धन का सदुपयोग करने से धन और धर्म दोनों बढ़ते हैं- श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी

31 वें पुण्य स्मृति महोत्सव के पांचवे दिन श्रीमद् भागवत कथा

918

रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट

रतलाम. महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि यदि ईश्वर ने आपको धन संपदा दी है तो उसका उपयोग धर्म के कार्य में करना चाहिए।

सदकार्य में धन का सदुपयोग करने से धन और धर्म दोनों बढ़ते है।

धन लक्ष्मीजी के ज्येष्ठ पुत्र है जो इसका उपयोग बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय के लिए करते है, उन पर लक्ष्मीजी प्रसन्न होती है अन्यथा लक्ष्मीजी के तीन अन्य पुत्र अग्नि, राजा और चोर जबरदस्ती आपका धन ले जाते है।

अर्थ का परमार्थ में उपयोग मुक्तहस्त से करें। धर्म में किया गया खर्च धन भगवान ब्याज समेत वापस लौटा देते है, यह सिद्धांत हमेशा याद रखना चाहिए।

WhatsApp Image 2022 05 23 at 6.39.57 PM

अखंड ज्ञान आश्रम में ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वें पुण्य स्मृति महोत्सव के पांचवे दिन श्रीमद् भागवत कथा का वे श्रवण करवा रहे थे।

मुख्य यजमान श्रीमती मैनाबाई बंशीलाल अग्रवाल ने पोथी पूजन अर्चन एवं स्वामीजी का स्वागत किया।

आश्रम सहसंचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी, स्वामी श्री वासुदेवानन्द जी, स्वामी श्री अवधेशानंद जी, स्वामी श्री प्रभुतानन्द जी महाराज ने स्वागत वंदन किया।

भजनमय भावांजली की अर्पित

कथा के आरम्भ में धर्मनिष्ठ श्री पुरुषोतम पोरवाल के वैकुंठवासी होने पर उन्हे भक्तिभाव के साथ भजनमय भावांजली अर्पित की गई।

स्वामीजी ने कहा कि पुरुषोतमजी बहुत ही पुण्यात्मा थे। गत दिवस कथा में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर वे यंहा खूब झूमते नाचते उत्सव मानते नजर आ रहे थे और रात में अचानक उनका देवलोकगमन हो गया।

WhatsApp Image 2022 05 23 at 6.39.58 PM 1

भगवान को उनकी भक्ति इतनी पसंद आयी कि वे उन्हें अपने वैकुण्ठ धाम में ले गए। ऐसी मंगलमय अंतिम अवस्था दिव्यात्मा को ही प्राप्त होती है।

लेकिन उनका अचानक संसार से चला जाना सभी को स्तब्ध किये हुए है।

हम सभी उनकी आत्मशांति और पोरवाल परिवार को यह वज्रपात सहन करने की परमात्मा शक्ति प्रदान करें, यही प्रार्थना करते है।

उपद्रवी नहीं बल्कि उत्सवी बने

उन्होंने कहा कि आपको केवल कथा में ही उत्सवी नहीं बल्कि घर परिवार में भी उत्सवी और उत्साही रहना चाहिए। आज समाज को उपद्रवी नहीं बल्कि उत्सवी की आवश्यकता है।

WhatsApp Image 2022 05 23 at 6.39.59 PM

आपका जीवन चिंता, भय और अवसाद मुक्त हो इसीलिए कथा है। कथा श्रवण करने से सहज ही प्रसन्नता प्रकट होती है। प्रसन्नता हर व्यक्ति की मांग है।

कथा में आपने जो भी श्रवण किया है उसे आचरण में आत्मसात करें, यही कथा सार्थकता है।

महात्मा ज्ञानावतार है

आपने कहा कि परमात्मा का जन्म जीवों के कल्याण के लिए होता है।वे अवतार ही भक्तों का उद्धार करने के लिए लेते है।

भगवान यदि अवतार नहीं लेते तो भक्त उनकी लीलाओं का चिन्तन करके कैसे अपने जीवन धन्य करते!

WhatsApp Image 2022 05 23 at 6.39.59 PM 1 1

भगवान के अवतारों ने ज्ञानावतार भी महत्वपूर्ण है। ज्ञान स्वरूप में परमात्मा महापुरुषों के रूप में समाज में प्रकट होते है।

ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज भी ऐसे ही ज्ञानावतार थे।जिनकी पावन स्मृति में यह ज्ञान यज्ञ आयोजित है।

स्वागत-अभिनंदन 

इस अवसर पर संत श्री आसाराम जी आश्रम, मांगल्य मन्दिर धर्म क्षेत्र, युवा सेवा संघ, योग वेदांत सेवा समिति, जिला अभिभाषक संघ, उत्सव महिला मंडल, मारुती सुंदरकांड समिति राजस्व कालोनी, व्यापारी मोर्चा सहित विभिन्न संस्थाओं एवं गणमान्य जनों ने स्वागत किया।