

BJP Leader Became a Fake Doctor : फर्जी डॉक्टर बनकर बीजेपी नेता शुभम अवस्थी ने 1 साल अस्पताल में इलाज किया, शिकायत पर FIR दर्ज!
कोर्ट के निर्देश पर आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया!
Jabalpur : सिविल लाइंस थाना पुलिस ने रविवार रात भाजपा नेता शुभम अवस्थी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। यह कार्रवाई जिला कोर्ट के आदेश पर की गई। आरोप है कि शुभम अवस्थी ने कोरोना काल में फर्जी डिग्री के आधार पर जिला अस्पताल में सरकारी डॉक्टर बनकर काम किया। वह कोरोना संक्रमण काल के दौरान सैंपल इकट्ठा करता और कोरोना पीड़ितों के उपचार में भी सहयोग करता रहा। आरोपी शुभम अवस्थी भारतीय जनता पार्टी से जुड़ा बताया जा रहा। वह पार्टी के चिकित्सा प्रकोष्ठ के साथ काम कर चुका है।
शुभम अवस्थी के फर्जीवाड़े का खुलासा उस समय हुआ, जब जबलपुर निवासी शैलेन्द्र बारी ने उसकी डॉक्टरी डिग्री को कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट के निर्देश पर सिविल लाइंस पुलिस ने आरोपी शुभम अवस्थी के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचित दस्तावेजों के इस्तेमाल सहित कई धाराओं में केस दर्ज किया है। फिलहाल शुभम अवस्थी फरार है।
आरोपी शुभम अवस्थी बीजेपी से जुड़ा बताया जाता है। कोरोना की पहली लहर (2020–2021) के बाद संक्रमण नियंत्रण के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की संविदा नियुक्ति हुई थी। इस दौरान शुभम अवस्थी ने आयुष चिकित्सक के रूप में फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्ति पा ली। उसने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से बीएएमएस की जाली डिग्री प्रस्तुत की और शासकीय स्वशासी आयुर्वेद कॉलेज का छात्र होने का दावा किया। इसके बाद उसने विक्टोरिया जिला अस्पताल में मरीजों का उपचार किया और सरकारी वेतन भी प्राप्त किया।
आरोपी डॉक्टर शुभम अवस्थी 2020-21 के दौरान कोरोना काल में अस्पताल में पदस्थ था। शिकायत के बाद उसने नौकरी छोड़ दी। शैलेंद्र बारी द्वारा की गई शिकायत के बाद जब जांच शुरू हुई, तो शुभम अवस्थी ने स्वास्थ्य विभाग की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। जब पुलिस जांच ठंडे बस्ते में चली गई, तब शैलेन्द्र ने न्यायालय में परिवाद दायर किया। कोर्ट की सुनवाई के बाद पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए।
डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर भी फर्जी निकले
पुलिस की शुरुआती जांच में शुभम अवस्थी की बीएएमएस डिग्री जाली पाई गई। साथ ही, मध्यप्रदेश आयुर्वेद एवं यूनानी चिकित्सा बोर्ड का जो पंजीयन क्रमांक उसने प्रस्तुत किया, वह भी किसी अन्य चिकित्सक के नाम पर दर्ज पाया गया। फर्जी चिकित्सक की सेवाएं लेने पर स्वास्थ्य विभाग की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। संवेदनशील पद पर नियुक्ति के दौरान दस्तावेजों की जांच और सत्यापन प्रक्रिया को लेकर गंभीर लापरवाही सामने आई है। यह नियुक्ति जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के प्रस्ताव पर हुई थी। ऐसे में जांच की आंच स्वास्थ्य अधिकारियों तक भी पहुंच सकती है।
शिकायतकर्ता शैलेन्द्र बारी ने बताया कि वह अपने एक दोस्त को लेकर इलाज के लिए जिला अस्पताल गए, जहां उन्हें पता चला कि शुभम अवस्थी नाम के डॉक्टर ने कोरोना काल (2020-2021) के दौरान मरीजों का इलाज किया था और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक साल तक नौकरी की थी। इस संबंध में मैंने जनवरी, 2023 में शिकायत सीएमएचओ, कलेक्टर और एसपी से की गई। लेकिन, जब किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हुई, तो जिला कोर्ट जबलपुर में परिवाद दायर किया गया। यहां भी मामला लंबित रहा। फिर हाई कोर्ट जबलपुर में याचिका लगाई गई। इस पर हाई कोर्ट ने जिला कोर्ट को 60 दिन के अंदर निर्णय लेने के लिए कहा था।
जब लोग मर रहे थे, तब मैंने सेवाएं दी
इस मामले में शुभम अवस्थी का कहना है कि 2020-2021 के कोरोना काल में, जब मरीजों का अपनों ने भी साथ छोड़ दिया था, तब मैंने 10 महीने तक जिला अस्पताल में सेवा दी। उस समय कोविड से लोग मर रहे थे और मैंने अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हुए पूरी तरह अस्पताल में तैनात रहकर काम किया। यहां तक कि मैं घर भी नहीं जाता था।
शुभम अवस्थी ने कहा कि मेरा काम केवल कोविड सैंपल लेना और उसे लैब भिजवाना था, न कि मरीजों का इलाज करना। उन्होंने यह भी कहा कि अभी कोर्ट ने पुलिस को जांच के निर्देश दिए हैं, इसलिए मुझे फर्जी डॉक्टर कहना उचित नहीं है। पुलिस अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करेगी और जो भी निर्णय आएगा, वह स्वीकार होगी।