Boss Stopped the Action : अवैध फर्नीचर फैक्ट्री पर वन विभाग की छापेमारी किसने रुकवाई!

किस 'बॉस' का फ़ोन आया और झूमरखली गांव वन विभाग के अफसरों की कार्रवाई रुकी!

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Boss Stopped the Action : अवैध फर्नीचर फैक्ट्री पर वन विभाग की छापेमारी किसने रुकवाई!

Khandwa : जिले के झूमरखली गांव में चल रही एक अवैध फर्नीचर फैक्ट्री पर सोमवार अलसुबह वन विभाग के फ्लाइंग स्क्वॉड ने छापा मारकर भारी मात्रा में अवैध सागौन लकड़ी और लकड़ी चिराई वाली मशीनें बरामद कीं। कार्रवाई के दौरान अचानक एक फोन आया और सब कुछ बदल गया। सुनाई दिया ‘बॉस का फोन आ गया है!’ इसके बाद अधिकारी कार्रवाई अधूरी छोड़कर लौट गए। शाम को जब मीडिया ने वन विभाग के अधिकारियों से जानकारी मांगी, तो जवाब गोलमाल दिया गया।

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इस घटना ने वन विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। सबसे बड़ी चर्चा वन विभाग यह कि आखिर ‘बॉस’ कौन है जिसके एक फोन पर विभाग की पूरी कार्रवाई थम गई! बताते हैं कि ये ‘बॉस’ और कोई नहीं बदजुबान मंत्री विजय शाह हैं। सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर दिए विवादास्पद बयान के बाद वे राष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेल चुके हैं। वे सुप्रीम कोर्ट तक की फटकार झेल चुके हैं। ऐसे समय में जब वे खुद विवादों में हैं, उनके नाम से वन विभाग की कार्रवाई का रुक जाना दर्शाता है, कि उनका ‘बॉस’ वाला रुतबा आज भी अफसरों पर भारी है।

घटना के मुताबिक, झूमरखली स्थित ‘श्री सांवरिया सेठ फर्नीचर’ नामक दुकान पर सुबह 6 बजे के आसपास वन विभाग की टीम ने छापा मारा। दुकान में अवैध रूप से सागौन की लकड़ी चिराई और डिजाइन की जा रही थी। टीम को देखते ही अफरा-तफरी मच गई। दुकान के पिछले हिस्से में एक फुट का गुप्त छेद था जिससे लकड़ियों की अंदर-बाहर आवाजाही होती थी।

कार्रवाई के दौरान एक कर्मचारी के मोबाइल पर फोन आया। उसने कहा ‘बॉस का फोन आया है, साहब आपसे बात करना चाहते हैं।’ इसके बाद कार्रवाई लीड कर रहे अधिकारी ने बात की और टीम को लेकर चुपचाप वापस लौट गए। भारी मात्रा में लकड़ी और मशीनें जब्त करने के बावजूद केवल नाम मात्र की कार्रवाई हुई।

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हरसूद में ‘बॉस’ चर्चित नाम  

हरसूद विधानसभा क्षेत्र में ‘बॉस’ नाम से पहचाने जाने वाले नेता हैं जनजातीय कार्य मंत्री विजय शाह। क्षेत्र में उनके नाम से बड़े-बड़े होर्डिंग और पोस्टर लगते हैं, जिनमें उन्हें ‘बॉस’ कहकर संबोधित किया जाता है। अब यही नाम कार्रवाई रुकवाने वाले फोन से जुड़ रहा है। चर्चा यह भी है कि खुद वनमंडलाधिकारी ने कार्रवाई रोकने का निर्देश ‘बॉस’ के कहने पर अपने अधीनस्थों को दिया।

डीएफओ डामोर और रेंजर की भूमिका संदिग्ध

जब सोमवार शाम 6 बजे तक भी पीओआर (प्रॉपर्टी ऑफेन्स रिपोर्ट) जारी नहीं की गई, तब मीडिया ने खंडवा के वनमंडलाधिकारी राकेश डामोर से संपर्क किया। पहले उन्होंने भोपाल में होने की बात कही, फिर कार्रवाई की जानकारी से ही इंकार कर दिया। अंत में उन्होंने कहा कि अगर कार्रवाई हुई है, तो अधीनस्थ से जानकारी लेकर बताता हूं। वहीं, सिंगाजी रेंजर रमेश गहलोत का फोन लंबे समय तक बंद रहा। बाद में उन्होंने खुद फोन कर कहा कि हम लकड़ी का नाप ले रहे हैं, कार्रवाई जारी है। चौंकाने वाली बात यह है कि अवैध फर्नीचर संचालक रमाशंकर विश्वकर्मा का फोन खुद रेंजर के पास आया। वह अस्पताल में भर्ती होने का हवाला देते हुए अगले दिन जानकारी देने की बात कर रहे थे।