Metropolitan क्षेत्र बने Bhopal-Indore …अधिसूचना जारी, आई बहुप्रतीक्षित भोर…

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Metropolitan क्षेत्र बने Bhopal-Indore …अधिसूचना जारी

आखिरकार लंबे इंतजार की घड़ियां खत्म हो ही गईं। भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने की अधिसूचना जारी होते ही वह घड़ी आ गई जिसका इंतजार पुलिस महकमे को वर्षों से था।
लेकिन जैसे ही पुलिस कमिश्नर प्रणाली की चर्चा होती थी, वैसे ही आईएएस लॉबी सक्रिय हो जाती थी और अंततः पुलिस कमिश्नर प्रणाली की ख्वाहिश औंधे मुंह गिरकर दम तोड़ देती थी। पुलिस महकमा मायूस होता था तो प्रशासनिक महकमा इसे हमेशा पुलिस के मंसूबों पर पानी फेरने के बाद की खुशी समझकर शालीन मुद्रा में ही सही ठहाका तो लगा ही लेते थे।
Metropolitan क्षेत्र बने Bhopal-Indore ...अधिसूचना जारी, आई बहुप्रतीक्षित भोर...
लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, क्योंकि चौथी पारी में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की अधिसूचना जारी कर वह सभी मुंह बंद कर दिए, जो अभी भी यह अटकलें लगाने में कोई कंजूसी नहीं बरत रहे थे कि एक बार फिर हर बार की तरह पुलिस कमिश्नर प्रणाली जन्म लेने से पहले ही स्वर्ग सिधार जाएगी।
पर इस बार आकलन गलत साबित हो चुका है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली की अधिसूचना जारी कर अटकलों को पूरी तरह से दफन कर दिया है।
और अब मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र बनकर कानून-व्यवस्था, अपराध और आंतरिक सुरक्षा के मामलों में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए भोपाल-इंदौर नगरीय क्षेत्र पूरी तरह से तैयार हैं। दोनों ही शहर पुलिस की मनचाही मुराद पूरी होने के बाद शुक्रवार सुबह नई भोर का स्वागत करने के लिए तैयार हैं।
भोर यह भी बताएगी कि आज रात की आंखों से नींद ओझल थी और खुली आंखों में वह सब पुलिसिया चेहरे इधर-उधर टहलते नजर आते रहे जो मेट्रोपॉलिटन सिटी बनने के बाद भोपाल-इंदौर में पहले पुलिस कमिश्नर, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, पुलिस डिप्टी कमिश्नर, एडिशनल पुलिस डिप्टी कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर और सहायक रेडियो अधिकारी के रूप में अपना नाम दर्ज कराएंगे।
दोनों मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में पुलिस बदली-बदली नजर आएगी। सीना चौड़ा दिखेगा पदनाम में  कमिश्नर की मौजूदगी से, तो कार्यपालिक मजिस्ट्रेट और विशेष कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकारों का उपयोग कर ओहदा भी पहले से सौ गुना ज्यादा गौरवान्वित करने वाला है।
तो जिम्मेदारी तो मानो यह अहसास कराने को तैयार है कि अब शहर पूरी तरह से तुम्हारे ही हवाले है। और फिर क्या पुलिस पूरे अनुशासन और सख्ती के साथ जमीन पर पैर टिकाकर आसमान को छूकर कानून व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में लाकर ही दम लेगी।
 गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और डीजीपी विवेक जौहरी ने अधिसूचना जारी होते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को फूलों का गुलदस्ता भेंट कर सबसे पहले बधाई देकर अपनी खुशी का इजहार किया।
मिश्रा ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश पुलिस के लिए आज एक ऐतिहासिक दिन है। भोपाल और इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली आज से लागू हो गई है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक/ पुलिस महानिरीक्षक स्तर का अधिकारी भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त होगा।
