
BJP National President: भाजपा अध्यक्ष चयन पर संघ-भाजपा में रस्साकशी, खट्टर सबसे आगे
– राजेश जयंत
भारतीय जनता पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच रस्साकशी लगातार गहराती जा रही है। जेपी नड्डा का कार्यकाल लोकसभा चुनाव के कारण जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था, लेकिन अब तक नए अध्यक्ष के नाम पर सहमति नहीं बन सकी है। इसी मुद्दे पर 4-6 जुलाई को दिल्ली में संघ की प्रांत प्रचारकों की अहम बैठक हुई, जिसमें मोहन भागवत समेत संघ के शीर्ष नेता शामिल हुए, लेकिन औपचारिक तौर पर अध्यक्ष के नाम पर कोई फैसला नहीं हो सका।

संघ चाहता है कि नया अध्यक्ष संगठन को मजबूत करने वाला, 60 साल से कम उम्र का और विवादों से दूर हो, जबकि पार्टी नेतृत्व कई नामों पर विचार कर रहा है।
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*मुख्य बातें:*
1. संघ की सख्त शर्तें और मानदंड, पार्टी नेतृत्व असमंजस में।
2. खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और निर्मला सीतारमण के नामों पर मंथन।
3. राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाओं से सियासी माहौल गरमाया।
4. प्रधानमंत्री मोदी की विदेश वापसी के बाद 10-19 जुलाई के बीच घोषणा की संभावना।

*संघ की पसंद और मापदंड*
संघ ने अपनी पसंद और मानदंड पहले ही पार्टी आलाकमा को बता दिए हैं। संघ की मंशा है कि नया अध्यक्ष ऐसा हो, जिसकी संगठन पर मजबूत पकड़ हो, कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद रखता हो और चुनावी रणनीति में दक्ष हो। माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष के चयन के बाद संगठन में 50% तक महासचिव और टीम बदलने की संभावना है, जिससे पार्टी में नई ऊर्जा और संतुलन लाया जा सके। भाजपा ने देश के 26 राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर चुनावी प्रक्रिया तेज कर दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे बड़े राज्यों में अध्यक्ष की नियुक्ति अभी बाकी है।

*खट्टर का नाम सबसे आगे*
सूत्रों के मुताबिक, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का नाम नए भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में सबसे आगे है। खट्टर को संघ और पार्टी दोनों में अनुशासित और अनुभवी संगठनकर्ता माना जाता है। उनका आरएसएस से लंबा जुड़ाव और प्रशासनिक अनुभव उनकी दावेदारी को मजबूत करता है। इसके अतिरिक्त धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और निर्मला सीतारमण जैसे नाम भी चर्चा में हैं। पार्टी नेतृत्व युवा चेहरों को भी अहम जिम्मेदारी देने के मूड में है, ताकि संगठन में ताजगी और संतुलन बना रहे।

*संघ की भूमिका*
भाजपा अध्यक्ष का चुनाव पार्टी की राष्ट्रीय परिषद करती है और आमतौर पर यह चयन निर्विरोध ही होता है। संघ की भूमिका निर्णायक जरूर है, लेकिन वह हमेशा पर्दे के पीछे मार्गदर्शक की तरह रहता है और अंतिम फैसला पार्टी नेतृत्व के हाथ में होता है। इस बार संघ और भाजपा के बीच नामों को लेकर आम राय नहीं बन पा रही है, जिससे प्रक्रिया में देरी हो रही है।

*राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं*
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं भी तेज हो गई हैं। कांग्रेस ने अध्यक्ष चयन में देरी को भाजपा का नेतृत्व संकट बताया है और कहा है कि इससे पार्टी में आंतरिक असंतोष झलकता है। महागठबंधन (RJD, JDU) का आरोप है कि भाजपा अब पूरी तरह संघ के इशारे पर चल रही है और पार्टी की स्वतंत्रता खत्म हो गई है। वहीं भाजपा प्रवक्ता इसे सामान्य संगठनात्मक प्रक्रिया बता रहे हैं और भरोसा दिला रहे हैं कि जल्द ही नया अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा। संघ ने भी साफ किया है कि दोनों संगठन स्वतंत्र हैं, बस प्रक्रिया में समय लग रहा है।

अब सबकी नजरें प्रधानमंत्री मोदी के विदेश दौरे से लौटने के बाद, 10 से 19 जुलाई के बीच संभावित घोषणा पर टिकी हैं। माना जा रहा है कि नए अध्यक्ष के साथ पार्टी में बड़े संगठनात्मक बदलाव और युवा चेहरों को मौका मिल सकता है, जिससे भाजपा आगामी चुनावों के लिए खुद को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगी।





