Indore : बायपास पर ट्रेंचिंग ग्राउंड में स्थापित 550 टन क्षमता वाले एशिया के सबसे बड़े बायोमिथेनाइजेशन प्लांट (Biomethanization Plant) का 90% काम पूरा हो गया। इसमें गोबर की फीडिंग कर गैस बनने की प्रक्रिया का सफल परीक्षण भी हो चुका है। दिसंबर से इसमें गीले कचरे से सीएनजी का उत्पादन शुरू हो जाएगा।
नगर निगम और इंडो एनवायरो इंटीग्रेटेड सॉल्यूशंस लिमिटेड (नई दिल्ली) Indo Enviro Integrated Solutions Limited इंदौर में 150 करोड़ की लागत से 500 टीपीडी म्यूसिपल सॉलिड वेस्ट प्रसंस्करण संयंत्र (Municipal Solid Waste Processing Plant) विकसित कर रहा है। ये दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा और देश का पहला कचरे से बायो सीएनजी गैस बनाने वाला प्लांट होगा। इस परियोजना के विशेषता यह भी है कि कोरोना काल में कार्य नहीं होने के बावजूद यह परियोजना निर्धारित समय में पूरी हुई है।
निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया कि यह संयंत्र लगभग 17000 किलो प्रतिदिन बायो सीएनजी एवं 100 टन अच्छी गुणवत्ता वाली सिटी कम्पोस्ट (City Compost) का प्रतिदिन उत्पादन भी करेगा। उत्पादित बायो सीएनजी का उपयोग नगर की सिटी बसों और अन्य छोटे वाहनों में ईंधन के रूप में किया जाएगा। सिटी कम्पोस्ट का उपयोग किसानों के खेतों की उर्वरक क्षमता बढ़ाने में भी किया जाएगा। निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने बताया एशिया के सबसे बड़े इस प्लांट के पहले चरण में 200 टन प्रतिदिन की क्षमता का प्लांट शुरू किया जाएगा। इसमें गोबर फीड कर गैस बनने की प्रक्रिया का परीक्षण किया जा चुका है।
नगर निगम ने सिटी बसों के लिए इस संयंत्र से उत्पादित बायो सीएनजी गैस की खरीद के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इस संयंत्र से 100 टीपीडी अच्छी गुणवत्ता वाली सिटी कम्पोस्ट (City Compost) का उत्पादन होगा, जो स्वच्छ भारत मिशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार किसानों को बेचा जाएगा। इसके साथ ही उक्त प्लांट से निगम को सालाना राशि भी प्रीमियम के रूप में प्राप्त होगी।
साइट पर प्लांट आकार ले चुका है। डाइजेस्टर टैंक, डीप बंकर तैयार हैं। इसमें गीले कचरे को लिया जाएगा। साइट पर फेब्रिकेशन के साथ अब शेड बनने का काम तेजी से किया जा रहा है। इस प्लांट को तैयार करने में बायोगैस के टैंक यूके से, स्लरी मशीन डेनमार्क से, मिक्सचर एजीटेटर जर्मनी से और डीकेंटर इटली से बुलाया है। इन सभी पार्ट्स को यहां पर इंस्टॉल कर प्लांट को खड़ा किया गया। इंदौर के कचरे से कमाई के मॉडल को पूरे देश में सराहना मिली थी। गीले कचरे से बायो सीएनजी बनाने के लिए एशिया के सबसे बड़े बायो मिथेनाइजेशन प्लांट की नींव अगस्त 2020 में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने रखी थी। यह प्लांट 150 करोड़ की लागत से स्थापित किया जा रहा है।
इस प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह होगी कि इससे नगर निगम को हर साल 2 करोड़ 52 लाख 50 हजार रुपए 20 साल तक प्रतिवर्ष प्रीमियम के रूप में मिलेंगे। शहर में पैदा होने वाले 550 टन गीले कचरे से ही यह प्लांट 17500 किलो सीएनजी तैयार करेगा। इसमें से आधी 8750 किलो सीएनजी मार्केट रेट से 5 रुपए कम शुल्क पर निगम को दी जाना है, जिससे बसों को संचालन होगा।