अंबेडकर के पंचतीर्थ और पंचनिष्ठा संग भाजपा की लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा…

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अंबेडकर के पंचतीर्थ और पंचनिष्ठा संग भाजपा की लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा…

भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर लोकतांत्रिक भारत में भगवान का दर्जा पा चुके हैं। अंबेडकर के दलित उत्थान के संकल्प पर खरे उतरने का जतन आज भारत का हर राजनैतिक दल कर रहा है। पर भाजपा अपनी अलग लकीर खींचती है और खासियत यह कि वह लकीर सबसे बड़ी होती है। भाजपा जिस तरह से पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के मंत्र को सिद्ध करने में जुटी है, ठीक उसी तरह संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर के दलित उत्थान के काम में खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित करने का दावा कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “पंचतीर्थ” की संकल्पना को चरितार्थ कर यह साबित कर दिया है। कहने को तो अंबेडकर पर कांग्रेस पूरा दावा करती रही है लेकिन पंचतीर्थ की राह चल भाजपा ने बढ़त हासिल कर ली है। भाजपा ने अंबेडकर से जुड़े पांच स्थानों को पंचतीर्थ का दर्जा देकर उन्हें दैवीय स्वरूप में स्थापित कर दिया है। और अब संगठन की पंचनिष्ठा और एनडीए सरकार के पंचतीर्थ मिलकर भाजपा की लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा में चार चांद लगा रहे हैं। भाजपा पर कोई भी राजनैतिक दल कितने भी सवालिया निशान लगाता रहे, लेकिन अंबेडकर के पंचतीर्थ को लेकर भाजपा की सोच के सामने नतमस्तक सभी हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में संविधान निर्माता का ऐसा सम्मान निश्चित ही आजाद भारत का सम्मान है। अभी तक दलितों के सम्मान को वोट बैंक की तरह परिभाषित किया जाता था, पर भाजपा ने साबित कर दिया है कि दलित समाज का भरोसा जीतकर वह कमल खिलाने में भरोसा रखती है और इस पर अमल करने का हुनर भी उसमें है।
अब हम जान लें कि यह पंचतीर्थ क्या हैं? दरअसल भारत सरकार द्वारा बाबा साहेब को श्रद्धांजलि देते हुए उनसे जुड़े पाँच स्थानों को पंच तीर्थ के रुप मे विकसित किया जा रहा है। इसमें मध्यप्रदेश का महू जहाँ बाबा साहेब का जन्म हुआ ,उनकी इस जन्म स्थली को तीर्थ के रूप में विकसित किया जा रहा है। दूसरी दीक्षा भूमि नागपुर , तीसरी मुम्बई की इंदुमिल , चौथा लंदन का वह घर जहाँ बाबा साहेब ने रहकर वकालत की शिक्षा ली और पांचवाँ दिल्ली के अलीपुर में वो घर जहाँ बाबा साहेब ने अंतिम सांस ली। अब इन पांच स्थानों यानि पंचतीर्थ के दर्शन कर कोई भी व्यक्ति अंबेडकर के प्रति पूर्ण आस्था जता सकेगा। वर्ष 2022 में अंबेडकर जयंती पर महू में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डॉ भीमराव अंबेडकर से जुड़े ‘पंच-तीर्थ’ स्थलों का दर्शन मुफ्त कराने की घोषणा की थी। सरकार मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना के तहत ‘पंच-तीर्थ’ स्थलों का दर्शन कराएगी।
अब हम जान लें कि भाजपा की पंचनिष्ठा क्या हैं? भाजपा की पंचनिष्ठा की पहली निष्ठा है राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकात्मकता। दूसरी लोकतंत्र, तीसरी सामाजिक आर्थिक विषय पर गांधीवादी दृष्टिकोण, जिससे शोषण मुक्त एवं समता युक्त समाज की स्थापना हो सके, चौथी सकारात्मक पंथनिरपेक्षता अर्थात सर्वधर्म समभाव और पांचवी मूल्यों पर आधारित राजनीति। भाजपा की पंचनिष्ठा पर अन्य विपक्षी राजनैतिक दल खुलकर आरोप लगा सकते हैं लेकिन मोदी सरकार के पंचतीर्थ पर कोई उंगली नहीं उठा सकता। वजह साफ है कि संविधान निर्माता के दलित उत्थान की कसौटी पर सभी खरे साबित होना चाहते हैं। वजह लोकतंत्र में राजनैतिक दलों द्वारा अपना वजूद बनाए रखने में दलित मतदाताओं की बड़ी भूमिका का होना है। हालांकि दलितों के मत पाने के हजारों रास्ते हो सकते हैं लेकिन पंचतीर्थ जैसी सोच वाकई अनूठी है।
संविधान निर्माता के बारे में भी हम जान लें। भीमराव रामजी अंबेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), बाबासाहेब नाम से लोकप्रिय हैं। वह भारतीय राजनेता, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे। 14 अप्रैल, 1891 को मध्यप्रदेश के महू में जन्म हुआ था और 6 दिसम्बर 1956 को अंबेडकर का महापरिनिर्वाण नींद में दिल्ली में उनके घर में हुआ था। तब उनकी आयु 64 वर्ष एवं 7 महीने की थी। दिल्ली से विशेष विमान द्वारा उनका पार्थिव शरीर मुंबई में उनके घर राजगृह में लाया गया। 7 दिसंबर को मुंबई में दादर चौपाटी समुद्र तट पर बौद्ध शैली में अंतिम संस्कार किया गया जिसमें उनके लाखों समर्थकों, कार्यकर्ताओं और प्रशंसकों ने भाग लिया था। हर साल 20 लाख से अधिक लोग उनकी जयंती (14 अप्रैल), महापरिनिर्वाण यानी पुण्यतिथि (6 दिसम्बर) और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (14 अक्टूबर) को चैत्यभूमि (मुंबई), दीक्षाभूमि (नागपुर) तथा भीम जन्मभूमि (महू) में उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं। अंबेडकर का अनुयायियों को संदेश था – “शिक्षित बनो, संगठित बनो, संघर्ष करो”। तो वर्तमान में लोकतांत्रिक भारत में सभी राजनैतिक दल अंबेडकर के पदचिन्हों पर चलकर संविधान निर्माता की सोच पर अमल कर रहे हैं। आजादी के अमृत महोत्सव में भाजपा भी पंचतीर्थ और पंचनिष्ठा संग लोकतांत्रिक प्रतिष्ठा के शिखर पर आसीन है…।