Bolava Vitthal : डॉ धनश्री लेले, पं जयतीर्थ मेवुंडी, केतकी माटेगांवकर आषाढी एकादशी निमित्त ‘बोलावा विठ्ठल’ सानंद फुलोरा में!  

कार्यक्रम 29 जून रविवार शाम 5 बजे स्थानीय देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागृह पर!

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Bolava Vitthal : डॉ धनश्री लेले, पं जयतीर्थ मेवुंडी, केतकी माटेगांवकर आषाढी एकादशी निमित्त ‘बोलावा विठ्ठल’ सानंद फुलोरा में!

Indore : सानंद न्यास, इंदौर के फुलोरा उपक्रम में पंचम निषाद, मुंबई के संयुक्त तत्वावधान में आषाढी एकादशी निमित्त ‘बोलावा विठ्ठल’ कार्यक्रम 29 जून रविवार की शाम 5 बजे स्थानीय देवी अहिल्या विश्वविद्यालय सभागृह पर होगा। इसमें अभंग गायन प्रस्तुत किया जाएगा।

सानंद न्यास के अध्यक्ष जयंत भिसे एवं मानद सचिव संजीव वावीकर ने बताया कि देश के किराणा घराणा के शीर्ष गायक पं जयतीर्थ मेवुंडी, सुवर्णा माटेगांवकर की सुपुत्री एवं महाराष्ट्र की युवा गायिका एवं अभिनेत्री केतकी माटेगांवकर अपने साथियों के साथ अभंग गायन प्रस्तुत करेगें। कार्यक्रम का सूत्र संचालन डॉ धनश्री लेले (मुंबई) करेगीं।

कार्यक्रम में साथ देने वाले कलाकार हैं तबला – प्रशांत पाध्ये, पखावज – सुखद मुडे, हार्मोनियम – आदित्य ओक, बांसुरी – शडज गोडखिंडी और तालवाद्य – सूर्यकांत सुर्वे। प्रमुख अतिथि है देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो राकेश सिंघई।

अपने इष्ट देव में समाहित होने एवं अपने जीवन को चरितार्थ करने के लिए भारतीय समाज में तीर्थयात्रा की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। इसी परंपरा की अद्भुत बानगी है, महाराष्ट्र के इष्टदेव, पंढरपुर के ‘श्री विठ्ठल’ भगवान की वारी। वारी विशिष्ठ कालावधि में होती है, जो कि आलंदी से संत ज्ञानेश्वर महाराज एवं देवु से संत तुकाराम महाराज की चरण पादुकाएं श्री क्षेत्र पंढरपूर की और निकलती है, जिसमें लाखों भक्त बिना किसी निमंत्रण के मिलों पैदल चलकर जाते है।

वारी में जाने वाला वारकरी कहलाता है। कालांतर में वारी के अनेक स्वरूप हुए जैसे जहाँ देश-विदेश से भी महाराष्ट्र के कुलदैवता श्री विठ्ठल के दर्शनों के लिए भक्त आ रहे है। वहीं संगीत प्रेमी भक्तिमय होकर अपने भगवान की आराधना कर रहे हैं। संगीत माध्यम हे सुखद अनुभूति का, भक्ति रस में डूब जाने का, मन शांत करने का और आनंद पाने का।

भारतीय शास्त्रीय संगीत के कई खंड लोक धुनों और भगवान विठ्ठल को समर्पित अभंगों से गहराई से जुडे हुए है। ‘बोलावा विठ्ठल’ हमारी युवा पीढ़ी को महान संत, कवियों द्वारा देखे गए पारंपरिक मूल्यों और जीवन दर्शन के करीब लाने का एक प्रयास हैं। बोलावा विठ्ठल प्रस्तुत करना भगवान और श्रोता भाविकों के बीच एक दिव्य संबंध स्थापित करने जैसा है। सानंद न्यास, इंदौर, तथा पंचम निषाद (मुंबई) होने वाली इस ‘वारी’ में श्रोता भक्तों को सहृदय आमंत्रित करता है। कार्यक्रम सभी रसिक श्रोताओं के लिये निःशुल्क एवं खुला रहेगा।