BJP: मिशन 29 को फतह करने पर्दे के पीछे एक्टिव थे 50 नेता

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BJP Leaders not Happy

BJP: मिशन 29 को फतह करने पर्दे के पीछे एक्टिव थे 50 नेता

 

भोपाल:लोकसभा चुनाव में प्रदेश में क्लीन स्वीप हासिल करने वाली भाजपा ने इस मिशन में जितने नेता फ्रंट पर उतारे थे, उतने ही नेता पर्दे के पीछे भी थे, जो मिशन की मॉनिटरिंग में लगे हुए थे। चुनाव प्रबंधन में माहिर भाजपा ने एक-एक सीट पर निगाह गढ़ाए रखी थी। नेताओं के आपसी अहम से लेकर उनकी सक्रियता और सीट पर होने वाले नफे नुकसान की प्रतिदिन समीक्षा के साथ ही उस सीट को कैसे जीता जाए इसकी प्लानिंग में भाजपा के करीब 50 नेता पर्दे के पीछे से मिशन में जुटे हुए थे।

जैसे ही लोकसभा चुनाव का बिगुल बजा प्रदेश भाजपा संगठन ने अपने तैयारियां शुरू कर दी थी और एक-एक सीट का कई स्तरों पर फीडबैक लिया गया, यहां तक की निजी एजेंसियों से सर्वे भी कराया गया। इसके बाद उम्मीदवार का ऐलान किया गया। जिन सीटों पर टिकट काटे गए वहां पर प्रत्याशी का पार्टी में सेबोटेज न हो उसके लिए काउंटर रणनीति बनाई गई। इसकी पूरी जिम्मेदारी स्थानीय भाजपा संगठन को दी गई। नए प्रत्याशियों के प्रचार प्रसार और दौरे कार्यक्रम पर सीधी नजर भोपाल से रखी गई। एक-एक चीज पर विचार मंथन करते हुए जैसे-जैसे प्रचार आगे बढ़ा, उसके मुताबिक जरुरते पूरी की गई।

इन बातों पर रखी नजर
कांग्रेस के उम्मीदवारों के ऐलान के बाद भाजपा को लगा कि उसके सामने भिंड, मुरैना, ग्वालियर, मंडला, छिंदवाड़ा और राजगढ़ में कठिन चुनौती हो सकती है। पार्टी के पर्दे के पीछे नेताओं ने इन सीटों पर विशेष रूप से फोकस किया। इन सीटों पर क्षेत्र के क्लस्टर प्रभारियों को बताया गया। वहीं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को बताया गया। इसके बाद जहां जरुरी लगा वहां पर सबसे पहले स्थानीय नेताओं के बीच चल रहे मनमुटाव को दूर किया गया। इनमें बड़े नेताओं से फोन पर बात करवाने के साथ ही क्लस्टर प्रभारियों ने उनसे बात की। वहीं जो स्थानीय नेता सक्रिय नहीं थे, उन्हें सक्रिय करने के लिए भी बड़े नेताओं का सहयोग लिया गया। यह पूरा समन्वय पर्दे के पीछे रहने वाले इन नेताओं और पदाधिकारियों ने किया।

सभाओं पर ऐसे किया फोकस
पर्दे के पीछे वाली इस टीम ने हर लोकसभा क्षेत्र में यह भी पता किया कि वहां पर किस नेता की सभा सबसे ज्यादा इफेक्टिव रहेगी। इसके लिए उम्मीदवारों के साथ ही स्थानीय संगठन से भी बातचीत लगातार की जाती रही। इस बातचीत के बाद यह तय किया जा रहा था कि किस सीट पर किसकी सभाएं करवाई जाएं। इसमें जातिगत समीकरण और क्षेत्र में नेता के प्रभाव को भी देखा गया। कई जगह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सभाओं की डिमांड आई। इस डिमांड को कैसे मैनेज किया जाए और इनमें से अधिकांश नेताओं की सभाएं हो, इसके लेकर भी हर दिन खाखा खींचा जाता था।

टेंशन में आ गए थे नेता
प्रदेश में पहले चरण का मतदान में पोलिंग प्रतिशत कम होने से भाजपा के नेता टेंशन में आ गए थे। इसके बाद यह तय किया गया कि यह गलती दूसरे चरण के मतदान में न हो। इसके लिए पर्दे के पीछे रहने वाली टीम ने अहम जिम्मेदारी निभाई। यहां पर इस टीम ने अपने कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं का मनोबल बढ़ाने और उन्हें चुनाव में पूरी ताकत के साथ जुटाने के लिए उनकी बात बड़े नेताओं से करवाई। जिसमें उन्हें बताया गया कि अपने वोटर्स को ज्यादा से ज्यादा निकाले और उनसे मतदान करवाएं। यह रणनीति कारगर साबित हुई और दूसरे चरण से मतदाता का प्रतिशत बढ़ता गया। हालांकि यही प्रक्रिया तीसरे और चौथे चरण के मतदान के पूर्व भी पार्टी ने दोहराई।

कम खर्च में लड़ा चुनाव
इस बार भाजपा ने पूर्व के चुनाव की तुलना में इस बार धनराशि कम खर्च की। चुनाव प्रचार की सामग्री ऐसी बांटी जो पूरी उपयोग हो सके। सभा के लिए जो खर्च किया गया, वह यह तय किया जाता रहा कि सभा पर ही खर्च हो, वहीं नेताओं के दौरे भी कम खर्च में कैसे हो इस पर भी प्रदेश दफ्तर में पर्दे के पीछे बैठी टीम ने किया।

कौन हैं ये पर्दे के पीछे के चेहरे
प्रदेश भाजपा का मिशन 29 का सपना पूरा करने वालों की इस टीम में तीन महत्वपूर्ण किरदार रहे। लोकसभा चुनाव की प्रबंधन समिति के प्रदेश संयोजक एवं विधायक हेमंत खंडेलवाल के साथ मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, विधायक एवं प्रदेश भाजपा के महामंत्री भगवान दास सबनानी इस टीम में थे। इनके साथ ही प्रवास समिति, परिवहन समिति, साहित्य समिति, विमानन समिति के सदस्य इस टीम में थे। जो चुनाव में पार्टी की जीत को लेकर हर बिंदु पर नजर रखे हुए थे।