देह दान से 11 लोगों को नया जीवन दे गया पुष्पलता जैन का पार्थिव शरीर
संभागीय ब्यूरो चीफ चंद्रकांत अग्रवाल की एक मर्मस्पर्शी रपट
इटारसी/शोभापुर/ भोपाल। भारतीय सेना से सेवानिवृत्त नर्मदापुरम जिले के निवासी एक पूर्व सैनिक अधिकारी ने अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद, सीमाओं की रक्षा करते हुए समय की देश के लोगों की रक्षार्थ सब कुछ न्यौछावर कर देने की अपनी भावना के अनुरूप ही, उनकी पत्नी की मृत देह का दान कर 11 लोगों के जीवन को नई उम्मीदों से भर दिया। अंगों का प्रत्यारोपण करने वाले एक स्वयंसेवी संगठन ने बैंड बाजों और पुष्पवर्षा के बीच देहदान करने वाली इस महान महिला को अंतिम बिदाई दी।
पूरा परिवार इस बात पर राजी हो गया कि पार्थिव शरीर का सदुपयोग कर समाज को नई प्रेरणा दी जाए। इस तरह पुष्पलता जैन अपनी मृत्यु के बाद भी भौतिक रूप से वे 11 लोगों के शरीर में जीवित भी रहेंगी। उनकी आंखों से किसी के जीवन में नया प्रकाश आया है, तो उनकी किडनी-लीवर सहित अन्य अंग भी जरूरतमंद मरीजों के काम आए हैं।
इटारसी निवासी कारोबारी व इटारसी के भाजपा नेता डा. नीरज जैन के जीजाजी विवेक जैन के चाचा लखनलाल जैन सेना से रिटायर्ड हैं। 5 मई को जैन की पत्नी 62 वर्षीय पुष्पलता जैन की तबियत अचानक बिगड़ गई, ब्लडप्रेशर बढ़ने के बाद उन्हें ब्रेन हेमरेज हो गया।
दरअसल वर्तमान में नर्मदापुरम जिले के शोभापुर में निवास रत व काफी समय तक इटारसी में भी रहीं पुष्पलता जैन उनकी बेटी के घर भोपाल में थीं। तभी 6 मई को उन्हें चक्कर आया और वे बेहोश हो गईं। परिजन बंसल अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां डॉक्टर्स ने उनको ‘ब्रेन डेड’ घोषित कर दिया। बंसल अस्पताल के ट्रांसप्लांट कॉर्डिनेटर डा. विद्यानंद त्रिपाठी ने बताया कि वर्तमान में अशोका गार्डन में निवास कर रहीं श्रीमती जैन को ब्रेन हेमरेज हुआ था। ब्रेन डेड होने पर मरीज की रिकवरी की संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं।
ऐसे में उनके परिजनों ने उनके अंगदान कर दूसरों को जीवन देने का सोचा। बुधवार की सुबह भोपाल के बंसल अस्पताल से इंदौर के शैल्बी अस्पताल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया जिसमें 200 किमी का सफर तय कर पुष्पलता की एक किडनी को डॉक्टर की निगरानी में इंदौर ले जाया गया। जिससे इंदौर में 19 वर्षीय एक युवती को किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। भोपाल से सुबह 6 बजे किडनी लेकर निकले थे, सुबह 8 बजे इंदौर पहुंचे। वहीं दूसरी किडनी भोपाल में ही डोनेट की गई।
पुष्पलता जैन के पति आर्मी से रिटायर्ड लखनलाल जैन और अमेरिका में निवासरत बेटे मनीष जैन ने फैसला किया कि अगर किसी को नई जिंदगी मिले, तो इससे बेहतर क्या हो सकता है। अस्पताल के डॉक्टरों के साथ चर्चा के बाद परिवार ने सहमति जताई। पुष्पलता की यह दूसरी किडनी बंसल अस्पताल में ही भर्ती एक मरीज को परसों मंगलवार रात ही ट्रांसप्लांट की गई है। इसके अलावा दोनों कॉर्निया हमीदिया अस्पताल को भेजी गई।
ज्ञात रहे कि श्रीमती जैन को परिजनों ने पहले एम्स अस्पताल में भर्ती किया था, यहां से उन्हें बंसल हास्पिटल में दाखिल कराया गया। श्रीमती जैन की हालत नाजुक होने की वजह से चिकित्सकों ने उनकी सर्जरी भी की, लेकिन पूरी तरह मस्तिष्क शून्य होने के कारण जैन काे बचाना मुश्किल हो गया। उनके शरीर के बाकी सभी अंग सक्रिय थे। ऐसे में उनके पति लखनलाल जैन एवं परिवार ने देहदान के लिए एक संगठन से संपर्क साधा। प्रकिया के तहत मृत्यु प्रमाण पत्र और अन्य वैधानिक कार्रवाई पूरी की गई।
6-6 घंटे की निगरानी के बाद एनजीओ की मदद से 48 घंटे की प्रकिया में पुष्पलता जैन की दोनों आंखें, लीवर, किडनी एवं अन्य काम आने वाले अंग निकालकर सुरक्षित किए गए। प्रत्यारोपण से पहले इन अंगों के लिए जरूरतमंद मरीजों को भी ढूँढना पड़ता है। जब सारे मरीज चयनित हो गए, तो श्रीमती जैन के अंगों को प्रत्याराेपण के लिए भेजा गया। हमीदिया अस्पताल में एक आंख, इंदौर के मरीज को एक किडनी समेत अलग-अलग जगह अंगों का प्रत्यारोपण कराया गया। जिन मरीजों को श्रीमती जैन के अंगदान से नया जीवन मिला, वे स्वयं उस पुण्यात्मा के दर्शन हेतु अस्पताल पहुंचे।
कल बुधवार को भोपाल में विधि विधान से श्रीमती जैन का अंतिम संस्कार किया गया। इटारसी की तारण तरण सभा के महामंत्री विवेक जैन ने बताया कि हमारी चाची बेहद धार्मिक और घरेलू महिला थीं। उनका निधन होने के बाद सर्वप्रथम उनके पति लखनलाल जैन ने देहदान करने का फैसला किया। इस बात पर उनकी दोनों बेटियां अंजू-मंजू जैन, अप्रवासी भारतीय बेटा मनीष जैन और पूरा परिवार भी तैयार हो गया। परिवार का यह फैसला पूरे समाज के लिए एक नई मिसाल बना है, साथ ही अनुकरणीय भी है। ट्रांसप्लांट करने वाले एनजीओ ने पुष्पवर्षा और बैंड-बाजाें की धुन पर श्रीमती जैन को श्रद्धांजलि अर्पित की। अस्पताल के डाक्टर, नर्स समेत कई गणमान्य नागरिक श्रीमती जैन की नम आंखों से अंतिम बिदाई करने पहुंचे।
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