

Big Displacement for Coal Reserves : MP के एक शहर के नीचे कोयले का भंडार, 22 हजार मकान तोड़कर कोयला निकलेगा!
Singrauli : प्रदेश के एक शहर का नामो निशान मिटाने की तैयारी की जा रही है। इस तैयारी में पूरा शहर ध्वस्त होगा। सभी बिल्डिंगें गिरा दी जाएंगी। यह काम होगा सिंगरौली के मोरवा में, जहां के हजारों लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। कोयले के विशाल भंडार को बाहर निकालने के लिए मोरवा को हटाया जा रहा है। यहां जमीन के नीचे सैंकड़ों मिलियन टन कोयला दबा है, जिसका खनन करने के लिए शहर को हटाया जा रहा।
सिंगरौली जिले का मोरवा कस्बा सरकार को आर्थिक सम्पन्नता देने के मामले में सबसे आगे है। यहां रेलवे स्टेशन, कोल माइंस है। लेकिन, यहां सबसे अधिक कोयला भी मौजूद है। इसी वजह से मोरवा में बसे लोगों को विस्थापित किया जा रहा है। इसे एशिया में नगरीय क्षेत्र का सबसे बड़ा विस्थापन बताया जा रहा है।
इस विस्थापन से प्रभावित लोगों के लिए पुनर्वास योजनाएं बनाई जा रही हैं। लेकिन, यह प्रक्रिया उनके लिए आसान नहीं होगी। पुराना घर, बचपन की यादें और सामाजिक जुड़ाव छोड़कर किसी नए स्थान पर बसना भावनात्मक और आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
22 हजार मकान तोड़ने से 50 हजार से ज्यादा का विस्थापन
मोरवा के करीब 50 हजार निवासियों को विस्थापन का यह दर्द भोगना होगा। यहां के करीब 22000 घरों और बिल्डिंगों को तोड़ा जाएगा। रहवासियों की शिफ्टिंग का काम जल्द शुरू किया जा रहा है। लोगों को विस्थापन के बदले करीब 35 हजार करोड़ रुपए का मुआवजा देने का अनुमान है। साथ ही इस मकानों को तोड़ने की योजना पर ₹24 हजार करोड़ खर्च होंगे।
जमीन में दबा 600 मिलियन टन कोयले का भंडार
मोरवा के आवासीय इलाके में जमीन के नीचे करीब 600 मिलियन टन कोयले का भंडार होने का अनुमान है। जल्द ही इस आवासीय इलाके के 500 मीटर पास तक खनन पहुंचने वाला है, इसलिए शिफ्टिंग की तैयारी शुरू की जा रही है। 927 एकड़ में फैली टाउनशिप का शिफ्टिंग का काम नॉर्दर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) करेगी। एनसीएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक बी साईराम के मुताबिक इस बड़े प्रोजेक्ट की करीब 24 हजार करोड़ रुपए की लागत है। विस्थापित होने वालों से जुड़ी हर जरूरी बात को लेकर बातचीत की गई है।