Cabinet Reshuffle : पांच ताकतवर मंत्रियों को कैबिनेट से हटाकर नई जिम्मेदारी देने की हलचल!

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Cabinet Reshuffle : पांच ताकतवर मंत्रियों को कैबिनेट से हटाकर नई जिम्मेदारी देने की हलचल!

New Delhi : मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा गर्म है। संभावना है कि मंत्रियों को कैबिनेट से निकालकर दूसरे नेताओं को उनकी जगह दी सकती है। जी किशन रेड्डी को इसी इसी फार्मूले के तहत मंत्रिमंडल से तेलंगाना का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भेजा गया है। समझा जा रहा है कि कुछ और राज्यों में भी यही किया जा सकता है। इनमें कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का भी नाम भी है, जो मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। मोदी के पहले कैबिनेट में राज्य मंत्री के रूप में शामिल होने वाले कई मंत्री अब मंत्रिमंडल के कोर ग्रुप में हैं।
अच्छे कामकाज के आधार पर प्रमोशन पाने वाले जिन मंत्रियों को हटाए जाने की चर्चा है, उनमें से कुछ को संगठन में भेजा जा सकता है। यह भी संभव है कि कुछ को राजभवन भेजा जा सकता है। भाजपा हाईकमान ने अभी तक कैबिनेट फेरबदल के पत्ते नहीं खोले हैं।
जिन मंत्रियों को हटाए जाने की चर्चा गरम है उनमें कुछ ये है।

– नरेंद्र सिंह तोमर : इन्हें मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जा सकती है। 2006-2010 और 2013 में वे प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष रह भी चुके हैं। वे प्रदेश की तासीर को बेहतर ढंग से समझते हैं। तोमर की चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि भाजपा में शिवराज और सिंधिया खेमे को एक साथ साधा जा सके। तोमर की ग्वालियर-चंबल में मजबूत पकड़ है। पुराने नेताओं से भी उनके संबंध सही हैं। हाल ही में बीजेपी के पुराने नेताओं ने शिवराज सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, जो चुनावी साल में भाजपा के लिए परेशानी का कारण बना है।
नरेंद्र सिंह तोमर को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। उन्हें श्रम-रोजगार और इस्पात विभाग का मंत्री बनाया गया। 2016 के फेरबदल में उनका कद बढ़ा और पंचायती राज के साथ-साथ ग्रामीण विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई। 2018 में तोमर संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी भी मिली। 2019 के चुनाव में वे फिर से ग्वालियर सीट से जीतकर आए और मोदी कैबिनेट में शामिल। हुए इस बार उन्हें कृषि और किसान कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिली। 2020 में हरसिमरत कौर बादल के कैबिनेट से जाने के बाद उनका खाद्य प्रसंस्करण विभाग भी तोमर को अतिरिक्त प्रभार मिला। 2023 के कैबिनेट फेरबदल में उनकी कुर्सी पर भी संकट है।

– वीके सिंह : संभावित कैबिनेट फेरबदल में उन्हें किसी राज्य के राज्यपाल के पद पर भेजा जा सकता है या फिर उन्हें सारी जिम्मेदारियों से मुक्त भी किया जा सकता है। सैन्य क्षेत्र से पहले अन्ना आंदोलन और फिर भाजपा में आने वाले जनरल वीके सिंह को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। वे नॉर्थ-ईस्ट और सांख्यिकी विभाग में स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी दी गई। साथ ही विदेश विभाग में राज्यमंत्री भी बनाया गया। विदेश विभाग में राज्यमंत्री रहते हुए सिंह यमन संकट के दौरान खुद वहां गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने भी यमन संकट के दौरान किए गए उनके कार्य की सराहना की थी। 2019 में जब दूसरी मोदी सरकार का गठन हुआ तो सिंह को कैबिनेट में शामिल किया गया। उन्हें सड़क परिवहन विभाग में राज्य मंत्री बनाया गया। 2021 में सिंह को सड़क परिवहन के साथ नागरिक विमानन विभाग में भी राज्यमंत्री बनाया गया। सिंह 2014 और 2019 का चुनाव गाजियाबाद सीट से जीत चुके हैं, जो पहले राजनाथ सिंह का गढ़ माना जाता था। अब नए फेरबदल में वीके सिंह को हटाए जाने की चर्चा ने जोर पकड़ ली है।

– निर्मला सीतारमण : मोदी कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा के बीच सीतारमण ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की! इसके बाद सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या सीतारमण के हाथ से वित्त मंत्री की कुर्सी जा रही है! लम्बे समय तक भाजपा संगठन में रही ये मुखर प्रवक्ता निर्मला सीतारमण को 2014 में मोदी कैबिनेट में शामिल किया गया था। उस वक्त उन्हें वित्त और कॉर्पोरेट मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया। सीतारमण को वाणिज्य और उद्योग विभाग में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया। 2017 में सीतारमण का प्रमोशन हुआ और उन्हें मनोहर पर्रिकर की जगह रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। वे इंदिरा गांधी के बाद रक्षा विभाग की कमान संभालने वाली दूसरी महिला मंत्री बनी। 2019 में जीत के बाद सीतारमण को सरकार में वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली।

– पीयूष गोयल : मोदी कैबिनेट के इस फेरबदल में पीयूष गोयल के बाहर जाने की चर्चा है। उन्हें संगठन में भेजे जाने की तैयारी है। गोयल को राजस्थान का प्रभारी महासचिव बनाए जाने की चर्चा सबसे ज्यादा है। वे पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रह चुके हैं। 2014 में उन्हें कैबिनेट में शामिल कर उर्जा मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार दिया गया। 2017 के फेरबदल में गोयल का कद बढ़ा और उन्हें रेलवे मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली। उनके पास कोयला मंत्रालय भी था। 2018 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली बीमार पड़े, तो पीयूष गोयल को वित्त विभाग की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने बजट भी पेश किया। 2019 में मोदी सरकार रिपीट हुई तो उनका रेलवे मंत्रालय बरकरार रखा गया। वाणिज्य और उद्योग विभाग भी अतिरिक्त में दिए गए। 2020 में उन्हें खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी दी गई। 2021 के कैबिनेट फेरबदल में गोयल से रेल विभाग ले लिया और टेक्सटाइल विभाग दिया गया।

– किरेन रिजिजू : कैबिनेट फेरबदल में रिजिजू की कुर्सी भी खतरे में है। अरुणाचल पश्चिम से सांसद किरेन रिजिजू को प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में अपने कैबिनेट में शामिल किया था। रिजिजू को उस वक्त गृह राज्यमंत्री बनाया गया। रिजिजू इस पद पर पूरे 5 साल तक रहे। 2019 के कैबिनेट विस्तार में रिजिजू का कद बढ़ाकर उन्हें युवा और खेल मंत्रालय में स्वतंत्र प्रभार का मंत्री बनाया गया। 2021 के फेरबदल में उनका प्रमोशन हुआ और कैबिनेट स्तर का मंत्री बनाया और कानून विभाग की जिम्मेदारी भी मिली। कुछ महीने पहले उनसे कानून मंत्रालय छीन लिया गया, इसके बदले उन्हें पृथ्वी विभाग की कमान दी गई।