Budhni Politics : दीपक जोशी की बुधनी सीट से दावेदारी से कहां, क्या बदलेगा!

इस सीट पर दीपक नया चेहरा नहीं, पिता की छवि भी मदद देगी!

1061

Budhni Politics : दीपक जोशी की बुधनी सीट से दावेदारी से कहां, क्या बदलेगा!

Bhopal : पूर्व मुख्यमंत्री स्व.कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी ने कांग्रेस ज्वाइन करने के पहले कहा था कि ‘मैंने पीसीसी चीफ कमलनाथ के सामने बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने टिकट दीजिए। मेरे पिता का अपमान हुआ है, जिसका मुझे बदला लेना है। यदि मुझे मंजूरी मिली तो मैं अभी से चुनावी तैयारियों में जुट जाउंगा।’ कमलनाथ ने भी उनके इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार करने की बात कही थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था। लगता है कि दीपक जोशी को बुधनी से चुनाव लड़ने का इशारा मिल गया।

कांग्रेस ने दीपक जोशी के प्रस्ताव को गंभीरता से ले लिया है। कांग्रेस की तरफ से जो इशारे मिल रहे हैं, उससे तो यही लगता है। कांग्रेस में आने के बाद वे 18 मई को पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र बुधनी गए भी थे। सीहोर जिले के बुधनी विधानसभा के भैरुन्दा (नसरुल्लागंज) में कांग्रेस ने गुरुवार को ‘संविधान बचाओ सभा’ की। सभा के मुख्य अतिथि सज्जन वर्मा और विशेष अतिथि दीपक जोशी थे।

बुधनी से यदि कांग्रेस दीपक जोशी को उम्मीदवार बनाती है, तो पार्टी को सबसे बड़ा फ़ायदा यह होगा कि शिवराज सिंह दूसरे इलाकों में प्रचार में ज्यादा समय नहीं दे सकेंगे। क्योंकि, दीपक जोशी भाजपा से निकलकर गए हैं, तो उनके चुनाव प्रचार का अंदाज भी अलग होगा। वे भाजपा के संस्थापक परिवार से हैं, इसलिए उनकी बात में भी वजन होगा। यह भी कहा जा रहा है कि दीपक जोशी की दावेदारी से बुधनी सीट पर कांग्रेस की दावेदारी भी मजबूत होगी।

दीपक जोशी के पिता स्व कैलाश जोशी मुख्यमंत्री रहे थे। क्षेत्र के लोगों से जुड़ाव रहा है। निश्चित रूप से इसका लाभ दीपक जोशी को मिलेगा। स्व कैलाश जोशी की छवि अच्छी रही है और दीपक जोशी पर भी राजनीतिक करियर में कभी कोई आरोप नहीं लगे।

80 के दशक में जब वे हमीदिया कॉलेज की राजनीति करते हुए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) का नेतृत्व करते थे, तब भी उन्हें राजनीतिक जोड़तोड़ में माहिर समझा जाता था। वे विद्यार्थी परिषद के नेता थे, लेकिन कांग्रेस और NSUI के कार्यकर्ताओं से भी उनकी दोस्ती रही है। बुधनी सीट सीहोर जिले में आती है, जो भोपाल से लगा हुआ है। उनके लिए बुधनी और ये पूरा इलाका नया नहीं है। ये सीट विदिशा लोकसभा सीट में आती है और देवास जिले की खातेगांव सीट भी इसमें शामिल है।

देवास जिले की खातेगांव सीट से दीपक जोशी पिछला विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, क्योंकि ये भी उनका ही क्षेत्र है। यह सीट बागली-हाटपिपलिया से जुड़ी है। इसके अलावा भोपाल जाने के लिए खातेगांव और बुधनी विधानसभा से ही होकर गुजरना पड़ता है। जब वे मंत्री थे, तब भी उनकी इसी क्षेत्र में सक्रियता थी। इसलिए समझा जा सकता है कि दीपक जोशी नया चेहरा नहीं है। बुधनी सीट और सीहोर जिला उनके लिए अंजाना नहीं है।

बुधनी में अभी तक भाजपा का पलड़ा भारी रहा

बुधनी विधानसभा सीट से अब तक भाजपा 7 बार, कांग्रेस 5 बार, जनसंघ एक बार और जनता पार्टी भी एक बार चुनाव जीती है। दो बार यहां से निर्दलीय चुनाव जीते हैं। 2003 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राजेंद्रसिंह राजपूत यहां से चुनाव जीते थे। उसके बाद से चार बार से शिवराज सिंह चौहान यहां से जीत रहे हैं। भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस पूरा जोर लगाती रही है। 2013 में कांग्रेस ने महेंद्र सिंह चौहान को प्रत्याशी बनाया था।

कांग्रेस यहां से अब तक स्थानीय से लेकर बाहरी नेताओं तक को मौका दे चुकी है,लेकिन उसे सफलता नहीं मिली है। 15 वर्ष पहले जरूर कांग्रेस ने स्थानीय प्रत्याशी महेश सिंह राजपूत को चुनाव लड़ाया था। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने शिवराज के सामने पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वे भी जीत नहीं सके थे।