Big Disclosure of Chidambaram: 26/11 हमलों के बाद अमेरिकी दबाव में भारत ने नहीं की पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई 

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Big Disclosure of Chidambaram: 26/11 हमलों के बाद अमेरिकी दबाव में भारत ने नहीं की पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई 

नई दिल्ली। Big Disclosure of Chidambaram: भारत के पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार ने पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई करने की बजाय अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण संयम बरतने का फैसला लिया। उनका दावा है कि उस समय अमेरिका सहित कई देशों ने भारत को रोकने का प्रयास किया और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने भी सैन्य कार्रवाई को गलत ठहराया।

 

Big Disclosure of Chidambaram: चिदंबरम ने स्पष्ट कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा जवाब देने के पक्ष में थे, लेकिन विदेश मंत्रालय और अंतरराष्ट्रीय परिस्थितियों की वजह से सरकार ने कोई सैन्य कार्रवाई नहीं की। उन्होंने बताया कि विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने यह राय दी थी कि सैन्य जवाबी कार्रवाई से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को नुकसान हो सकता है और स्थिति नियंत्रण से बाहर जा सकती है।

 

Big Disclosure of Chidambaram: इकॉनॉमिक टाइम्स समेत कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उस समय अमेरिका ने भारत पर जोर डाला था कि वह पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कदम न उठाए। अमेरिकी नेतृत्व को आशंका थी कि ऐसा कदम भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापक युद्ध को जन्म दे सकता है। इसी दबाव और विदेश मंत्रालय की सलाह के आधार पर भारत ने जवाबी हमले का विकल्प टाल दिया।

 

**26/11 का हमला**

नवंबर 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले में पाकिस्तान से आए 10 आतंकवादियों ने शहर के कई स्थलों- ताज होटल, ओबेरॉय, सीएसटी स्टेशन और नरीमन हाउस सहित पर अन्य स्थानो पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकवादी अजमल कसाब था, जिसे बाद में फांसी दी गई।

 

**राजनीतिक प्रतिक्रियाएं**

चिदंबरम के खुलासे पर भाजपा ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है। भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में कमजोर और झुकने वाला रवैया अपनाया। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सरकार ने उस समय व्यापक युद्ध से बचने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया था।

पूर्व गृह मंत्री का यह बयान 26/11 हमलों के बाद भारत की नीति और निर्णय प्रक्रिया पर नए सिरे से सवाल खड़े करता है। इसने सुरक्षा बनाम कूटनीति की उस बहस को फिर से जिंदा कर दिया है, जिसमें यह देखा जाता है कि क्या तत्काल कठोर जवाबी कार्रवाई जरूरी थी या अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच संयम बरतना ही देशहित में था।