ड्राइवर से 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने वाले सांची दुग्ध संयंत्र के तत्कालीन प्रबंधक बिरम व सौरभ जैन को 4 वर्ष की सजा!

240

ड्राइवर से 10 हजार रुपए की रिश्वत लेने वाले सांची दुग्ध संयंत्र के तत्कालीन प्रबंधक बिरम व सौरभ जैन को 4 वर्ष की सजा!

 

Ratlam : शहर की सागोद रोड स्थित सांची दुग्ध संयंत्र के तत्कालीन प्रबंधक गणपतलाल बिरम (49), तत्कालीन एसपीओ सौरभ जैन (29) को 4-4 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा और 2-2 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

 

इन दोनों अधिकारियों ने सांची दुग्ध के वितरक व ड्राइवर रमित जैन से बिल भुगतान करने के बदले 10 हजार रुपए की रिश्वत ली थी। फैसला विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) आदित्य रावत ने सुनाया।

 

जिला अभियोजन अधिकारी गोविन्द प्रसाद घाटिया ने बताया कि 3 मई 2019 को 106 अमृत सागर कॉलोनी निवासी रमित जैन (29) पिता चन्द्रशेखर जैन ने लोकायुक्त उज्जैन में लिखित शिकायत दी थी कि मेरे पास जैन एजेन्सी के नाम से दुध की एजेंसी हैं इसके साथ ही मैं सांची दुग्ध का सह परिवहनकर्ता का काम भी करता हूं।

 

मैंने अपने वाहन से सांची दुध का वितरण रतलाम शहर क्षेत्र में किया था और दुग्ध संयत्र में पिछले 6 माह का परिवहन डीजल दर वृद्धि का बिल 1 लाख 38 हजार रूपए का भुगतान हेतु पेश किया था। दुग्ध संयत्र में पदस्थ प्रबंधक गणपतलाल बिरम ने भुगतान कराने के एवज में उससे 10 हजार रूपए की रिश्वत की मांग की थी।

 

इसकी शिकायत मैंने उज्जैन लोकायुक्त उप पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह ठाकुर, विपुस्था लोकायुक्त से की थी। रिश्वत की मांग की जाने की पुष्टि की जाने के लिए रिश्वत संबंधी वार्तालाप को गोपनीय रूप से रिकॉर्ड करने के लिए मुझे शासकीय डिजिटल वाईस रिकॉर्डर दिया गया था तथा आरोपी गणपतलाल बिरम और रमित जैन के मध्य हुई रिश्वत संबंधी बातचीत की रिकॉर्ड कराई गई थी।

 

रिकार्डिंग में गणपतलाल बिरम ने बोला कि 10 हजार रूपए रिश्वत चार-पांच दिनों में दे दो तो आवेदक रमित जैन द्वारा आरोपी गणपतलाल बिरम से कहा था कि मेरे पास अभी रिश्वत की राशि दिए जाने के लिए रूपयों की व्यवस्था नही हैं। रूपयों की व्यवस्था करके 10 दिन बाद आऊंगा।

 

रिश्वत की मांग प्रमाणित पाए जाने पर 16 मई 19 को गणपत लाल बिरम एवं एसपीओ सौरभ जैन को रमित जैन से रिश्वत लेते हुऐ लोकायुक्त के उप पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह ठाकुर द्वारा आरोपी को ट्रेप किया गया।

 

सौरभ जैन ने रुपए स्टोर रूम में रखे फ्रिज में रख दिए थे। फ्रिज को खोलकर देखा तो उसमें रूपए रखे थे। इन नोटों के नंबरों का मिलान किए जाने पर ये नोट वही नोट पाए गए जो लोकायुक्त कार्यालय में फिनाफ्थीलीन पावडर लगाकर आवेदक रमित जैन की जेब में रखवाए गए थे। मौके पर मुख्य आरोपी गणपतलाल बिरम और सौरभ जैन के हाथों को सोडियम कार्बोनेट पाउडर के घोल में धुलवाया गया तो घोल का रंग गुलाबी हो गया।

विचारण उपरांत विशेष न्यायालय द्वारा आरोपी गणपतलाल बिरम एवं सहआरोपी सौरभ जैन को दोषसिद्ध किया गया। शासन की और से प्रकरण में पैरवी कृष्णकांत चौहान विशेष लोक अभियोजक (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) द्वारा की गई।