Big Scam in Dyeing : शहडोल के एक और हाई स्कूल की रंगाई में जबरदस्त घोटाला, बिल बना 2 लाख 31650 रुपए का!

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Big Scam in Dyeing : शहडोल के एक और हाई स्कूल की रंगाई में जबरदस्त घोटाला, बिल बना 2 लाख 31650 रुपए का!

स्कूल शिक्षा का बजट 36582 करोड़, आवंटित धनराशि को फर्जी बिलों से ठिकाने लगाने की धांधली!

‘मीडियावाला’ के नेशनल हेड विक्रम सेन की रिपोर्ट

Shahdol : प्रदेश सरकार ने 2025- 26 के बजट आवंटन में 4% की बढ़ोतरी की, अब कुल बजट में 11.26% की बढ़ोतरी की गई। खबरों के अनुसार इस बढ़ोतरी को कथित तौर पर फर्जी बिलों से स्कूल शिक्षा अधिकारी निपटा रहें हैं। धांधली के इस मामले में शहडोल जिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय निपानिया में रंगाई के लिए 20 लीटर पेंट इस्तेमाल किया गया, जिसमें 275 मजदूरों और 150 मिस्त्रियों को लगाना पड़ा। इसके चलतें इस रंगाई में कुल भुगतान 2,31,650 रुपये पहुंच गया।

अनुरक्षण मद से कराए गए कार्यों का कार्य के पूर्व फोटोग्राफ्स एवं कार्य होने के बाद फोटोग्राफ्स देयक के साथ प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। जबकि, कार्य कराने के पूर्व और कार्य समाप्त के बाद देयक के साथ फोटोग्राफ्स संलग्न नहीं किया गया। ट्रेजरी ऑफिसर द्वारा बिना फोटोग्राफ्स के ही देयक पारित कर भुगतान कर दिया गया है। इससे पहले ब्यौहारी तहसील जिला शहडोल के हाई स्कूल सकन्दी में हाई स्कूल की दीवारों को रंगने में 4 लीटर पेंट उपयोग हुआ था और कुल 233 मिस्त्री और मजदूर इसमें लगे थे, जिसका कुल भुगतान 1 लाख 6 हजार से अधिक था। यहां सुग्रीव शुक्ला, प्राचार्य हैं इनके हस्ताक्षर भी खबरों में वायरल बिल पर हैं, इस बिल भुगतान पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं।

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उल्लेखनीय है कि इन दोनों मामलों में एक ही ठेकेदार सुधाकर कंस्ट्रक्शन का नाम सामने आया है। खास बात तो यह है कि दोनों बिल 5 तारीख पांचवां महीना 2025 में कटे, जिसने इन कार्यों के लिए भुगतान प्राप्त किया है। बिलों पर संबंधित विद्यालयों के प्रधानाचार्य और जिला शिक्षा अधिकारी के हस्ताक्षर और सरकारी सील भी लगी हुई है, जो कि इस मामले की गंभीरता को और बढ़ा देती है।

जिला शिक्षा अधिकारी फूलसिंह मारपाची ने कहा कि सोशल मीडिया में वायरल बिल मामले में हमने जांच शुरू करवा दी है। जांच में दोषी पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। विदित हो कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस बार शिक्षा के लिए आवंटन में 4 फीसदी की बढ़ोतरी की है जो अब कुल बजट में 11.26% की बढ़ोतरी है। समृद्ध मध्यप्रदेश में वर्ष 2025-26 में स्कूल शिक्षा के लिए ₹ 36,582 करोड़ का प्रावधान, किया गया हैं वहीं प्रदेश सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के लिए 7134.7 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है।

30 नवंबर, 2024 तक खर्च की गई धनराशि से पता चलता है कि राज्य सरकार ने पिछले बजट में प्रारंभिक शिक्षा के लिए 5,341.8 करोड़ रुपये की राशि को स्वीकृति दी थी जिसमें से सिर्फ 2457 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए और 2,262.32 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

इसी के साथ मध्यप्रदेश सरकार का संकल्प हैं शिक्षा से उजियारा। डॉ मोहन यादव द्वारा कल ही प्रदेश के कक्षा 12 में 75% या उससे अधिक अंक लाने वाले 94,234 मेधावी विद्यार्थियों के खातों में 25- 25 हजार रुपए लैपटॉप क्रय हेतु 235 करोड़ की प्रोत्साहन राशि का अंतरण किया हैं। यानी कि सरकार आम जनता के टैक्स को युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए खर्च कर रहीं है परंतु शिक्षा विभाग में बैठे अधिकारी, और स्कूलों के कर्ताधर्ता किस बेहद निचले स्तर तक जाकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

इस तरह के एक के बाद एक घोर भ्रष्टाचार के फर्जी बिल सामने आने से आम जन को आशंका है कि दूर दराज के पिछड़े जिलों की अनेकों स्कूलों में इसी तरह के भ्रष्टाचार का माहौल होगा।