आदि शंकराचार्य के जरिए मालवा-निमाड़ की 66 सीटें साधने की कोशिश में भाजपा, 2018 के चुनाव में उठाना पड़ा था बड़ा नुकसान

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आदि शंकराचार्य के जरिए मालवा-निमाड़ की 66 सीटें साधने की कोशिश में भाजपा, 2018 के चुनाव में उठाना पड़ा था बड़ा नुकसान

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट

भोपाल: काम धार्मिक, सामाजिक हो या फिर राजनीतिक, चुनाव के दौरान किए गए हर कार्य को राजनीतिक चश्में से ही देखा जाता है। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के लोकार्पण और विकसित किए जा रहे अद्वैत धाम को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 21 सिंतबर को साधु-संतों की मौजूदगी में विधिवत पूजा अर्चना के साथ इसकी शुरुआत की। भाजपा का यह कार्य उसकी विचारधारा से भी मेल खाता है। इससे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी और मध्य प्रदेश की ख्याति बढ़ेगी। ऐसे में भाजपा इसका लाभ नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में न उठाए, यह कैसे संभव है। इसी बात को ध्यान में रखकर पूरे तामझाम के साथ इस कार्यक्रम का अयोजन हुआ। प्रदेश, देश और विदेश तक का मीडिया इसका कवरेज करने के लिए पहुंचा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चाहते थे कि इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आएं लेकिन वे नहीं आ सके। खुद शिवराज ने आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का लाकर्पण कर अद्वैत धाम की आधार शिला रखी।

लंबे समय बाद 2018 में कमजोर हुई भाजपा

मालवा-निमाड़ में सीटों के लिहाज से देखें तो अब भी कांग्रेस पर भाजपा भारी है, लेकिन भाजपा का प्रदर्शन पिछले चुनावाें की तुलना में कमजोर रहा है। मालवा की कुल 45 विधानसभा सीटों में से भाजपा के पास 26 और कांग्रेस के पास उससे 8 काम 18 हैं। इसके विपरीत निमाड़ अंंचल की कुल 21 सीटों में भाजपा पिछड़ गई थी। यहां कांग्रेस के पास 12 जबकि भाजपा के पास मात्र 7 सीटें हैं। मालवा अंचल की ताई अर्थात समित्रा महाजन और कृष्णमुरारी मोघे जैसे नेता घर बैठे हैं और निमाड़ में पार्टी का चेहरा रहे नंदकुमार सिंह चौहान अब इस दुनिया में नहीं हैं। ताई और मोघे सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि पार्टी के अंदर अब उनकी पूछपरख नहीं है। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के कंधों पर ही इस अंचल में भाजपा को बढ़त दिलाने का दारोमदार है। भाजपा-कांग्रेस में कांटे के मुकाबले की चर्चा के बीच विजयवर्गीय भाजपा के लिए जीतोड़ कोशिश भी कर रहे हैं।

ओंकारेश्वर धाम से मिल सकती है संजीवनी

कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष रहते चुनाव में भाजपा अपना पसंदीदा कार्ड हिंदू-मुस्लिम नहीं खेल पा रही है। ऐसे में ओंकारेश्वर धाम का विकास भाजपा के लिए संजीवनी का काम कर सकता है। इंडिया गठबंधन के एक घटक दल और कुछ अन्य नेताओं द्वारा सनातन धर्म को लेकर की गई टिप्पणी के बाद भाजपा इसे लेकर कांग्रेस पर आक्रामक है। स्वामी रामभद्राचार्य की एक टिप्पणी से उसे ताकत मिली है। ऐसे में आदि शंकराचार्य की 108 फीट लंबी प्रतिमा का लोकार्पण कर भाजपा ने सनातन धर्म के पक्ष में अपनी स्थिति और मजबूत की है। इसे लेकर भाजपा धर्म की राजनीति की दिशा में आगे बढ़ सकती है। वैसे भी मालवा-निमाड़ अंचल में हिंदू-मुस्लिम की राजनीति ज्यादा होती है। वहां कभी भी सांप्रदायिक तनाव के हालात बन जाते हैं। इसलिए इस अंचल में भाजपा ओंकारेश्वर धाम का लाभ ले सकती है। कैलाश विजयवर्गीय इस तरह की राजनीति के माहिर खिलाड़ी भी हैं।

कई जिलों में भाजपा से आगे कांग्रेस

2018 के चुनाव नतीजे पर नजर डालें तो मालवा-निमाड़ के कई जिलों में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा था। नीमच, मंदसौर, इंदौर, देवास और रतलाम में भाजपा को ज्यादा सीटें मिली थीं तो शाजापुर, धार और उज्जैन में कांग्रेस ने बढ़त ली थी। इसी प्रकार निमाड़ में सिर्फ खंडवा, बुरहानपुर में ही भाजपा ने बढ़त ली लेकिन शेष जिलों खरगोन, बड़वानी और झाबुआ में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा था। भाजपा इस हालात को बदलना चाहती है और हर जिले में कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में है। आदि शंकराचार्य की प्रतिमा का लोकार्पण और अद्वैत धाम का विकास इसमें भाजपा की मदद कर सकता है।