Book Discussion : लेखक और पत्रकार हरीश पाठक की किताब ‘मेरा आकाश-मेरे धूमकेतु’ पर चर्चा!

लेखक हरीश पाठक ने कहा कि सकारात्मक सोच ही मेरी किताब की आत्मा!

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Book Discussion : लेखक और पत्रकार हरीश पाठक की किताब ‘मेरा आकाश-मेरे धूमकेतु’ पर चर्चा!

Mumbai : ‘आज हम जिस दौर में जी रहे हैं वहां कुंठा है, ईर्ष्या है, दगाबाजी है, मित्रद्रोह है।चुनौतियों और परेशानियों के इस दौर में हरीश पाठक की किताब ‘मेरा आकाश, मेरे धूमकेतु’ एक सकारात्मक किताब है। इसमें कहीं भी नकारात्मकता नहीं है। यही इस किताब की खूबसूरती है।’ यह विचार प्रख्यात कथाकार, शिक्षा विद रवींद्र कात्यायन ने चित्र नगरी संवाद मंच द्वारा कथाकार, पत्रकार हरीश पाठक के संस्मरणों की किताब ‘मेरा आकाश, मेरे धूमकेतु’ पर आयोजित चर्चा में व्यक्त किए। कात्यायन ने कहा कि चुनौतियों और परेशानियों के इस दौर में यह सकारात्मक किताब है। जबकि, लेखक हरीश पाठक ने कहा कि सकारात्मक सोच ही मेरी किताब की आत्मा है।

लेखक, पत्रकार विवेक अग्रवाल ने कहा कि किस्सागो शैली में लिखे यह 49 संस्मरण यादों के वे दस्तावेज हैं जिनकी जबरदस्त पठनीयता बार बार पढ़ने की मांग करती है। संस्मरण विधा का यह अकेला उदाहरण है जिसमें नकारात्मकता का अंश मात्र भी नहीं है। मनोगत के अंतर्गत हरीश पाठक ने कहा कि मेरी सोच सिर्फ और सिर्फ सकारात्मक ही रही है। वही सकारात्मकता इस किताब की आत्मा है। डॉ रीता दास राम ने किताब की जादुई भाषा की तारीफ की। प्रियम्वदा रस्तोगी ने ‘वनमाला : कतरा कतरा आसमान’ का अंश पाठ किया।

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संयोजन व संचालन देवमणि पांडेय ने किया। इस मौके पर दिल्ली से आयीं कथाकार नीलिमा शर्मा, विजय पंडित, राजेन्द्र शर्मा, प्रदीप गुप्ता, मीनू मदान, रीमा राय सिंह, प्रमिला शर्मा, कनकलता तिवारी, कमलेश पाठक, मधुबाला शुक्ल, कमर हजीपुरी, शिवदत्त शर्मा, द्विजेंद्र तिवारी सहित कला, साहित्य, संस्कृति के कई नामचीन रचनाधर्मी मौजूद थे। चर्चा सत्र के बाद काव्य गोष्ठी का भी आयोजन था।