MLA केदारनाथ शुक्ल की बगावत से विंध्य में बिगड़ेंगे भाजपा के समीकरण

बड़े ब्राह्मण नेता के तौर पर पहचान, सीधी के साथ अन्य जिलों की सीटों पर भी पड़ेगा असर

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MLA केदारनाथ शुक्ल की बगावत से विंध्य में बिगड़ेंगे भाजपा के समीकरण

 

दिनेश निगम ‘त्यागी’ की खास रिपोर्ट

 

भोपाल: कहने के लिए केदारनाथ शुक्ल एक विधानसभा सीट सीधी से विधायक हैं, लेकिन उनकी पहचान सिर्फ इतनी ही नहीं है। विंध्य अंचल में वे बड़े और प्रतिष्ठित ब्राह्मण नेता के तौर पर जाने जाते हैं। समाज के लोग उन्हें आदर देते और सम्मान करते हैं। इसलिए यदि वे भाजपा से बगावत करते हैं, पूरे अंचल में भाजपा के राजनीतिक समीकरण गड़बड़ा सकते हैं। शुक्ल सांसद रीति पाठक को सीधी से भाजपा प्रत्याशी बनाने से नाराज हैं।

उन्होंने घोषणा की है कि वे किसी दूसरे दल में शामिल होने नहीं जा रहे लेकिन सीधी से निर्दलीय विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। शुक्ल की इस घोषणा से भाजपा सकते में है। क्योंकि उनके लड़ने से रीति पाठक की जीत खतरे में है। लिहाजा, शुक्ल को मनाने की कोशिशें जारी हैं।

पहले गोपदबनास, अब सीधी से विधायक

केदारनाथ शुक्ल ने 1993 के चुनाव में पहली बार गोपदबनास से निर्दलीय चुनाव लड़कर अपनी धमक दिखाई थी। इस चुनाव में वे हार गए थे लेकिन 25 फीसदी से भी ज्यादा वोट लेने में सफल रहे थे। इसके बाद यहां से वे भाजपा के टिकट पर एक चुनाव जीते। अब गोपदबनास सीट अस्तित्व में नहीं है और शुक्ल सीधी विधानसभा सीट से लगतार तीन चुनाव जीत चुके हैं। 2003 में यहां उन्हें कांग्रेस के इंद्रजीत कुमार से हार का सामना भी करना पड़ा था। सीधी जिले में 3 और सिंगरौल जिले में 4 विधानसभा सीटें हैं। एक सुहावल को छोड़कर शेष सभी सीटों पर भाजपा काबिज है। शुक्ल की बगावत का असर इन जिलों के साथ विंध्य के हर जिले में पड़ सकता है।

 

*पहले से थी नाराजगी*

केदारनाथ शुक्ल वरिष्ठ हैं। लगातार चुनाव जीत रहे हैं। सरकार बनने पर उनका नाम हर बार मंत्री अथवा विधानसभा अध्यक्ष बनने के लिए चलता था लेकिन अवसर एक बार भी नहीं मिला। इसकी वजह से वे असंतुष्ट व नाराज नेताओं की श्रेणी में पहले से थे। इस साल अचानक सीधी में एक आदिवासी पर पेशाब करने के मामले ने तूल पकड़ा। आरोपी को केदारनाथ का खास बताया गया। माना जाता है कि इस प्रकरण के चलते भाजपा ने शुक्ल का टिकट काट कर सांसद रीति पाठक को मैदान में उतार दिया। इससे उनके सब्र का बांध टूट गया और वे बगावत पर आमादा हैं।

रीवा, सतना तक के ब्राह्मणों में प्रभाव

विधायक के अलावा किसी बड़े पद में न रहने के बावजूद विंध्य अंचल के ब्राह्मण समाज में उनका कद बड़ा है। उनकी पहचान प्रभावी ब्राह्मण नेता के तौर पर होती है। सीधी के अलावा वे सिंगरौली, शहडोल, रीवा और सतना तक बड़े आयोजनों में जाते हैं। माना जा रहा है कि उनकी नाराजगी का प्रभाव पूरे अंचल में देखने को मिल सकता है। अंचल की कुल 30 विधानसभा सीटों में से 24 भाजपा के पास हैं। कांग्रेस के पास सिर्फ 6 सीटें हैं। एंटी इंकम्बेंसी पहले से है। शुक्ल की बगावत आग में घी डालने का काम कर सकती है।