Big Land Scam : 54 करोड़ के जमीन घोटाले में धामी सरकार का जबरदस्त एक्शन!

10 अधिकारी निलंबित, 2 की सेवा समाप्त, कलेक्टर, 2 आईएएस और 1 पीसीएस को आरोपी बनाया! 

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Big Land Scam : 54 करोड़ के जमीन घोटाले में धामी सरकार का जबरदस्त एक्शन!

मीडियावाला के स्टेट हेड विक्रम सेन की रिपोर्ट 

Haridwar : उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार के भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए सभी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। 54 करोड़ रुपए के इस घोटाले में डीएम, पूर्व नगर आयुक्त और एसडीएम समेत 7 अधिकारियों को निलंबित किया गया। इस मामले में तीन अधिकारी पहले ही निलंबित किए जा चुके हैं। जबकि, दो की पूर्व में सेवा समाप्त की जा चुकी है।

हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित 2.3070 हेक्टेयर अनुपयुक्त और सस्ती कृषि भूमि को 54 करोड़ रुपए में खरीदने के मामले पर अनेकों सवाल उठाए गए थे। बताया गया था कि बाजार भाव से भी तीन से चार गुना अधिक कीमत पर इसे खरीदा गया। इसके बाद भी यह भूमि शासन के नियमों को दरकिनार करते हुए खरीदी गई। न तो भूमि की वास्तविक आवश्यकता थी, न पारदर्शी बोली प्रक्रिया अपनाई गई। शासन के स्पष्ट नियमों को दरकिनार कर एक ऐसा सौदा किया गया जो हर स्तर पर संदेहास्पद था। इस घोटाले ने उत्तराखंड में हलचल मचा दी थी। इसके चलते इस बार मामला रफा-दफा नहीं हुआ।

इस पूरे मामले की जांच के आदेश मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दिए थे। इस पर प्रदेश के गन्ना और चीनी विभाग के सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। जिस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने मंगलवार को शेष सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूरे प्रकरण में दोषियों की श्रृंखला का पता लगाने के लिए सतर्कता विभाग को विस्तृत जांच के भी निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी के भी निर्देश दिए हैं। इस प्रकरण में तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी की भूमिका को देखते हुए, सीएम ने चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के भी निर्देश दिए हैं।

जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई उनमें हरिद्वार के डीएम कर्मेन्द्र सिंह का भी नाम शामिल है। उनकी भूमि क्रय की अनुमति देने और प्रशासनिक स्वीकृति देने में भूमिका संदेहास्पद पाई गई। हरिद्वार के पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी ने बिना उचित प्रक्रिया के भूमि क्रय प्रस्ताव पारित किया और वित्तीय अनियमितताओं में प्रमुख भूमिका निभाई।

एसडीएम अजयवीर सिंह की ओर से जमीन के निरीक्षण और सत्यापन की प्रक्रिया में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे गलत रिपोर्ट शासन तक पहुंची।

इसके साथ ही निकिता बिष्ट (वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार), विक्की (वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक), राजेश कुमार (रजिस्ट्रार कानूनगो), कमल दास (मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार) को भी जमीन घोटाले में संदिग्ध पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से निलंबित किया गया है।

इस कार्रवाई से पहले इस घोटाले में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, प्रभारी अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट व अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी खत्म कर दिया गया था। रिटायर होने के बाद उन्हें सेवा विस्तार दिया गया था। उनके खिलाफ सिविल सर्विसेज रेगुलेशन के अनुच्छेद 351(ए) के प्रावधानों के तहत अनुशासनिक कार्रवाई के लिए नगर आयुक्त को निर्देश दिए गए थे।

सत्तासीन पार्टी के एक मंत्री जी के अनुसार इस घटना क्रम से उत्तराखंड की आम जनता में हर्ष व्याप्त हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई और रिपोर्ट मिलते ही यथायोग्य कार्रवाई की हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार यह कार्रवाई उत्तराखंड राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का प्रमाण है। सरकार की प्राथमिकता सिर्फ योजनाओं की घोषणा नहीं, बल्कि व्यवस्था की शुद्धि है। इस प्रकार की सख्त कार्रवाई राज्य के अन्य अधिकारियों के लिए भी एक चेतावनी है कि अब लापरवाही और मिलीभगत का युग खत्म हो चुका है।