
Big Decision of Special Court: अलीराजपुर जिले के पंचायत सचिव हनीफ खान की 71 लाख से अधिक की काली कमाई राजसात करने के आदेश
ALIRAJPUR: जनजातीय बहुल अलीराजपुर जिले में भ्रष्टाचार की जड़ों पर सीधी चोट करते हुए इंदौर स्थित विशेष न्यायालय ने एक बेहद कड़ा और मिसाल बनने वाला फैसला सुनाया है। सोंडवा विकासखंड की ग्राम पंचायत बड़ी बेकल के सचिव हनीफ खान और उनकी पत्नी शबीना खान निवासी जोबट की अनुपातहीन संपत्ति को मध्यप्रदेश शासन के पक्ष में राजसात कर दिया गया है। अदालत ने साफ कहा है कि अवैध संपत्ति का अर्जन घोर कदाचार है और ऐसे अपराधों में किसी भी प्रकार की नरमी न तो न्यायसंगत है और न ही स्वीकार्य।
*▪️2014 में दर्ज हुआ था मामला*
▫️अपराध कमांक 441/2014 के तहत पीसी एक्ट 1988 की धारा 13(1) ई और 13(2) के साथ धारा 109 और 120बी भादवि में हनीफ खान, सचिव ग्राम पंचायत बड़ी बेकल, और उनकी पत्नी शबीना खान निवासी जोबट के विरुद्ध 30 सितंबर 2014 को अनुपातहीन संपत्ति का मामला पंजीबद्ध हुआ था। प्रारंभिक जांच में ही संदिग्ध चल और अचल संपत्तियों का बड़ा जाल सामने आ गया था, जिसके बाद मामले ने गंभीर रूप ले लिया।
*▪️विशेष न्यायालय में पेश हुआ 91.79 लाख का राजसात प्रस्ताव*
▫️मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 के अंतर्गत इंदौर विशेष न्यायालय के समक्ष 20 जून 2022 को कुल 91 लाख 79 हजार 536 रुपये 84 पैसे की अनुपातहीन संपत्ति राजसात की कार्यवाही के लिए प्रस्तुत की गई। इस प्रस्ताव में आरोपी दम्पत्ति द्वारा अर्जित चल अचल संपत्तियों का विस्तृत अभिलेख सम्मिलित था, जिन पर वैध आय के अनुरूप कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं था।
*▪️कोर्ट ने 71 लाख 73 हजार की संपत्ति अधिहृत करने का आदेश दिया*
▫️माननीय विशेष न्यायालय इंदौर ने 25 नवंबर 2025 को महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए कुल 71 लाख 73 हजार 739 रुपये मूल्य की संपत्ति को मध्यप्रदेश शासन के पक्ष में राजसात कर दिया। साथ ही अलीराजपुर जिला कलेक्टर को निर्देशित किया गया कि पूरी संपत्ति का आधिपत्य तत्काल प्रभाव से शासन को सुपुर्द किया जाए। यह आदेश जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कानूनी कार्रवाई मानी जा रही है।
*▪️भ्रष्टाचार पर अदालत की तीखी टिप्पणी*
▫️अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि भ्रष्टाचार न केवल प्रशासनिक तंत्र को खोखला करता है बल्कि समाज की संरचना को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। अवैध संपत्ति अर्जित करना निंदनीय है और जब आरोपी वैध स्रोत का संतोषजनक विवरण प्रस्तुत करने में विफल रहते हैं, तो यह स्पष्ट आपराधिक कदाचार माना जाता है। इसी आधार पर न्यायालय ने आरोपीगण के प्रति किसी भी प्रकार की उदारता बरते बिना उनकी संपत्ति को अधिहृत कर लिया है।





