
Bulldozer Justice: “बुलडोजर एक्शन” को रोकने वाले फैसले से मिला संतोष- CJI गवई, जस्टिस विश्वनाथन को भी दिया श्रेय
New Delhi:भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा “बुलडोजर न्याय” को रोकने वाला फैसला उनके लिए अत्यंत संतोषजनक रहा। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के शैक्षणिक मंच 269वें फ्राइडे ग्रुप को संबोधित करते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह निर्णय न्यायपालिका द्वारा मानवीय और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का प्रतीक है।
**बुलडोजर न्याय पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती**
नवंबर 2024 में सीजेआई गवई और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की खंडपीठ ने आदेश पारित कर यह स्पष्ट किया था कि अभियुक्त या दोषी होने के नाम पर परिवारों को प्रताड़ित करने और उनकी संपत्तियों को बिना वैधानिक प्रक्रिया के ध्वस्त करने की प्रवृत्ति अस्वीकार्य है। अदालत ने कहा था कि कानून के शासन से संचालित समाज में कार्यपालिका न्यायपालिका की भूमिका नहीं निभा सकती।
इस फैसले में स्पष्ट निर्देश दिए गए कि ध्वस्तीकरण की किसी भी कार्रवाई से पहले नोटिस, सुनवाई और न्यायालयीन प्रक्रिया अनिवार्य है। अदालत ने “राइट टू शेल्टर” को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का अभिन्न हिस्सा बताते हुए इसे संरक्षित किया।
**सीजेआई की टिप्पणी**
सीजेआई गवई ने कहा, “मुझे लगता है कि बुलडोजर वाला फैसला हम दोनों के लिए बेहद संतोषजनक था। इसमें मानवीय समस्याओं को केंद्र में रखा गया था। कई परिवार सिर्फ इस वजह से पीड़ित हो रहे थे कि उनके किसी सदस्य पर आपराधिक आरोप है। न्यायालय ने यह अन्याय रोकने का काम किया।”
उन्होंने माना कि फैसले का अधिक श्रेय उन्हें दिया गया, लेकिन इस निर्णय को लिखने में जस्टिस विश्वनाथन का भी समान योगदान रहा।
**कार्यकाल और न्यायपालिका पर दृष्टिकोण**
अपने कार्यकाल पर बोलते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल की अवधि न्याय प्रशासन की दक्षता का पैमाना नहीं है। उन्होंने उदाहरण दिया कि अल्प कार्यकाल वाले कुछ चीफ जस्टिस भी न्याय प्रशासन में स्थायी छाप छोड़ गए हैं।
गवई ने कहा कि उन्होंने न्यायिक ढांचे के विकास, उच्च न्यायालयों में नियुक्तियों को शीघ्रता से पूरा करने और सुप्रीम कोर्ट में युवा वकीलों को अवसर देने की दिशा में लगातार प्रयास किए हैं।
**आगे का समय**
सीजेआई गवई ने मई 2024 में पदभार ग्रहण किया था और उनका कार्यकाल 23 नवंबर 2025 को समाप्त होगा।
उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब न्यायपालिका में “बुलडोजर न्याय” जैसे मामलों पर देशभर में बहस जारी है।
सीजेआई बी.आर. गवई का यह वक्तव्य सुप्रीम कोर्ट की उस ऐतिहासिक भूमिका को दोहराता है, जिसमें अदालत ने कार्यपालिका की मनमानी पर रोक लगाते हुए नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा की। “बुलडोजर न्याय” पर दिया गया फैसला केवल संवैधानिक व्यवस्था की मजबूती ही नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं के संरक्षण का भी प्रतीक है।





