भूपेंद्र सिंह भोपाल में थे,तो कोर कमेटी की मीटिंग में क्यों नहीं पहुंचे?
भोपाल: मध्य प्रदेश का सागर जिला इन दिनों सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। जिले के तीनों मंत्रियों भूपेंद्र सिंह, गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत के विवाद की खबरें मीडिया में चौतरफा देखी जा सकती है।
तीनों के विवाद के बाद बताया गया है कि विवाद को सुलझाने के लिए सीएम शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने एक बैठक बुलाई।
सागर जिले के कोर कमेटी और जनप्रतिनिधियों के साथ सीएम शिवराज सिंह चौहान व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ मुलाकात के मामले में सामने आए मसले को लेकर गोपाल भार्गव ने कहा कि मंगलवार को मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश अध्यक्ष शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा से अलग-अलग मुलाकात जरूर हुई है लेकिन इसमें सागर जिले के विकास और समस्याओं के अलावा कोई मुद्दा नहीं उठा। न ही किसी के भी बारे में कोई शिकायत की गई है। भार्गव ने कहा कि चूंकि जिला कोर कमेटी को बुलाया गया था और कुछ जानकारी चाही गई थी। इसलिए सभी से मुलाकात के दौरान जिले के विकास और अन्य कठिनाइयों की चर्चा सीएम और संगठन से की है।
*सिर्फ कामकाज को लेकर चर्चा*
उधर बीजेपी जिला अध्यक्ष सागर गौरव सिरोठिया का कहना है कि सागर की जिला कोर कमेटी को बुलाया गया था तो इस बैठक में संगठनात्मक कामकाज और अन्य विकास के मामलों में चर्चा हुई है। जैसा बताया जा रहा है वैसे किसी मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं की गई। इस बैठक के लिए जिले के सभी जनप्रतिनिधि साथ पहुंचे थे।
इस पूरे मामले में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि सागर जिले से मंत्री भूपेंद्र सिंह भी इस दिन भोपाल मेंं थे। वे पहले अवैध कालोनी वैध करने के कार्यक्रम में और बाद में कैबिनेट बैठक में सीएम शिवराज और अन्य मंत्रियों के साथ थे तो सागर जिले के जनप्रतिनिधियों की बैठक में क्यों नहीं पहुंचे? सागर जिले की कोर कमेटी में वे भी शामिल हैं। इसलिए अन्य जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी और भोपाल में होने के बाद भी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष के साथ हुई बैठक में मंत्री भूपेंद्र की नामौजूदगी सवाल खड़े कर रही है।
इसी संदर्भ में चल रही चर्चाओं और मीडिया में आई खबरों को लेकर लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि हम संघर्ष की कोख से पैदा हुए हैं, इस्तीफे की कोई बात नहीं है। भार्गव ने कहा कि हम इस्तीफे लेने वाले हैं, देने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में शामिल हैं। इसलिए इस्तीफा का सवाल ही नहीं उठता। जब उस दौर में संघर्ष में पीछे नहीं हटे तो अब क्यों हटेंगे?