

Big Achievement: ACS नीरज मंडलोई की पहल रंग लाई, कोल इंडिया से कर्ज मुक्त हुआ ऊर्जा विभाग
कोयले की आपूर्ति को लेकर हाहाकार पर अब लगा विराम
रामानंद तिवारी की विशेष रिपोर्ट
भोपाल। Big Achievement: MP में ACS नीरज मंडलोई की पहल रंग लाई है। राज्य का ऊर्जा विभाग पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में कोल इंडिया से कर्ज मुक्त हो गया है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव नीरज मंडलोई के विजनरी फैसलों ने मप्र के सभी थर्मल पॉवर प्लांटों को कोल इंडिया के कर्ज से पूरी तरह मुक्त कर दिया हैं। 31 मार्च 2025 का क्लोजिंग बैेलेंस कर्जे के मामले में जीरो है और कोयले की उपलब्धता पर्याप्त है।
“इन्फ्रास्ट्रेक्चर वर्क्स के लक्ष्य में हुआ इजाफा”
ऊर्जा विभाग के प्रतिमाह होने वाले खर्च की राशि में भी इजाफा हुआ है। इसमें कोयला एवं बिजली की राशि शामिल नहीं है। पूर्व में “इन्फ्रास्ट्रेक्चर वर्क्स” में 560 करोड़ का लक्ष्य हुआ करता था। जिसमें ग्रोथ मार्च माह में 5300 करोड़ की हुई है। कोयले का जीरों बेलेंस हो गया है। इसके साथ ही विभाग द्वारा की जाने वाली वसूली में भी 8 से 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। सब्सीडी भी नियंत्रण में रही है।
“सरकारी विभागों से वसूली हुई पूरी”
दरअसल, पिछले दो-तीन वर्षो से पेडिंग पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से 1100 करोड़ रूपए की वसूली की जाना थी, वह भी मंझधार में थी। इसके अलावा अर्बन में भी पिछले एक वर्ष से 498 करोड़ के बील पेडिंग थे। 500 निकायों से 500 करोड़ की राशि विभाग को इस वित्तिय वर्ष में प्राप्त हुई। साथ ही पंचायत से भी 1123 करोड़ की राशि प्राप्त हो गई। इमिडिएट रिकवरी का असर यह हुआ कि जो टेरिफ वृद्धि 7.50 प्रतिशत मांगी थी वह गुड परफार्मेंस के चलते महज 3.46 फीसदी कीमत पर ही सिमट कर रह गई।
सूत्रों के अनुसार मप्र में विंध्याचल सुपर पॉवर और 4.760 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ देश का सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट है। इसी तरह अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन पावर प्लांट भी मध्य प्रदेश में स्थित है और राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में योगदान देता है। इसी प्रकार संजय गांधी थर्मल पावर स्टेशन प्लांट और संत सिंगाजी थर्मल पावर प्लांट पावर प्लांट भी मध्य प्रदेश में स्थित है और ऊर्जा उत्पादन में योगदान देते हैं। जहां तक सवाल है सतपुड़ा थर्मल पावर स्टेशन का तो यह प्लांट भी राज्य की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक है।
बता दें कि, इन थर्मल पावर प्लांट्स के लिए कोयले की आपूर्ति मुख्यतः राज्य और पड़ोसी क्षेत्रों की कोयला खदानों से की जाती है। हाल ही में, मध्य प्रदेश सरकार को 4.100 मेगावाट के नए थर्मल पावर प्लांट के लिए कोयला आवंटन की मंजूरी मिली है। यह निर्णय राज्य को पिछली बार 2019 में दिए गए 1.360 मेगावाट कोयला आवंटन के 5 वर्षों बाद आया है। आश्चर्य एवं चौंकाने वाला वाक्या यह है कि, मप्र में पहली बार कोयले की आपूर्ति को लेकर हाहाकार पर अब पूर्णतया विराम लग गया है।