
BRTS Became a Problem : नगर निगम का नया टेंशन, BRTS तोड़ने में ठेकेदारों की रुचि नहीं, सिर्फ एक टेंडर मिला!
Indore : सरकार के बीआरटीएस तोड़ने के फैसले के बावजूद अभी तक इसे हटाया नहीं जा सका है। निरंजनपुर चौराहा से लेकर राजीव गांधी प्रतिमा चौराहा तक बना बीआरटीएस का 12.5 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर अभी टूटने का इंतजार कर रहा है। समय बढ़ाने के बाद भी नगर निगम को केवल एक टेंडर मिला। टेंडर की समयसीमा बढ़ाए जाने के बावजूद कोई और ठेकेदार इस काम को करने के लिए आगे नहीं आया।
सरकार इस कॉरिडोर को तोडक़र बस के लिए अलग से बनाई गई लेन को समाप्त करने का फैसला ले चुकी है। सरकार के इस फैसले पर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की भी मुहर लग चुकी है। इसके बाद भी इस काम को करने के लिए कोई ठेकेदार तैयार नहीं हो रहा। इसके चलते इस कॉरिडोर को तोड़ने का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका।
इंदौर में 300 करोड़ की लागत से बने बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (बीआरटीएस) को हटाने का काम 4 महीने बाद भी शुरू नहीं हो सका पहले चरण में जीपीओ से शिवाजी वाटिका तक हटाई जाना थी। बीआरटीएस को लेकर दो जनहित याचिकाएं हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में लगी थी। दोनों याचिकाओं को हाईकोर्ट की मुख्य पीठ ट्रांसफर किया, इसके बाद जबलपुर हाईकोर्ट ने बीआरटीएस हटाने का आदेश दिया।

जीपीओ से लेकर शिवाजी वाटिका तक बीआरटीएस हटाने का काम शुरू भी हो गया। निगम की रिमूवल टीम ने रेलिंग को उखाड़ दिया। नगर निगम ने तय किया है कि जहां ट्रैफिक का दबाव है, वहां रेलिंग हटाने का काम पहले किया जाएगा। इस फैसले के बाद 1 मार्च को प्रतीकात्मक रूप से जीपीओ के पास बीआरटीएस हटाया भी गया। यह काम नगर निगम ने किया, पर इस काम के लिए कोई ठेकेदार सामने नहीं आ रहा।
नगर निगम ने यह अपेक्षा की थी, कि जो भी ठेकेदार इस कॉरिडोर को तोड़ेगा उसे नगर निगम 3 करोड़ रुपए देगा। इस कॉरिडोर में बस की लाइन के दोनों तरफ सडक़ पर भी बीम बने हुए हैं। इन बीम के ऊपर लोहे की जालियां लगी हैं। यह लोहा बिक्री योग्य होता है। इसके साथ ही इस कॉरिडोर में जगह-जगह बस स्टॉप भी बने हुए हैं। उनमें से भी पर्याप्त मात्रा में लोहा निकलना है। ऐसे में नगर निगम द्वारा यह उम्मीद की जा रही थी कि लोहे से पर्याप्त कमाई होने के कारण ठेकेदार उत्साह के साथ इस काम को लेंगे।
नगर निगम की इस धारणा पर पानी फिर चुका है। नगर निगम द्वारा 3 टेंडर जारी कर दिए जाने के बावजूद कोई भी ठेकेदार इस काम को करने के लिए तैयार नहीं हुआ। इसके परिणाम स्वरूप नगर निगम को अपने टेंडर की शर्तें बदलना पड़ीं। निगम द्वारा ठेकेदार को अब यह सुविधा दी गई है कि वह दी जाने वाली राशि को चार बार में दे सकता है। यह सुविधा देने के बाद भी ठेकेदारों द्वारा इस काम को अंजाम देने में रुचि नहीं ली गई है। इस बार में नगर निगम के पास कुल जमा एक टेंडर आया है। निगम द्वारा और अधिक टेंडर आने की उम्मीद से इस टेंडर की अवधि को 5 दिन के लिए बढ़ा भी दिया गया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
नगर निगम के जनकार्य विभाग के प्रभारी राजेंद्र राठौर ने बताया कि सोमवार को निगम अधिकारियों द्वारा इस एकमात्र टेंडर का टेक्निकल वैल्यूएशन किया जाएगा। जब यह टेक्निकल वैल्यूएशन पूरा हो जाएगा तो उसके बाद इसकी फाइनेंशियल बीड खोली जाएगी। फिर नगर निगम द्वारा इस बारे में फैसला लिया जाएगा कि इस सिंगल टेंडर को मंजूर किया जाए या फिर से नए सिरे से टेंडर बुलवाया जाए।





