Blasting Indore:स्वच्छ इंदौर,लेकिन घिचपिच इंदौर

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Blasting Indore:स्वच्छ इंदौर,लेकिन घिचपिच इंदौर

नगर नियोजन के लिये काम करने वालों को मेरी बात का बुरा लग सकता है, जो कि लगना भी चाहिये। इंदौर उसी दिशा में दौड़ लगा रहा है। वे याद कर बतायें कि शहर की ऐसी कौन-सी बस्ती है, जो पूरी तरह शहरी विकास नियोजन की परिभाषा में खरी उतरती हो ? जो समुचित सड़क,ड्रेनेज,स्ट्राम वाटर लाइन,बगीचे,सड़क किनारे हरियाली,स्वच्छ बेकलेन,जल प्रदाय,स्ट्रीट लाइट,सामुदायिक भवन जैसी प्राथमिक सुविधाओं से सुसज्जित हो ? न वर्तमान की कोई कॉलोनी न ही पहले कभी विकसित हुई कॉलोनी इन मानदंडों पर बैठ पाती है। यदि यही रवैया अब भी जारी रहा तो नमकीन,स्वच्छ्ता,मेडिकल टूरिज्म,आईटी सेक्टर में दुनिया में जलवा बिखेर रहे इंदौर की शान पर ऐसा बट्‌टा लगेगा कि कोलकाता की दयनीयता को प्राप्त होने से रोक नहीं पायेंगे।

 

अतीत में भी इंदौर के गौरव ने विश्व स्तरीय प्रतिष्ठा प्राप्त की थी, जब होलकर महारानी देवी अहिल्या बाई ने अपने सुशासन,भक्ति,परमार्थिक कार्यों से और सेठ हुकमचंद ने कारोबार के माध्यम से दुनिया में लोहा मनवाया था। कर्नल सी.के नायडू,मुश्ताक अली,मेजर ध्यानचंद(महू) से खेल के क्षेत्र में, डेली कॉलेज से शिक्षा के क्षेत्र में,बाबा अंबेडकर(महू) से राजनीति,संविधान निर्माण के क्षेत्र में और एक ही शहर में आईआईएम,आईआईटी जैसे दो उच्च स्तरीय शिक्षण संस्थान होने के तौर पर इंदौर का डंका बजता रहा। अब उकताहट की हद तक अव्यस्थित बसाहट से शहर की प्रतिष्ठा पर आंच आ रही है। यदि जिम्मेदार लोग,संस्थायें,शासन-प्रशासन ने एकजुट होकर 50 बरस में होने वाले विकास,विस्तार को ध्यान में रखकर योजनायें नहीं बनाई तो इस समय देश भर में जो लगाव इंदौर में बसने के प्रति जागा है, वो यहां से पलायन के लिये जाग जायेगा। जो मुगालते में हैं, वे कृपया एक बार कोलकाता घूमकर आ जायें । वहां ममता सरकार आने के बाद से नागरिक सुविधाओं,सुरक्षा,औद्योगिक पर्यावरण के प्रति मुंह फेर लेने के कारण लगभग तमाम बडे कॉर्पोरेट कार्यालय,कारखाने,शो रूम,कारोबारी प्रोफेशनल्स विदा ले चुके हैं और सिलसिला निरंतर बना हुआ है। इसके पीछे बहुत सारे कारणों में प्रमुख बेतरतीब बसाहट,गुंडागर्दी, वसूली,हुज्जतबाजी और भ्रष्टाचार भी रहे। इन हालात के पैदा होने व बढ़ने में ये सारे तत्व एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं। एक सिरा बिगड़ा तो समझो बेड़ा गर्क ।

 

इंदौर इस समय अव्यवस्थित बसाहट और यातायात की घनघोर अव्यवस्था को छोड़कर औसत बेहतर स्थिति में होने से बाहरी लोगों को काम-धंधे के लिये आकर्षित कर रहा है। इसलिये शहर सरकार,प्रदेश सरकार,जन प्रतिनिधि(पार्षद से मंत्री तक),स्थानीय प्रशासन,पुलिस आदि संबंधित पक्षों को चैतन्य,जागरुक,सक्रिय,जवाबदेहपूर्ण रहना होगा । इंदौर के तत्कालीन सिटी इंजीनियर नरेंद्र सुराणा ने करीब 25 साल पहले मुझे अपने आस्ट्रेलिया दौरे के अनुभव बताते हुए कहा था कि वहां शहरी निकाय में एक विभाग होता है, जो अपने शहर की आगामी 50 साल बाद को लेकर योजनायें बनाता है, जिसमें संपूर्ण नागरिक सुविधाओं का आधार तैयार करना प्रारंभ कर दिया जाता है। इससे जब बस्ती बढ़ती है तो अचानक व्यवस्थायें जुटाने की हड़बड़ी नहीं रहती।

