Bhojshala Issue : जब भोजशाला पुरातत्व संरक्षित इमारत तो फिर सर्वे की इजाजत क्यो?
धार से छोटू शास्त्री की खास खबर
Dhar : भोजशाला के सर्वे में शामिल मुस्लिम प्रतिनिधि अब्दुल समद ने इस बात पर आपत्ति उठाई कि जब भोजशाला को पुरातत्व विभाग की संरक्षित इमारत घोषित किया जा चुका है, तो फिर यहां सर्वे की इजाजत क्यों दी गई। हमें इस बात पर आपत्ति है कि जब सारे दस्तावेज इस इमारत को संरक्षित प्रमाणित करते हैं, तो फिर हिंदू पक्ष को टायटल डिसाइड करने का मौका क्यों दिया गया और हमारी बात को सुना भी नहीं गया। इसी के खिलाफ हम सुप्रीम कोर्ट गए हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी बात को गंभीरता से सुना जाएगा और हमारे साथ न्याय होगा।
मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि अब्दुल समद ने सर्वे पर जाने से पहले मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज सुप्रीम कोर्ट में हमारी याचिका पर सुनवाई होना है। इससे संबंधित जो भी लीगल पॉइंट है वह तो हमारे वकील तय करके बहस पर जाएंगे। लेकिन, हमारा मूल पॉइंट था कि उन लोगों ने यह बोलकर इंटरिम आवेदन पर आर्डर करवा लिया कि हमारा पूजा के अधिकार का हनन हो रहा है, तो इस स्मारक का टाइटल डिसाइड किया जाए। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश दिया है। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम भी सामने आए हैं। हम भी हिंदुस्तान में रहते हैं, हमारे भी कुछ अधिकार हैं। वही कंडीशन मुस्लिम समाज पर भी लागू होती है। हमारा भी नमाज का अधिकार जाया हो रहा है।
आप एक पिटीशन पर टायटल डिसाइड कर देंगे तो फिर निचली अदालत की, कोर्ट की, सिविल सूटों की ओर मालिकाना हक की जो हमारा है उसका क्या होगा? इस बेस पर हम अपनी आपत्ति दर्ज कराने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गए हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि हमारी बात को सुना जाएगा।
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उन्होंने कहा कि जुडिशल और कानूनी व्यवस्था पर हमारा पूरा अधिकार और विश्वास है। हमको पूरा विश्वास है और हमारे संविधान पर भरोसा है। हमको जो हक दिए गए हैं, हम उसका उपयोग करते हैं और भारतीय नागरिक होने के नाते हमको पूरी उम्मीद है कि माननीय उच्चतर न्यायालय है कोई न कोई गाइडेंस हमें देगा या हमारी बात को रखने का मौका देगा। इस सर्वे के खिलाफ हम इसलिए गए हैं कि उन चीजों पर विचार किया जाए, जो 1902-1903 और इसके बाद डिसाइड हुई ही। उसमें साफ हो चुका है कि यह एक संरक्षित इमारत है। यह पुरातत्व की संरक्षित इमारत घोषित हो चुका है तो उसको सर्वे करके क्यों बदला जा रहा है।
Bhojshala Issue : जब भोजशाला पुरातत्व संरक्षित इमारत तो फिर सर्वे की इजाजत क्यो?
अब्दुल समद ने कहा कि इसमें जो इनलीगल चीज अंदर गई है 2003 के बाद उसके खिलाफ भी हम जबलपुर हाईकोर्ट गए और उसे चेलेंज किया है। उसको भी क्लब नहीं किया गया। 2019 की हमारी एक पिटीशन लगी थी जो इन अवैध गतिविधियों के खिलाफ लगाई गई थी। उस पर भी अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई। वह 2022 में पेंडिंग कर दी गई और बाहर के लोगों द्वारा जो यूपी में रहते हैं जो एमपी के भी नहीं है उन लोगों द्वारा एक याचिका लगाई गई हिंदू फ्रंट फ़ॉर जस्टिस के नाम से उसमें भी बेमानी है की गई की 5 फरवरी को एक इंटरिम आवेदन लगाकर मांग की कि इसका सर्वे किया जाए। उसे पर कोर्ट ने आर्डर रिजर्व कर दिया हमें मौका भी नहीं दिया गया। उसके खिलाफ हम लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं और हम हमारी पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट से हमको राहत मिलेगी।
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