Big News From Chhotu’s Desk: भावी इकबाल सिंह बैंस पार्ट-2
*भावी इकबाल सिंह बैंस पार्ट-2*
लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रालय के पांचवें फ्लोर सहित कई विभागों में भारी फेरबदल की चर्चा हैं। विधानसभा चुनाव के बाद लोकसभा चुनाव और बीच चुनाव की समीक्षा और तैयारियों के कारण मोहन सरकार को अधिकारियों के फीड बैक, निष्ठा, उनके कर्तव्य और उनके काम करने की गति का मूल्यांकन करने का समय ही नहीं मिला। माना जा रहा है कि 13 मई को मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सभी चरण पूरे होने के बाद मुख्यमंत्री अपना पूरा फोकस अपने कामकाज पर लगाने वाले हैं और इसके लिए सबसे पहले वह मंत्रालय में कामकाज के आधार पर भारी फेर बदल कर सकते हैं।
कहा तो यहां तक जा रहा है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के एक अधिकारी को, जिन्हें बाद में मुख्य सचिव बनाने की चर्चा है, को पहले मुख्यमंत्री सचिवालय का सर्वे सर्वा बनाया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इसे इकबाल सिंह बैस पार्ट-2 कह सकते हैं। मोहन के ही सामाजिक बिरादरी के एक वरिष्ठ अधिकारी इस मूल्यांकन में लगे हैं कि किस तरह मुख्यमंत्री को न सिर्फ मजबूत किया जाए बल्कि बेदाग भी रखा जाए।
*नगर निगम फर्जी बिल घोटाला: पूर्व कलेक्टर और दो निगम आयुक्तों की धड़कन तेज*
इंदौर का नगर निगम फर्जी बिल घोटाला अब राजनीतिक हथियार बना। 100 करोड़ से अधिक फर्जी बिल की जांच के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा के दो सबसे ईमानदार अधिकारियों को चुना गया है। ये अधिकारी किसी की ना सुनने के लिए विख्यात है। नगर निगम घोटाले के आंच इंदौर के किसी भी बड़े राजनीतिक योद्धा तक आ सकती है। इन दोनों अधिकारियों की रिपोर्ट थप्त से कम नहीं होगी। कहते हैं की हर 5 साल में एक बार किसी ईमानदार IAS की सरकार को जरूरत होती है।
इंदौर के एक पूर्व कलेक्टर एवं दो नगर निगम आयुक्त भी जांच समिति को लेकर भारी मानसिक दबाव में है। मालवा में चर्चा है कि इंदौर के सांस्कृतिक ताने-बाने में मोहन की पहली मुरली बजी, जिसने प्रशासनिक और राजनीतिक आकाओं के माथे की लकीरों को जन्म दे दिया है।
*शमीम कबाडी के विस्फोट की आवाज कहां तक पहुंचेगी!*
शमीम कबाडी जबलपुर वाले से पुलिस का क्या रिश्ता है! जबलपुर में विस्फोटक सामग्री की भारत सरकार की अनेक फैक्ट्रियां हैं, लिहाजा फैक्ट्री से निकलने वाला स्क्रैप कचरे के भाव शमीम कबाड़ी को बेचा जाता है। शमीम कबाडी उस कचरे से पीतल, तांबा निकिल निकालकर मुरादाबाद, रामपुर, मुंबई और बालाघाट में बेचा करता है। कहते हैं शमीम कबाडी 2 रू के कबाड़ को 200 रू में बेचता था। कबाड़ के पैसे से जबलपुर के रियल एस्टेट से लेकर जहां-जहां निवेश किया, वहां न अभी एनआईए पहुंची है और न ही प्रवर्तन निदेशालय। शमीम कबाडी के कबाड़ से हुए विस्फोट ने कई रसूखदार और सरकारी अधिकारियों के व्यक्तिगत खजाने में विस्फोट कर दिया है। सुना गया है कि शमीम कबाडी, कबाड़ से जो पीतल चुनता था उसका एक बहुत बड़ा भाग सेल्यूट वाले से और गैर सेल्यूट वाले दोनों अधिकारियों को पहुंचना था। भारत सरकार के एक विभाग ने यह जानकारी न सिर्फ मंत्रालय के चौथी मंजिल की मैडम को दे दी है। पुलिस के मुखिया भी इस तरह कि सूचनाओं से चिंतित हैं।