तो राज्य सरकार ने ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए प्रदेश के महानगर भोपाल और इंदौर में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लागू कर दिया है। कानून-व्यवस्था के प्रभावी क्रियान्वयन और दोनों शहरों की जनसंख्या 10 लाख से अधिक होने पर राज्य सरकार ने संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक नगरीय क्षेत्रों एवं सीमाओं को मेट्रो पोलिटियन क्षेत्र घोषित किया है।
पुलिस आयुक्त प्रणाली में इंदौर नगरीय पुलिस जिले में 36 थानों और भोपाल नगरीय पुलिस जिले में 38 थानों की सीमाओं को शामिल किया गया है।
पुलिस आयुक्त प्रणाली के लागू हो जाने से इंदौर और भोपाल के पुलिस आयुक्त की शक्तियों एवं प्राधिकारों को मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक तथा महानिरीक्षक के सामान्य नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण के अधीन निहित किया गया है। पुलिस आयुक्त को कार्यपालक मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ होंगी।
इंदौर और भोपाल नगरीय पुलिस जिले में पदस्थ पुलिस उपायुक्तों एवं पुलिस सहायक आयुक्तों को अपने-अपने अधिकारिता क्षेत्र में विशेष कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त कर शक्तियाँ प्रदान की गई हैं। मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र में पुलिस आयुक्त के अधीन पुलिस का प्रशासन रहेगा।
पुलिस आयुक्त सीधे पुलिस महानिदेशक के नियंत्रण एवं निगरानी में काम करेंगे। जेल में बंद कैदियों को पैरोल और आपातकाल में पैरोल बोर्ड की अनुशंसा पर सशर्त छोड़ा जा सकेगा।
गैर कानूनी ज़हर या तेज़ाब रखने अथवा बेचने वालों की तलाशी से बरामद ज़हर या तेज़ाब जप्त किया जा सकेगा। वैश्यावृत्ति के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकेगी और इस पेशे में धकेली गई महिलाओं को मुक्त कराया जाकर उन्हें संरक्षण-गृह में भेजा जा सकेगा।
केन्द्र सरकार द्वारा मेट्रोपोलिटिन क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठनों को गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने के लिये प्रतिबंधित किया जा सकेगा। वाहनों की पार्किंग स्थानीय अधिकारियों से समन्वय कर निर्धारित की जा सकेगी। वाहनों की गति सीमा निर्धारित की जा सकेगी।
लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिये या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए, वाहनों की अधिकतम गति निर्धारित करने के लिये उपयुक्त ट्रैफिक साइन लगाये जा सकेंगे।
लोक सुरक्षा के हित में या उनकी सहूलियत के लिये या किसी सड़क या पुल की स्थिति को देखते हुए, श्रेणी विशेष के वाहनों के उपयोग को सामान्यत: अथवा निर्धारित क्षेत्र या निर्धारित सड़क पर प्रतिबंधित किये जा सकेंगे या सशर्त अनुमति दी जा सकेगी।
गुण्डे-बदमाशों और ऐसे अपराधी तत्वों के गैंग और आदतन अपराधियों को जिलाबदर किया जा सकेगा। सरकारी गोपनीय दस्तावेज रखने और इस अधिनियम के विरुद्ध की गई गतिविधियों पर कार्यवाही की जा सकेगी।
तो अब उन्हीं अधिकारों का पुलिस बेहतर तरीके से प्रयोग करेगी, जो अधिकार उसे पहले से मिले हुए थे। कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के अधिकार न होने से वह खुद को अधिकारविहीन समझने को मजबूर थी। अब सारे अधिकारों के साथ इन दो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्रों में पंख लगाकर आसमान में उड़ने को तैयार है।
नई भोर और नई व्यवस्था में अपराधी जमीन में दफन हो जाएंगे, आंतरिक सुरक्षा चाक-चौबंद हो जाएगी और एक्सीडेंट्स फ्री होकर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र शांति के टापू बने नजर आएंगे। यही शुभकामनाएं इन दो मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र की संपूर्ण आबादी की तरफ से।