 

जबकि भारत में कहीं पर भी ऐसी व्यवस्था न होने से शहरी विकास बिखरा-बिखरा रहता है।

 

हम किसी बाहरी देश से तुलना न भी करें तो भी हमें अपने मानदंडों व आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में तो विकास योजनायें बनानी ही चाहिये। इंदौर की बात करें तो यहां नगर निगम में या तो कभी नगर नियोजक(टाउन प्लानर) पद पर कोई पदस्थ नहीं रहता या जब कोई रहता भी है तो उसकी भूमिका बड़े बाबू से अधिक की नहीं रहती। लंबे समय पद रिक्त रहने के बाद एक साल से नियुक्त अधिकारी की शहर विकास में कोई उपस्थिति अभी तक तो दिखाई नहीं दी।

 

इस बीच शहर में आबादी बढ़ती जा रही है। 1950 में हम 3 लाख 2 हजार थे, जो अब 33 लाख 93 हजार हो गये हैं। विश्व जनसंख्या समीक्षा में यह आंकड़ा 2050 में 50 लाख को पार करेगा। शहर के भीतरी हिस्से में 21.70 लाख तो बाहरी इलाकों को मिलाकर 33.93 लाख है। शहरी सीमा में 29 गांव शामिल करने के बाद यही वास्तविक आबादी मानी जा सकती है। आबादी का घनत्व प्रति वर्ग किमी 3800 लोगों का है। इसे हम बढ़ने से रोक सकें तो यह बड़ी उपलब्धि होगी। वैसे विश्व के महानगरों की प्रति वर्ग किमी आबादी औसत 4500 से 8000 है तो कुछ महानगरों का 3000 या कम भी है। ऐसे में हम शहर के विकास,नियोजन के साथ-साथ बसाहट नियंत्रण पर भी पूरे मनोयोग से काम करें तो इसे बढ़ने से रोक कर संतुलित व समुचित शहरीकरण के संतोष के साथ दुनिया में अपना परचम फहरा सकते हैं।

 

हाल ही में मप्र के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इंदौर के समीपवर्ती शहर उज्जैन, देवास, महू,धार को मिलाकर क्षेत्रीय विकास की योजना(रीजनल डेवलपमेंट प्लान) की घोषणा की और उस पर क्रियान्वयन भी प्रारंभ हो चुका है। इसके लिये इंदौर विकास प्राधिकरण(आईडीए) ने योजना बनाने के लिये 3 अक्टूबर 2024 को बैठक में स्थानीय एजेंसी मेहता एंड एसोसिएट्स को काम सौंपा है। हालांकि,शहर के अनेक जिम्मेदार व तकनीकी विशेषज्ञों ने आईडीए चेयरमैन(जो अभी संभागायुक्त भी हैं) से मिलकर इस काम के लिये राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के चयन का सुझाव दिया था, लेकिन उसे नहीं माना गया। विशेषज्ञों का तर्क था कि चूंकि यह क्षेत्र करीब 6630 वर्ग किलोमीटर

 

( 6,63,140 हेक्टेयर) में फैला हुआ है तो योजनाकार भी ऐसा होना चाहिये, जिसने पहले भी ऐसी विशाल योजनाओं पर काम किया हो। उन्होंने देश-विदेश के कुछ विशेषज्ञों के नाम भी सुझाये थे, लेकिन अभी तो स्थानीय एजेंसी तय कर दी गई है। यदि उसने अंतरराष्ट्रीय मानकों का ध्यान रखा तब तो क्षेत्र को नई पहचान निश्चित मिलेगी और उसमें विफल रहे तो इसका भी हश्र अन्य शासकीय योजनाओं की तरह होने में देर नहीं लगेगी।

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 जनवरी 2023 को इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय दिवस पर कहा था कि यह इंदौर का दौर है। यह गर्व,उत्साह और कुछ कर दिखाने के लिये प्रोत्साहन था, जिसकी महती जिम्मेदारी शहर के शुभचिंतकों,योजनाकारों,जन प्रतिनिधियों,प्रशासन पर है। नेतृत्व क्षमता, परस्पर समन्वय,संसाधनों की निरंतर उपलब्धता और कल्पनाशीलता से यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है। आशा तो की जा सकती है कि इंदौर को निखारने,संवारने में कसर नहीं रखी जायेगी, लेकिन इस समय यदि समग्र तौर पर गौर नहीं किया तो यह दौर लौटकर नहीं आयेगा।

 

(क्रमश:)

Author profile
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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।