Varanasi: काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय (BHU) के Faculty of Dental Science (फैकल्‍टी ऑफ डेंटल साइंस) में की गई एक study के मुताबिक अब लोगों मे 32 की जगह 27 या 28 दाँत आ रहे हैं।मानव मे यह बदलाव दंत चिकित्सकों के लिए चिंता का विषय है।साइंटिस्ट का कहना है कि यदि ऐसा ही रहा तो आने वाले 500 साल के बाद दाँत मानव के अवशेषी अंगों में शामिल हो जाएगा।लोग अब जिस प्रकार से Fast food के habitual होकर कड़ी चीजे खाने से परहेज कर रहे हैं उससे कम चबाने की वजह से जबड़ों का विकास नहीं हो रहा है।जिसकी वजह से 35 फीसदी युवाओं में यदि 32 दांत आ भी जाते हैं तो टेढ़े-मेढ़े होने से इन्‍हें ठीक करवाना पड़ता है।

BHU के फैकल्‍टी ऑफ डेंटल साइंस एक्‍सपर्ट Prof. Dr. TP Chaturvedi @tpchaturvedibhu पिछले 20 साल से OPD में आने वाले मरीजों खासकर युवाओं पर अध्ययन कर रहे हैं।उन्होंने बताया कि 21वीं सदी के 20 फीसदी से ज्‍यादा युवाओं में बत्तीसी यानी 32 दांत की जगह 28 दांत ही निकल रहे हैं।जबड़े के सबसे पिछले हिस्‍से में अक्‍ल दाढ़ (Wisdom Teeth) विकसित ही नहीं हो रही है।35 फीसदी युवाओं में 32 दांत आ भी जाते हैं तो टेढ़े-मेढ़े होने से इन्‍हें ठीक करवाना पड़ता है।18 से 25 साल की उम्र के बीच लोगों के 29 से लेकर 32 दांत निकलते हैं. इन्हें आम बोलचाल की भाषा में अक्‍ल दाढ़ कहते हैं.

अध्‍ययन में पता चला है कि 20 फीसदी युवाओं में अक्‍ल दाढ़ न निकलने से चबाने वाले दांतों की संख्‍या घटकर आठ रह गई है. मसूड़े का आकार भी कम हो गया है. सामने की ओर काटने वाले 20 दांतों में कोई बदलाव देखने में नहीं आया है।पहले लोगों के जबड़े बड़े होते थे।लोग भुना चना, भुट्टा और तमाम कड़ी चीजें चबाकर खाया करते थे।सुबह नीम की दातून चबाते थे।गांव में अब भी लोग ऐसा कर रहे हैं, लेकिन शहरों के युवा इससे दूर हो गए हैं।फास्ट फूड के जमाने में शहरी युवा अब कड़ी चीजें खाने से परहेज कर रहे हैं।कम चबाने से जबड़ों का साइज छोटा होने लगा है।ऐसे में अक्‍ल दाढ़ विकसित होने के लिए स्‍थान ही नहीं बच रहा।बड़ी तेजी से लोगों में इसकी कमी देखी जा रही है, ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले 5000 साल में यह मानव का अवशेषी अंग हो जाएगा।