BJP’s New Formula: कामराज योजना की तर्ज पर बदलाव कर युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की रणनीति

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BJP’s New Formula: कामराज योजना की तर्ज पर बदलाव कर युवाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की रणनीति

 

गोपेंद्र नाथ भट्ट की विशेष टिप्पणी 

नई दिल्ली।भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व इन दिनों 5 प्रदेशों में होने वाले विधान सभा चुनावों के साथ ही अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा आम चुनावों पर अधिक ध्यान केन्द्रित कर रहा है तथा इसके लिए पार्टी कामराज योजना की तर्ज पर आजादी के सौ वर्ष पूरे होने पर 2047 तक का रोड मेप बना कर युवाओं को आगे लाकर संसद में उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा और रणनीति के आधार पर गम्भीरता से काम कर रही है।

इस रणनीति के अन्तर्गत भाजपा नया फ़ार्मूला तय कर आगे बढ़ना चाहती है। इस फ़ार्मूले के आधार पर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पार्टी में सत्ता पर लम्बे समय से क़ाबिज़ नेताओं और अपने विरोधियों पर लगाम लगा कर उन्हें मार्ग से हटाने की नीति पर भी काम कर रहा है।पार्टी का मानना है कि देश में 65 प्रतिशत युवा है और बार-बार एक ही व्यक्ति अथवा घराना के लोगों के चुने जाने से संगठन में काम करने वाले युवा और कार्यकर्ता अपनी बारी का इंतज़ार करते-करते बूढ़े हो जाते है और उनमें निराशा के भाव आते हैं,इसलिए पार्टी में एक फ़ार्मूला बनाना जरुरी है ताकि पार्टी और समाज के हर वर्ग के योग्य व्यक्तियों को समान अवसर मिलें।

पिछलीं आठ अगस्त को नई दिल्ली में भाजपा की संसदीय समिति की बैठक में यह संकेत दिए गए कि आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा द्वारा 150 नए उम्मीदवारों को टिकट दिया जा सकता है और इसमें युवाओं को तरजीह दी जायेंगी ।साथ ही दो से अधिक बार चुनाव जीत चुके सांसदों को अब चुनाव नही लड़वा कर संगठन में भेजा जाएगा और राज्यसभा में भी अस्सी प्रतिशत सांसद विषय विशेषज्ञ यानि एक्सपर्ट होंगे।अपवाद को छोड़ कर दो बार सांसद रह चुके नेताओं को अब राज्य सभा में नही भेजा जायेगा।

भाजपा में इन दिनों युवाओं को प्रतिनिधित्व देने की इन चर्चाओं के चलते कई सांसद और विधायक जो कि दो बार या इससे अधिक बार चुनाव जीत चुके हैं गहरी चिन्ता में आ गए है। भाजपा इन सभी वरिष्ठ नेताओं को संगठन में जिम्मेदारी देने का मानस बना रही है। इसके अलावा कुछ को राज्यपाल बनाए जाने की भी संभावना जताई जा रही है।पार्टी कई सांसदों की अच्छी छवि नही होने के कारण 2024 के लोकसभा के चुनाव में पार्टी को होने वाले नुकसान की आशंका को ध्यान में रखकर उन्हें चुनाव नहीं लड़ाने का फैसला भी लें सकती है !

भाजपा के अंदर खाने राजनीतिक सूत्र बताते है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह,राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष की टीम ने इस बार मौटे तौर पर यह मानस बना लिया है कि वर्ष 2023 के विधानसभा और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में अधिकांश नए लोगों को उतारा जाना चाहिये। हालाँकि इस कारण कई दिग्गजों के सामने टिकट की समस्या पैदा हो जाएगी ।यह भी कहा जा रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य कई प्रदेशों में अधिकांश सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं । सूत्रों के अनुसार विधानसभा में भी यदि यही नीति अपनाई गई तो बहुत सारे ऐसे नेता भी चुनाव मैदान से बाहर हो जाएंगे जो कि आने वाले दिनों के लिए कई सपने पाले हुए हैं।

 

मौजूदा लोकसभा में भाजपा कर दो सांसदों की उम्र 80 से 90 के मध्य है। वही 110 सांसद ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 से 70 के बीच है और 13 सांसद ऐसे हैं जिनकी उम्र 30 से 40 के मध्य है। भाजपा के 135 लोकसभा सदस्य पहली बार और 97 लोकसभा सदस्य दूसरी बार चुनाव जीते हैं।कुछ सांसद तो ऐसे हैं जो कि आठ बार भी चुनाव जीते हुए हैं ।इसमें मेनका गांधी, संतोष गंगवार और डॉ वीरेंद्र कुमार आदि ने सात बार चुनाव जीते हैं।

 

भाजपा में 6 बार चुनाव जीतने वालों में पंकज चौधरी, अनंत हेगड़े, रमेश जिगाजिनगी, फग्गन कुलस्ते, वीएस प्रसाद, बृजभूषण शरण सिंह, राधामोहन सिंह, मनसुख वासवा आदि शामिल है।

 

इसी प्रकार पाँच बार चुनाव जीतने वालों में जी एस बासवराज, निहालचंद चौहान, रावसाहेब दानवे, जय प्रकाश, एस वाई नायक, जुअल ओराम, प्रह्लाद पटेल, राव इंद्रजीत सिंह, साक्षी महाराज, भानुप्रताप वर्मा, राम कृपाल यादव आदि शामिल है।

पार्टी में चार बार चुनाव जीतने वालों में रमा देवी, संजय धोत्रे, पीसी गौडर, एसपीएस बघेल, डीवीएस गौड़ा, प्रह्लाद जोशी, छेदी पासवान, आरपी रूडी, अरविंद शर्मा, जीएम सिद्देश्वरा, दुष्यंत सिंह, गणेश सिंह, केवी सिंह, राकेश सिंह, सुशील सिंह, वीरेंद्र सिंह, संगीता सिंहदेव, अनुराग ठाकुर, राजेश वर्मा आदि शामिल है।

इसके अलावा तीन बार चुनाव जीतने वालों में राजेंद्र अग्रवाल, सुभाष बहेरिया, सुदर्शन भगत, सीएस दरबार, निशिकांत दुबे, वरुण गांधी, संजय जयसवाल, दर्शना जरदोश, एनवी खाचडिया, नलिन कतील, रामशंकर कठेरिया, अर्जुन मेघवाल, पीसी मोहन, जगदंबिका पाल, कमलेश पासवान, डीएम पटेल, एलबी पटेल, सीआर पाटिल, बीवाई राघवेंद्र, अशोक रावत, किरेन रिजीजू, एमआरएल शाह, पशुपति सिंह, यूपी सिंह, किरीट सोलंकी, नरेंद्र सिंह तोमर, एससी उदासी आदि नेता गण शामिल है।

 

भाजपा का मानना है कि इन वरिष्ठ सांसदों को पार्टी के संगठन,मार्ग दर्शक मण्डल अथवा राजकीय लाभ के पदों आदि के साथ ही राज्यों के राज्यपाल और निगम बोर्ड आयोगों के अध्यक्ष बना उनकी सेवाएँ ली जा सकती है ताकि युवाओं को संसद और विधान सभाओं आदि में अधिक प्रतिनिधित्व दिया जा सकता हैं!

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