Bhopal Danced To The Rhythm of ‘Hori Ho Brajraj’- टैगोर विश्व कला संस्कृति केन्द्र ने दिया सद्भाव का पैगाम

675

Bhopal Danced To The Rhythm of ‘Hori Ho Brajraj’- टैगोर विश्व कला संस्कृति केन्द्र ने दिया सद्भाव का पैगाम

आसमान से उतरती फागुनी शाम जब रंगों की पुरखुश सौगात समेट लाई तो मन का मौसम भी खिल उठा। रवीन्द्र भवन के खुले मंच पर ‘होरी हो ब्रजराज’ ने ऐसा ही समां बांधा। मुरली की तान उठी, ढोलक, मृदंग और ढप पर ताल छिड़ी, होरी के गीत गूँजे और नृत्य की अलमस्ती में हुरियारों के पाँव थिरके। रंगपंचमी की पूर्व संध्या लोकरंगों की गागर छलकी तो शहर के रसिकों का रेला भी उसकी आगोश में उमड़ आया।

4b527a5e 75e3 4076 b6eb 954b2f4eb830

67dac6c5 a6d2 4f9b 9c21 b287d4cad8c4

टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और पुरू कथक अकादेमी की साझा पहल पर बीती शाम प्रेम, सद्भाव और अमन की आरज़ुओं का यह अनूठा पैगाम था। कथक नृत्यांगना क्षमा मालवीय के निर्देशन में साठ से भी ज़्यादा कलाकारों ने मिलकर ‘होरी हो ब्रजराज’ को अंजाम दिया।

7b404268 579f 4e7f b30e c4f926bc8003

16802817 2ac5 47d1 a246 560a661ab886

वरिष्ठ कवि-कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे की परिकल्पना से तैयार हुई लगभग डेढ़ घंटे की इस प्रस्तुति में ब्रज और मैनपुरी के तेरह पारम्परिक होली गीतों को शामिल किया गया। इन गीतों के साथ जुड़े प्रसंगों और संगीत-नृत्य के पहलुओं को कला समीक्षक और उद्घोषक विनय उपाध्याय ने बखूबी पेश किया। प्रकाश परिकल्पना का सुंदर संयोजन वरिष्ठ रंगकर्मी अनूप जोशी बंटी ने किया।

e0361bce cfe4 44a4 a7b3 3a00281de3fc

 

संगीत समन्वय और गायन समूह में संतोष कौशिक, राजू राव, कैलाश यादव, उमा कोरवार, आनंद भट्टाचार्य, वीरेन्द्र कोरे आदि कलाकारों की भागीदारी रही। तकनीकी सहयोग आईसेक्ट स्टुडियो और आरएनटीयू स्टुडियो का रहा। प्रस्तुति से पहले टैगोर कला केन्द्र की पुरस्कृत सांस्कृतिक पत्रिका ‘रंग संवाद’ के विशेषांक का लोकार्पण हुआ। यह अंक कलाओं में परम्परा, प्रयोग और नवाचार पर केन्द्रित है।

a349228f dbbf 4c0b bdd4 80fe3896a0f9

टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे, इलेक्ट्रॉनिकी की संपादक डॉ. विनीता चौबे, कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह, वरिष्ठ कवि एवं विश्व रंग के सहनिदेशक लीलाधर मंडलोई, आईसेक्ट के निदेशक एवं विश्व रंग के सहनिदेशक डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, एजीयू की निदेशक एवं विश्वरंग की सहनिदेशक अदिति चतुर्वेदी वत्स तथा टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय ने इस मौके पर होली की शुभकामनाएँ दीं।

साहित्य और कलाओं के महोत्सव विश्वरंग के अन्तर्गत आयोजित श्रृंखलाबद्ध गतिविधियों में ‘होरी हो ब्रजराज’ एक अलहदा सांस्कृतिक प्रस्तुति के रूप में लोकप्रिय है। संगीत, नृत्य और ध्वनि-प्रकाश के अनोखे तालमेल से तैयार हुए भव्य प्रदर्शन की ख़ासियत उसका पारम्परिक स्वरूप है। वृन्दावन और गोकुल के गैल-गलियारों में कृष्ण-राधा तथा ग्वाल-बालों के संग खेली जा रही होली की मनोहारी छवियों के साथ ही यहाँ मिट्टी की सौंधी गंध से सराबोर लोक धुनों और संगीत का आनंद है। सदियों से ब्रज और मैनपुरी के इलाकों में आज भी ये होलियाँ गायी जाती हैं। इन होलियों में भारतीय जीवन और संस्कृति के आदर्श मूल्य हैं। भक्ति और प्रेम के रंग है।

Bhopal Danced To The Rhythm of 'Hori Ho Brajraj

परम्परा के होरी गीतों ने मन मोहा
इस दौरान होरी के पारंपरिक गीतों में “चलो सखी जमुना पे मची आज होरी…”, “यमुना तट श्याम खेलत होरी…”, “बरजोरी करें रंग डारी…”, “बहुत दिनन सों रूठे श्याम…”, “मैं तो तोही को ना छाडूंगी…” और “रंग में बोरो री…” ने उपस्थित दर्शकों का मन मोहा।

32nd Vyas Samman To Dr. Gyan Chaturvedi: पद्मश्री डॉ. ज्ञान चतुर्वेदी को 32वां व्यास सम्मान 

डॉ वेदप्रताप वैदिक: न भूतों न भविष्यति