Bogus Aayushyman Card: मंदसौर जिले में 8412 आयुष्मान कार्ड फर्जी,ऑडिट रिपोर्ट से खुलासा
मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की रिपोर्ट
मंदसौर । आयुष्मान भारत योजना में 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की पात्रता के लिए जिले में जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। अकेले मंदसौर जिले के 8412 आयुष्मान कार्ड फर्जी निकले। अभी जांच जारी है जिले के स्वास्थ्य अधिकारी के मुताबिक आयुष्मान कार्ड वेरिफिकेशन बाद आंकड़ा बढ़ सकता है ।
ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा यह हुआ है कि तहसीलों, गांवों में कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए बनेे कार्ड बनाने में धांधली हुई। अब मंदसौर, दलौदा, मल्हारगढ़, सीतामऊ, शामगढ़, सुवासरा, गरोठ व भानपुरा तहसील में वेरिफिकेशन पर जोर दिया जा रहा है।
फर्जीवाड़े संबंधी गंभीर मामला संज्ञान में आने के बाद शासन की टीम ने कुछ समय पहले स्पेशल ऑडिट कराया था। इसके बाद जिला स्तर पर डिटेल रिपोर्ट भेजी गई। तमाम चिह्निताें को अयोग्य दायरे में ले लिया है। जिले में योजना से अनुबंधित अस्पतालों में इलाज कराने कार्ड लेकर पहुंचने वालों का वेरिफिकेशन लगातार हो रहा है, गड़बड़ी सामने आते ही छंटनी की जा रही है।
♦️आयुष्मान योजना प्रक्रिया
2011 की आर्थिक जनगणना के मुताबिक जिले में 8 लाख 81 हजार 450 आयुष्मान कार्ड बनना थे जिसमें से 7 लाख 70 हजार 8 कार्ड बन चुके हैं यानी 87 फीसदी काम हो चुका है और 13 फीसदी और होना है। ये कार्ड कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए ही पंचायत स्तर पर रोजगार सहायक, सचिव के जरिए बनाए जाना है। योजना में सालाना 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलता है और गंभीर रोग समेत कई बीमारियां कवर होती हैं।
♦️इलाज के दाैरान ऐसे पकड़ में आती है गड़बड़ी
आयुष्मान भारत योजना में बने आयुष्मान कार्ड के साथ जैसे ही आवेदक अनुबंधित अस्पताल में इलाज कराने जाता है, बीमारी का डिटेल मांगते हैं। रजिस्ट्रेशन के लिए कार्ड मांगा जाता है, प्रोसेस भोपाल तक ऑनलाइन होती है। कार्ड चेक करते ही पता चल जाता है कि लीगल है या अनलीगल।
इसी जरिए निजी अस्पतालों में भी फर्जी कार्ड पकड़ा रहे हैं। अगर लीगल पाए जाते हैं तो इलाज का अप्रूवल मिल जाता है। वहीं रिजेक्टेड को अस्पताल प्रबंधन डिसेबल (अयोग्य) करने के लिए मेल के जरिए जानकारी देता है।
समग्र ई-केवाइसी होने से ज्यादा परेशानी नहीं आती
दरअसल आयुष्मान कार्ड से पहले आवेदक का आधार कार्ड व परिवार की समग्र आईडी होना आवश्यक है। ऐसे में डाटा मिसमैच जैसे हालात नहीं बनते, आयुष्मान कार्ड आवेदन में यही डिटेल माता, पिता या खुद के नाम, जन्म वर्ष समेत अन्य बिंदुओं में बगैर त्रुटि के पूरी आ जाए तो कार्ड दिखाने पर इलाज में परेशानी नहीं आती।
डाटा में स्पेलिंग मिस्टेक होने से भी कार्ड रिजेक्ट हो जाते। वजह है सॉफ्टवेयर बारीक त्रुटि भी पकड़ लेता और इलाज की परमिशन नहीं मिल पाती। ऐसे मामलों में डाटा अपडेशन के अलावा विकल्प नहीं रहता।
सॉफ्टवेयर से फर्जीवाड़े को हटाने पर लगातार काम जारी
कार्ड लेकर जब आवेदक अनुबंधित अस्पताल पहुंचने लगे तो कई में डाटा मिलान नहीं हुआ। जैसे माता- पिता व आवेदक के नाम की स्पेलिंग, जन्म वर्ष जैसे मामले में आंकड़े काफी जुदा दिखाई पड़े। कई केस का डिटेल शासन को भेजा। स्पेशल टीम ने पाया कि तहसीलों, गांवों में कई डाटा मिसमैच है। ये कार्ड गलत ढंग से बनाए गए।
यही वजह रही कि मंदसौर जिले में 8412 आयुष्मान कार्ड फर्जी निकले। इनकी तमाम डिटेल सॉफ्टवेयर से हटाने पर काम चला। चूंकि अब भी ऐसे कई लोग हैं जो कार्ड बनवा चुके और जब अस्पताल जाते हैं तो गड़बड़ी पकड़ में आती।
खासकर निजी अस्पतालों में जो योजना के पात्र कार्डधारी हैं उनके इलाज के बाद क्लेम के लिए प्राइवेट स्तर पर फैमिली हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी के जरिए जिला काे-ऑर्डिनेटर प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हैं। इसके बाद राशि पर काम होता है।
♦️इलाज कराने के दौरान मामले तत्काल पकड़ में आने लगे
^फर्जी कार्ड बनाने का काम कई कॉमन सर्विस सेंटर के जरिए हुआ था, ऑडिट रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई। शासन लगातार विशेष सॉफ्टवेयर के जरिए अयोग्य को दायरे से बाहर करता जा रहा है। कोविड के वक्त में भी और उसके अलावा गंभीर मामलों में कार्ड का उपयोग करने की कोशिशें होती रही हैं। जैसे ही कोई फर्जी कार्ड लेकर जिले के अनुबंधित अस्पताल जाता है तो मामले तत्काल पकड़ में आते है।
-डॉ. अनिल नकुम, सीएमएचओ, मंदसौर
♦️आयुष्मान योजना के अलावा अन्य केंद्र व राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में हितग्राहियों के नामों पात्रों में विसंगतियों की मांग उठने लगी है । कांग्रेस और आप पार्टी ने आरोप लगाया है कि भाजपा समर्थित लोगों को अवांछित लाभ दिलाने नाम जोड़ दिये गए हैं । परीक्षण होने पर सच्चाई उजागर होगी ।