भाजपा को ठाकरे जैसा अनुशासन कायम रखना पड़ेगा …

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संगठन गढ़े चलो, वीर तुम बढ़े चलो…के पर्याय भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे की जयंती पार्टी आज कृष्ण जन्माष्टमी को मना रही है। ठाकरे की पहचान अनुशासनप्रिय स्वयंसेवक और पार्टी कार्यकर्ता की रही है। मध्यप्रदेश में अगस्त माह में मानसूनी दौर में भाजपा में अनुशासनहीनता के मामलों की बाढ़ सी आ गई है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि क्या पार्टी अनुशासन के मामले में ठाकरे का अनुसरण कर पाएगी?अनुशासनहीनता के मामलों में त्वरित और कड़ी कार्यवाही कर शायद पार्टी संगठन यही संकेत दे रहा है कि ठाकरे के पदचिन्हों पर चलने का ही इरादा है। यदि कहा जाए तो कुछ अपवादों को छोड़कर 21 वीं सदी में प्रदेश भाजपा में अनुशासनहीनता के खिलाफ ऐसी कार्यवाहियां बिरले ही देखने को मिली हैं। अनुशासनहीनता के तीन मामलों में संगठन के त्वरित कठोर फैसले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा की इसी मंशा को जता रहे हैं कि जैसे अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। और संगठन यही संदेश दे रहा है कि गलती और गड़बड़ की, तो अंजाम भुगतना पड़ेगा।

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भाजपा में अनुशासनहीनता के खिलाफ संगठन की हालिया सख्त कार्यवाहियों पर नजर डालें, तो पहली घटना उज्जैन की है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के आगमन पर महाकाल मंदिर परिसर में युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं के दुर्व्यवहार की शिकायत आई थी। वीडियो वायरल हुआ था। तब संगठन सख्त हुआ और युवा मोर्चा का कहर अनुशासनात्मक कार्यवाही के रूप में बरपा। सख्त एक्शन के बतौर युवा मोर्चा उज्जैन नगर के जिलाध्यक्ष अमय शर्मा और उज्जैन ग्रामीण के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह जलवा को अध्यक्ष पद से हटाया गया। दो अध्यक्ष समेत 18 पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं को सभी दायित्व से मुक्त किया गया। इस मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार को कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए थे। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा की कड़ी नाराजगी के बाद वैभव पवार ने कड़ा और बड़ा फैसला लिया था।

दूसरी घटना रीवा जिले में जनपद सीईओ पर प्राणघातक हमले की है। इस मामले में बनकुईयां मंडल अध्यक्ष मनीष शुक्ला उर्फ सिद्धू को पदमुक्त कर छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया है। हालांकि इस मामले में भाजपा विधायक केपी त्रिपाठी की भूमिका पर सवालिया निशान बाकी हैं। जिन पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने नाराजगी भी जाहिर की है। मामला सरकार से जुड़ जाता है और कार्यवाही भी थोड़ी पेचीदा हो जाती है।

तो तीसरे मामले में ब्राह्मणों के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने वाले नेता प्रीतम लोधी को नोटिस जारी कर तलब किया गया है। पंडितों की कार्यशैली का मजाक उड़ाने और व्यंग्य करने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रीतम लोधी के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है। इस मामले में भी सख्त कार्यवाही की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि लोधी को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का रिश्तेदार होने का कितना लाभ मिल पाता है, यह भी देखने वाली बात होगी।

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तो बात हो रही है की अनुशासनप्रियता की। ठाकरे का जीवन पार्टी कार्यालय के ही एक कमरे में गुजरा। स्व. ठाकरे भाषणों की बजाय अपने आचरण से संदेश देने में विश्वास रखते थे। मध्य प्रदेश में पार्टी की सरकार बन जाने के बाद जब बैतूल में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक थी, तब स्व. ठाकरे ने कार की बजाय बस से ही बैतूल जाकर पार्टी पदाधिकारियों को जो संदेश दिया था, उसे भुलाया नहीं जा सकता। तो संघ के स्वयंसेवक के रूप में संस्कारित स्व. ठाकरे अपने कार्यकर्ताओं से अनुशासन में रहने की अपेक्षा करते थे और स्वयं भी उसका पालन करते थे। उम्र बढ़ने के साथ उनके पैरों पर सूजन रहने लगी थी, जिसके कारण वे जूते नहीं पहन पाते थे। उसी दौरान पूना में संघ का एक कार्यक्रम था, जिसमें स्वयंसेवकों को पूर्ण गणवेष में शामिल होना था। लेकिन पैरों की सूजन के कारण ठाकरे जी बिना जूतों के कार्यक्रम स्थल पर पहुंच गए। उन्हें पूर्ण गणवेष में न होने के कारण गेट पर ही रोक दिया गया। ठाकरे जी अगर चाहते तो कार्यक्रम में पहुंच सकते थे। लेकिन उन्होंने चुपचाप वापस आना पसंद किया। क्योंकि उनका पूरा जीवन ही सादगी और अनुशासन की मिसाल रहा।

तो अनुशासनहीनता पर जितने त्वरित और कड़े फैसले भाजपा संगठन में फिलहाल लिए जा रहे हैं, ऐसी स्थिति पिछले सालों में महज अपवादों को छोड़कर देखने को नहीं मिली है। अब ठाकरे की तरह संगठन को अपनी तरह से गढ़कर युवाओं को पर्याप्त स्थान दिलाने और आगामी पच्चीस साल के लिए संगठन तैयार करने का दावा करने वाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से यह उम्मीद तो की ही जाएगी कि अनुशासनहीनता पर सख्त कार्यवाही जारी रहे। ठाकरे को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी। और फिर दुनिया के सबसे बड़े राजनैतिक दल को  ठाकरे के सच्चे अनुसरण करने वाले नेताओं की भी जरूरत है। रीवा जिले की घटना में विधायक का आचरण और शिवपुरी जिले की घटना में पार्टी नेता प्रीतम लोधी का आचरण घोर आपत्तिजनक और पार्टीलाइन विरोधी है। ऐसे में ठाकरे को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए कुछ और कठोर फैसले लेने की जिम्मेदारी संगठन पर है। आखिर भाजपा को अब भी ठाकरे जैसा अनुशासन तो चाहिए ही…।