मीडिया के साथ योजना के बारे में चर्चा, भावांतर योजना का व्यापक प्रचार-प्रसार, योजना में निहित लाभ की जानकारी एवं जन जागरण के लिए ट्रैक्टर रैली,मोटर साइकल रैली का आयोजन किया जायेगा। प्रत्येक कृषि उपज मंडी स्तर पर अधिकारी एवं मंडी सचिव द्वारा स्थानीय जनप्रतिनिधि, किसान संगठन और व्यापारियों के साथ परिचर्चा करने का इंतजाम भी है। सभी मंडियों में 15 अक्टूबर, तक भावांतर सहायता डेस्क स्थापित किये जायेंगे। 24 अक्टूबर से 15 जनवरी 2026 तक कृषकों के टेस्टीमोनियल के 30-30 सैकेंड के वीडियो,विश्वसनीयता के कार्य और सम्पूर्ण योजना पर सतत निगरानी की जाएगी।
प्रत्येक मंडी के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जा रही है। योजना के दुरुपयोग को रोकने के लिए व्यापारी के स्टॉक की उपलब्ध रियल टाइम जानकारी का समय-समय पर सत्यापन, मॉडल रेट की सतत निगरानी जिससे कि अनावश्यक गिरावट न हो और भावांतर योजना के तहत खरीदे गए सोयाबीन का भुगतान बैंक खातों में सुनिश्चित करने के पुख्ता प्रबंध भी सरकार ने किए है।
बस देखना यह है कि बिचौलिये इस योजना का फायदा न उठा लें। इसके लिए सेम्पल अनाज की दूसरे राज्यों में कीमतों का परीक्षण कराने का इंतजाम करना होगा। कहीं किसान और व्यापारी मिलकर इस योजना का दुरुपयोग न करें इसके लिए मानीटरिंग सख्त करना होगा। कागजी पंजीयन के आधार पर योजना का लाभ कोई न ले सके इस पर भी नजर रखना होगा। किसानों को समय पर भुगतान हो जाए यह भी देखना होगा। यदि योजना में गड़बड़ियों को रोकने पर्याप्त इंतजाम कर लिए तो वास्तव में समर्थन मूल्य पर खरीदी की बजाय भावांतर भुगतान योजना सरकारी खजाने का भार भी कम करेगी और किसानों के लिए भी उपयोगी साबित होगी।
(गजानंद फीचर सर्विस)





