BJP MP: 45 साल में कुल 13 प्रदेश अध्यक्ष बने,लेकिन इतना विलंब पहली बार

दावेदारों की फेहरिस्त लंबी,चयन करना होगी टेढ़ी खीर,जिलाध्यक्षों के चयन में भी संगठन को आ चुका पसीना

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Countdown Begins
BJP Leaders not Happy

BJP MP: 45 साल में कुल 13 प्रदेश अध्यक्ष बने,लेकिन इतना विलंब पहली बार

रामानंद तिवारी

मध्य प्रदेश भाजपा में पिछले 45 साल में कुल 13 प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। शुरुआत 1980 में सुंदरलाल पटवा से हुई। वे पहले प्रदेश अध्यक्ष थे। इनके बाद वीडी शर्मा तक इस पद पर 13 प्रदेश अध्यक्ष बन चुके है। लेकिन इतना विलंब 45 साल में पहली बार हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के चयन को लेकर “एक अनार सौ बीमार” वाली स्थिति देखने को मिल रही है। प्रदेशाध्यक्ष का चयन ना होने की वजह से संगठन भी 50-50 प्रोग्रेस दे पा रहा है। जिलों में जिलाध्यक्ष का चयन हुए भी महिनों बीत चुके है। अब तक जिला कार्यकारिणी का गठन नहीं हो पाया है,जिससे कार्यकर्ता भ्रमित हो रहे है एवं पार्टी में विरोधी स्वर भी मुखर हो रहे है।

 

*“राष्ट्रीय अध्यक्ष से चंद दिनों पूर्व होगी घोषणा“*

भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर कयासों का दौर जारी है। सूत्रों की माने तो जुलाई में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव होना लगभग तय माना जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन होने के बाद भाजपा के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे। इसका असर प्रदेश में भी देखने को मिलेगा। कयास लगाए जा रहे है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष से कुछ दिन पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर लिया जायेगा। यदि जुलाई में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन पर ग्रहण लगा तो प्रदेश अध्यक्ष की बांट जोह रहे लोगों की उम्मीदों पर पानी स्वतः फिर जायेगा।

वीडी शर्मा पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं। जिन्हें एक बार नहीं दो बार एक्सटेंशन मिल चुका है। हो सकता है अब शर्मा तीसरी बार भी प्रदेश के सरताज बने रहे। वीडी शर्मा के कार्यकाल का डंका देश की राजनीति तक बजा और केन्द्रीय नेतृत्व ने भी सराहना की। मप्र में जिलाध्यक्षों का चुनाव जनवरी में ही पूरा हो चुका

था। पार्टी संगठन चुनाव की जो प्रक्रिया है, उसके मुताबिक ये माना जा रहा था कि साल की शुरुआत में ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान हो जाएगा, लेकिन मामला लंबित होता गया। वीडी शर्मा का कार्यकाल पहले विधानसभा चुनाव के समय ही पूरा हो गया था। लेकिन उस समय लोकसभा चुनाव होने की वजह से वे इस जिम्मेदारी को निरंतर संभाले रहे है । हालांकि पार्टी ने उनके नेतृत्व में उत्कृष्ट परफार्म भी किया। विधानसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की।

प्रदेशाध्यक्ष के चक्कर में अटके संगठन के कई कार्य”

6 माह पूर्व प्रदेश में संगठन के जिला स्तर के चुनाव पूर्ण हो चुके है। उसके बाद से जिलों में पार्टी का कार्य कर रहे समर्पित कार्यकर्ता की उम्मीद जागी कि उसे भी अब कोई ना कोई दायित्व जल्द मिलेगा। जब कि ऐसा नहीं हो पा रहा है। जिलाध्यक्ष के चयन के बाद जिलों में कार्यकारिणी ना बनने की वजह से पुराने पदाधिकारियों से नए जिलाध्यक्षों का तालमेल कई जिलों में नहीं बैठ पा रहा। ऐसी स्थिति में जिलाध्यक्ष भी जिलों में संगठन के कार्यो के नाम पर महज रस्मअदायगी में जुटे हुए है। विधानसभा एवं लोकसभा चुनाव के पूर्व से समर्पित कार्यकर्ताओं को संगठन ने मंडल एवं निगम में जिम्मेदारी दिए जाने की जो लॉली पॉप दी थी, उससे कई नेता उब चुके है। कई वरिष्ठ नेताओं ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि बड़े नेता तो मजे कर रहे हैं। हम लोगों की कोई सुनने वाला नहीं,सब कुछ प्रदेशाध्यक्ष के चुनाव के चक्कर में अटक कर रह गया है। बहरहाल, कई जिलों में देखने को मिल रहा है कि समर्पित नेता अब हिम्मत हार रहे है और आपसी रस्साकशी में जुटे हुए हैं।