संघ मुख्यालय समिधा में भी इस बात पर विचार विमर्श कर लिया गया कि शमीम कबाडी का पिछले 15 साल में किस व्यवस्था के तहत उत्थान हुआ, उसका भी पता लगाया जाएगा। अब देखना यह है कि निर्वाचन के बाद शमीम कबाडी के विस्फोट की आवाज से किन-किन का जबलपुर में ठहराव होता है और किन-किन की रवानगी।
*धार के दामाद राजनीतिक ऊंचाई पर!*
इन दिनों धार के एक दामाद के राजनीतिक ऊंचाई पर पहुंचने पर धार में जमकर खुशियां बनाई जा रही है। मुंबई की नॉर्थ सेंट्रल सीट से भाजपा ने प्रसिद्ध वकील उज्ज्वल निकम को अपना उम्मीदवार बनाया है। उज्जवल निकम देश बड़े वकील होने के साथ मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आतंकवादी कसाब को सजा दिलाने में महती भूमिका अदा करने के लिए जाने जाते हैं।
सरकार की ओर से इस मामले में निकम ही वकील थे। यह भी बता दें कि निकम धार के दामाद हैं और 1984 में वे यहां बारात लेकर परब साहब के यहां आए थे। उनकी बड़ी बेटी से उनका विवाह हुआ था। धार के लोगों को इतराने का अवसर और ज़्यादा मिलता, अगर एक और दामाद प्रवेश वर्मा (जिनके विक्रम वर्मा ससुर हैं) को भी दिल्ली से टिकट मिल जाता। फिलहाल धार के कुछ लोग जरूर अपने दामाद को चुनाव जिताने मुंबई जरूर गए हैं।
*दत्तीगांव-सोमानी के बीच सुलगती आग*
इन दिनों जिले मे भाजपा के दो नेताओ के वाक्युद्ध से हर कोई वाकिफ है। सिद्धांतों और अनुशासन की दुहाई देने वाली इस पार्टी मे भाजपा जिला अध्यक्ष मनोज सोमानी और पूर्व उद्योग मंत्री राजवर्धनसिंह दत्तीगॉव के विवाद ने भाजपा के साथ कांग्रेस में भी चटखारे लिए जा रहे है। इनके विवाद की स्थिति अब यहाँ तक पहुंच गई कि पार्टी के कार्यक्रमों में पहुंचकर दत्तीगांव भाजपा के नेतृत्व पर भडास निकालने का कोई मौका नही छोड रहे।
विवाद किस तरह गहराया हुआ है, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि आजकल पार्टी के कार्यक्रम में दत्तीगांव मंच पर नही बैठते है और सामने कार्यकर्ताओं मे बैठकर अपने सत्याग्रह से सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे है। बात यही नही रूकती राजगढ में कैलाश विजयवर्गीय के कार्यक्रम मे दत्तीगांव सामने तो नहीं बैठे, लेकिन मंच पर आकर उन्होंने यहाँ तक कह दिया कि इस कार्यक्रम की मुझे कोई सूचना नही थी। वो तो आपका नाम सुनकर आ गया। आश्चर्य इस बात का है कि दत्तीगांव के इस सत्याग्रह पर सोमानी कोई भाव नहीं दे रहे। इधर, दत्तीगांव ने प्रदेश प्रभारी महेंद्रसिंह को अपने निवास पर भोजन प्रसादी करवाकर सोमानी को संदेश दे दिया कि मुझे हल्के मे मत लेना। लेकिन, सोमानी है कि इस मामले मे कतई चिन्ता नही कर रहे है। आश्चर्य यह भी है कि इनके विवाद मे कोई भी सुलह नहीं करवा रह है लिहाज़ा अब यह विवाद बढता जा रहा है और आग की गरमाहट भी बढती दिखाई दे रही है।
*अंत में …*
थार के एक अधिकारी का सीना भले ही छप्पल इंच का न हो, लेकिन उन्होंने जो काम किया उससे वे यह अहसास करवाने में सफल रहे कि उनका सीना इससे कम भी नहीं है। इन महाशय ने सत्तारूढ पार्टी के एक बड़े नेता के नाम अपने मातहतों से नेताजी के नाम मकान निर्माण के लिए चंदा तक उगा लिया। खास बात यह कि उगाया गया चंदा नेताजी तक पहुंचा भी नहीं और नेता जी को कोनों खबर नहीं हुई। चंदा देने वाले दुखी हैं कि चंदा भी दिया और नाम भी नहीं हुआ। फिलहाल बस इस बार इतना ही … चंदा उगाने वाले अधिकारी का नाम और नेता जी का नाम फिर कभी।