“पार्टी विद डिफरेंस” को चरितार्थ करती भाजपा…

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“पार्टी विद डिफरेंस” को चरितार्थ करती भाजपा…

मध्यप्रदेश की रिक्त होने वाली पांच राज्यसभा सीटों पर कौन से चेहरे उच्च सदन का हिस्सा बनेंगे, यह तस्वीर अब पूरी तरह से साफ हो गई है। कांग्रेस ने जहां अशोक सिंह को पार्टी उम्मीदवार बनाया है, तो भाजपा ने तमिलनाडु के एल मुरुगन और मध्यप्रदेश से बंसी लाल गुर्जर, माया नारोलिया व उमेश नाथ महाराज को राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। मध्यप्रदेश विधानसभा में सदस्यों की संख्या के मुताबिक पांचों चेहरों का राज्यसभा पहुंचना और निर्विरोध निर्वाचित होना लगभग तय है। पर प्रत्याशी चयन में भाजपा ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उसे “पार्टी विद डिफरेंस” क्यों कहा जाता है। इससे पहले भी सुमित्रा बाल्मीकि और कविता पाटीदार जैसे चेहरों को राज्यसभा भेजकर भाजपा “पार्टी विद डिफरेंस” की कसौटी पर खरी उतर चुकी है। तब कांग्रेस ने विवेक तन्खा को उम्मीदवार बनाया था। भाजपा ने इस बार भी समर्पित कार्यकर्ताओं के साथ समाज में अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग, महिला और किसान सभी को प्रतिनिधित्व देकर अपनी प्राथमिकता साफ कर दी है। वहीं कांग्रेस ने भी एक समर्पित कार्यकर्ता को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है और इसके साथ ही कमलनाथ के नाम की अटकलों पर पूरी तरह से विराम लग गया है। हालांकि इसमें पार्टी के भीतर कांग्रेस नेतृत्व के फैसले की अलग नजरिए से चीड़फाड़ को कोई रोक नहीं सकता है।
पहले हम कांग्रेस प्रत्याशी की बात करें तो ग्वालियर निवासी 69 वर्षीय अशोक सिंह को दिग्विजय गुट से जोड़कर देखा जाता है। हालांकि कांग्रेस नेता अशोक सिंह के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे और पिता राजेंद्र सिंह कांग्रेस से विधायक रहे। अशोक सिंह का परिवार कांग्रेसी रहा है और इससे पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार में उन्हें अपेक्स बैंक का अध्यक्ष बनाया गया था, वे कांग्रेस की प्रदेश कमेटी में कोषाध्यक्ष का पद कुछ समय पहले संभाल रहे थे। कांग्रेस नेता अशोक सिंह का होटल व्यवसाय है और कृषि कार्य भी है।
भाजपा की बात करें तो भाजपा के दो उम्‍मीदवार अनुसूचित जाति और दो प्रत्‍याशी ओबीसी वर्ग से हैं। इसमें एक ओबीसी महिला शामिल हैं। भाजपा ने जातिगत समीकरण को साधा है और यह संदेश देने की सफल कोशिश की है कि सामान्य कार्यकर्ता को महत्वपूर्ण पद देने के चलते ही भाजपा “पार्टी विद डिफरेंस” है। मंदसौर से 63 वर्षीय बंसीलाल गुर्जर भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। पिछले 43 साल से भाजपा कार्यकर्ता और संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। मप्र के नर्मदापुरम निवासी 62 वर्षीय माया नारो‍लिया महिला मोर्चा की प्रदेश अध्‍यक्ष हैं। संगठन में विभिन्न पदों पर खुद को साबित करने वाली माया पंच से उच्च सदन का सफर तय करने जा रही हैं। 59 वर्षीय बाल योगी उमेश नाथ उज्जैन के श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम आश्रम के पीठाधीश्वर हैं। वाल्‍मीकि समाज के उत्‍थान और विकास के लिए वे लगातार कार्यरत हैं। 46 वर्षीय डॉ. लोगनाथन मुरुगन पहले भी मध्‍य प्रदेश से राज्‍यसभा में गए हैं। वे वर्तमान में मोदी सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री हैं। वे भारतीय जनता पार्टी की तमिलनाडु इकाई के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।
तो भाजपा एक बार फिर यह साबित करने में सफल हुई है कि यहां चाय वाला प्रधानमंत्री और मजदूर परिवार का व्यक्ति मुख्यमंत्री बन सकता है। आदिवासी महिला राष्ट्रपति बन सकती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री सामान्य कार्यकर्ता की तरह काम कर सकते हैं। यहां परिवारवाद से परहेज को साफ तौर पर देखा जा सकता है। “पार्टी विद डिफरेंस” को चरितार्थ कर भाजपा जनता की नजर में अपना स्थान बनाए रखने में लगातार सफल हो रही है…।